Rashmi Arya

Horror

2.8  

Rashmi Arya

Horror

डेंजर डॉल

डेंजर डॉल

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मैरी जब भी उसे देखती, एक दर्द और एक डर उसके चेहरे पर दिखता था, हर वक्त मैरी यही सोचती कि इस मासूम सी बच्ची के मन में आज भी उस हादसे का डर छुपा हुआ है। वो डर मानो उसकी जिंदगी का हिस्सा ही बन गया हो। पता नहीं कब ये डर इसकी जिंदगी से निकलेगा, निकलेगा भी या नहीं ये तो गॉड ही जाने। जब भी मैरी की नज़र उस पर जाती तो वो उसी शून्य में देखती ही दिखाई देती। उसने स्कूल जाना ही बंद कर दिया था। वो ना ही दूसरे बच्चो के साथ खेलती और ना ही कभी दूसरे बच्चो की तरह ज़िद्द करती। हर वक्त एक छोटे से कमरे में बैठी रद्दी कागजो में कुछ न कुछ लिखती रहती थी।


मैरी उसकी मनोदशा बहुत अच्छे से समझती थी। आखिर उस वक्त वो ही तो वही थी, जब उस छोटी सी बच्ची ने अपने माता-पिता की दर्दनाक मौत देखी।


मैरी को आज भी याद है वो दिन, जब एक प्यारा सा छोटा सा परिवार उसके फ्लेट के पास वाले फ्लेट में रहने आया था। जिसमे रॉबर्ट, उसकी वाइफ रोज़ी और रॉबर्ट की मॉम एलिस और उनके दो प्यारे प्यारे बच्चे, एक प्यारा सा छोटा सा बेटा जो अभी सिर्फ एक साल का ही था उसका नाम रॉबिन था। और एक बेटी - प्यारी सी फूल जैसी नाज़ुक जिसे वो प्यार से रूही बुलाते थे।


वो सब लोग शाम को नीचे कॉलोनी के गार्डन में बैठ कर अपने बच्चो के साथ वक्त बिताया करते थे। जब भी रॉबर्ट-रोज़ी और एलिस बिल्डिंग से नीचे अपने बच्चो के साथ आते तो सभी फ्लेट के लोग उन्हें देखने लग जाते और वो लोग उन लोगों पर ध्यान न देकर अपने बच्चो के साथ कुछ देर खेलते और फिर वापस अपने घर लौट जाते। उन्हें ऐसा करते देख बाकी परिवार भी गार्डन में आने लगे थे। सब कुछ अच्छा चल रहा था। कुल मिलाकर सभी परिवार अपने बच्चो के साथ वक्त बिताने लगे थे और एक दूसरे को जानने लगे थे। मैरी भी अपने दोनों बच्चों क्रिश और क्रिस्टीना के साथ गार्डन आने लगी थी।


मैरी के पति आर्मी में थे और शहीद हो गए थे। दोनों बच्चो की जिम्मेदारी मैरी पर आ चुकी थी। मैरी एक कान्वेंट स्कूल क्राइस्ट द किंग्स कॉन्वेंट - एर्णाकुलम, केरल में चाइल्ड साइकेट्रिस्ट थी। मैरी को रोज़ी को जानने का मौका मिला था। और धीरे धीरे वो दोनों ही अच्छी दोस्त बन गयी थी। लेकिन कभी कभी मैरी को लगता था कि रोज़ी और उसका पति रॉबर्ट उसके साथ और सोसायटी के अन्य लोगो के साथ कुछ अजीब व्यवहार करते थे। लेकिन कभी सब कुछ सामान्य लगने लगता। रोज़ी और रॉबर्ट अपनी बेटी रूही को किसी और बच्चो के साथ खेलने भी नहीं देते थे और ना ही किसी से बात करने देते थे। उनकी बेटी रूही भी डरी सहमी सी रहती थी। एक चाइल्ड साइकेट्रिस्ट होने के नाते मैरी ये बात बहुत अच्छे से जानती थी कि यदि घर का माहौल ठीक नहीं हो या बच्चो के साथ कुछ नरमी से पेश न आने के कारण बच्चे डरे सहमे से रहने लगते है। कभी कभी मैरी को ये भी लगता था की रॉबर्ट और रोज़ी रूही को राॅबिन के पास भी नहीं जाने देते थे। एक बार जब मैरी अपने बच्चो के साथ गार्डन में खेल रही थी तभी रूही एक बहुत ही खूबसूरत डॉल ले कर आयी और मैरी को दिखाने लगी.. "मैरी आँटी.. लुक.. इट्स माय न्यू डॉल.. मॉम-डैड ने मेरे लिए ये खरीदी थी... लेकिन वो लोग इसे यहाँ नहीं लाने देते। इस डॉल को मॉम ने घर के स्टोर रूम में एक बक्से में डाल दिया था। आज चुपके से मैने इसे निकाला और यहाँ ले आयी। कैसी है ये डॉल?" चहकते हुवे रूही बोली।


