डिज़ाइनर दुनिया

डिज़ाइनर दुनिया

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आज शाम को कैंपस में एक ऑटिस्टिक बच्चे को उसकी माँ के साथ घूमते हुए देखा।माँ बड़ी मुश्किल से उसे कण्ट्रोल कर पा रही थी।चलते चलते मैं उनसे बात करने लगी।बातचीत करते हुए पता चला की उनके दो बच्चे है।बातचीत में थोड़ा आगे बढ़ने पर अहसास हुआ कि आजकल इस बच्चे के कारण घर में अजीब सी उदासी पसरी रहती है।दूसरी बेटी नार्मल है पर वह भी कुछ कम ही मुस्कुराती है।


माँ बाप अपने अपने दायरों में घर मे खुशीयाँ बॉटने की कोशिश करते रहते है।मुझे लगा इनकी दुनिया में यह ऑटिस्टिक बेटा न होता तो इनकी जिंदगी में शायद इतनी उदासी ना होती। 


अगर हमारी जिंदगी में सब कुछ अच्छा रहेगा तो हमारी दुनिया बिलकुल अलग नही होगी? सब कुछ एकदम परफेक्ट जैसे कोई डिज़ाइनर दुनिया हो।

चारो तरफ परफेक्ट होने के बाद सब कुछ फीका फीका सा नहीं लगेगा?


इस कभी खुशी कभी ग़म के कारण हमारी दुनिया ज्यादा खूबसूरत लगती है।रोज सुबह सवेरे उठकर हम सब जिंदगी में फिर से नयी आशा और नयी उमंग में आगे बढ़ते है।और यही खूबसूरती है हमारी दुनिया की।


आप का क्या विचार है?

क्या हमे डिज़ाइनर दुनिया चाहिए .....?


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