"अरे वाह.. ये तो बहुत ब्यूटीफुल है, एकदम तुम्हारे जैसी" कहते हुए मैरी ने वो डॉल अपने हाथों में ले ली। जैसे ही मैरी ने वो डॉल अपने हाथों में ली उसे कुछ अजीब सा एहसास हुआ। उसने उस एहसास को इग्नोर कर दिया और रूही से बाते करने लगी, बीच बीच में डॉल को भी देखने लगी थी। तभी अचानक उसे लगा जैसे उस डॉल ने अपनी पलके झपकाई हो। मैरी एकदम से सहम गयी और उस डॉल को देखने लगी। लेकिन फिर से ऐसा नहीं हुआ। मैरी अब भी उस डॉल को देखे जा रही थी। तभी, रूही की आवाज ने उसका ध्यान भंग किया।


"आँटी.. क्या हुआ.. आपको मेरी डॉल पसंद नहीं आयी क्या? आप उसे ऐसे क्यों देख रहे हो।" अपनी डॉल को मैरी के हाथों से लेते हुए, लगभग छीनते हुए रूही बोली। जैसे ही रूही ने अपनी डॉल मैरी के हाथों से छीनी तो मैरी उसे हैरानी से देखने लगी। उस वक्त रूही की आँखों में थोड़ा गुस्सा और होंठों पर एक रहस्यमयी मुस्कान देखी मैरी ने। उसे इस तरह देख मैरी थोड़ा सहम सी गयी थी। मैरी को कुछ गड़बड़ लगा। उसने खुद को संभालते हुए धीरे से रूही का सर सहलाया और उससे पूछा, "बेटा ये डॉल बहुत सुंदर है, मुझे भी क्रिस्टीना के लिए ऐसी ही डॉल लेनी है, उसका बर्थडे आने वाला है ना तो गिफ्ट देना है उसे, तो मुझे बताओ कि आप ये डॉल कहाँ से लेके आये।"


जब मैरी ने उसका सिर सहलाया तो रूही एकदम नॉर्मल हो गयी। और चहकते हुए बोली.. "हम ना बहुत दिनों पहले दूसरी जगह रहते थे तब एक म्यूजियम में गये थे, हिस्ट्री म्यूज़ियम वही पर ये डॉल थी, मुझे ये अच्छी लगी तो मैने ले ली।"


जब मैरी ने ये बात सुनी तो वो सोच में पड़ गयी। "म्यूजियम में डॉल.. वहां से खरीदी।" मन ही मन बड़बड़ाई मैरी।


वो रूही से कुछ पूछती उससे पहले ही वो वहां से चली गयी। और मैरी उसे जाते हुए देखती रही। तभी अचानक ही रूही ने जाते जाते ही अपनी गर्दन पीछे की और उसकी और देख कर फिर से रहस्यमयी ढंग से मुस्कुरायी और अपनी डॉल को अपने कंधे पर मैरी की और मुँह कर के पड़क लिया। (जैसे किसी बच्चे को गोद में उठते है) अचानक मैरी के देखते देखते ही उस डॉल की आँखे चमकने लगी और मुस्कुराने लगी।


मैरी एकदम से चोंक गयी थी और डर के मारे अपने घर चली गयी।


दूसरे दिन ही मैरी उसी हिस्ट्री म्यूजियम में पहुँची जिसकी बात रूही कर रही थी। वहां जा कर उसे पता चला कि वहां से एक शापित डॉल जो आम जनता के लिए बहुत डेंजर थी और जिस पर बहुत सी आत्माओं का साया था, गायब हो गयी थी। जैसे ही मैरी को पता लगा अचानक ही उसकी आँखों के सामने रूही की वो डॉल घूमने लगी थी। मैरी समझ गई थी कि रूही के पास वही डॉल है जो यहाँ थी।


उसने वहां म्यूजियमवालों से कुछ पुछताछ की तो उन्होंने जो बताया उससे मैरी बहुत शॉक्ड हो गयी थी। उन्होंने बताया कि, आज से लगभग दो महीने पहले हमेशा की तरह बहुत से लोग वहां आये हुए थे। बच्चे, बड़े, बूढ़े सब। सब लोग यहाँ की कलाकृतियां और पुरानी चीजे देख रहे थे। यहाँ पर एक बहुत ही खूबसूरत डॉल थी, जिसे म्यूजियम के बहुत ही पवित्र स्थान जहाँ क्राइस्ट की प्रतिमा थी उसी के पास एक कांच के डिब्बे में रखा गया था क्योंकि यहाँ के प्रिस्ट ने बताया कि वो डॉल शापित थी और बहुत ही डेंजर थी। इस डॉल से लोगो को बचाने के लिए तंत्रों से बाँध कर इस डिब्बे में रखा गया था। क्योंकि लगभग 10 साल पहले ये डॉल एक ईला नाम की लड़की के पास थी। वो लड़की इस डॉल को अपनी जान से ज्यादा प्यार करती थी। लेकिन किसी ने उस लड़की और उसकी माँ की बहुत ही बेहरहमी से हत्या कर दी और उनकी लाशों के टुकड़े कर के अपने ही परिवार के साथ मिलकर पका कर खा गए ताकि किसी को पता न चले की उनकी हत्या किसने की। उन दोनों की आत्मा ही इस डॉल में आ गयी, अब ये डॉल जब तक उन लोगों से बदला न ले ले तब तक ये शांत नहीं रहेगी।


उनकी मौत के बाद उस लड़की का पिता खुद ही इस डॉल को लेकर यहां आया और यहां इसे कैद करवा दिया। ईला का पिता तो वहां से चला गया लेकिन जब हम इस डॉल को कैद कर रहे थे तब खुद इस डॉल ने बताया कि, इन दोनों की हत्या ईला के पिता और उसकी दूसरी बीवी ने ही की थी। और साथ ही ये कहने लगी कि जब इनसे बदला लेने का समय आएगा तब ये खुद ब खुद यहाँ से आजाद हो जायेगी।


शायद वो समय आ गया है जब वो डॉल खुद ही यहाँ से आजाद हो गयी। और इस डॉल की आजादी का कारण बनी रूही और उसकी फॅमिली।


उस दिन रूही अपने पेरेंट्स और भाई के साथ यहां आयी थी। जैसे ही रूही ने इस डॉल को देखा तो अचानक ही ये डॉल उसे देख कर मुस्कुरा उठी। और रूही उसे मुस्कुराते हुए देख उसके साथ खेलने के लिए मचल उठी।


लेकिन वहां के लोगों ने मना कर दिया। इसी तरह वो डॉल और भी छोटे छोटे बच्चो को अपनी तरफ आकर्षित करती रहती थी। जब रूही अपने परिवार के साथ आगे बढ़ गयी तब अचानक ही वो डॉल रूही को अपने पास बुलाने लगी थी। रूही ने अपने पिता रॉबर्ट का हाथ छुड़वाया और खुद ब खुद धीरे धीरे उसकी तरफ बढ़ने लगी थी। वो उस समय बहुत गंभीर मुद्रा में थी। रोज़ी और रॉबर्ट भी उसके पीछे पीछे चलते चले गए। रूही फिर से उस डॉल के पास जाकर खड़ी हो गयी। रूही के चेहरे से लग रहा था कि वो किसी के वश में थी। अचानक ही रूही उस शोकेस के कांच खोलने लगी थी लेकिन वो खोल नहीं पायी थी। रोज़ी और रॉबर्ट ने रूही को रोकने की कोशिश की लेकिन वो उसे रोक नहीं पाए। वहां के वर्कर्स भी न जाने क्यों उस समय किसी गहरे शून्य में चले गए।


अचानक ही रोज़ी ने रूही को रोकते हुए कहा, "रूही.. बच्चा अभी घर चलो.. ये डॉल हम तुम्हे ला कर देंगे।" कहते हुए किसी तरह रोज़ी ने रूही को समझाया और वहाँ से ले गयी।


उसी रात अचानक उस शो केस के कांच अपने आप ही खुल गए और भयंकर आवाज के साथ वो डॉल नीचे कूद गई। और धीरे धीरे वो डॉल एक रहस्यमयी मुस्कुराहट के साथ चलने लगी थी। और धीरे धीरे छोटी सी बच्ची की आवाज में एक पोयम गाने लगी।


"ट्विंकल ट्विंकल लिटिल स्टार,

हाऊ आय वन्डर व्हाट यू आर"


बाहर बहुत तेज बारिश हो रही थी, म्यूजियम के दरवाजे धीरे धीरे चरमराहट के साथ अचानक ही खुलने लगे थे। अब डॉल ने गुनगुनाना बंद कर दिया था। और अचानक ही उसकी आँखों में आंसू की जगह खून बहने लगा था। म्यूजियम से बाहर आते ही वो डॉल दहाड़ मार कर रोने लगी। उसका रोना इतना खतरनाक था कि जिसने भी सुना वो सहम सा गया था।


अचानक वो डॉल जोर जोर से चिल्लाने लगी थी, "आ रही हूँ मैं.. आ रही हूँ.. अपना बदला लेने। किसी को नहीं छोडूंगी मैं।" चिल्लाती हुई वो डॉल अचानक कूदती हुई एक पेड़ पर लटक गयी। थोड़ी ही देर बाद बारिश के रुकने पर वो डॉल पेड़ से नीचे गिर गयी। वही पर एक शराबी बैठा था। उसने उस डॉल को उठाया और हवस भरी नज़रों से देखने लगा। अचानक ही वो उस डॉल को चूमने लगा था।


"कितने टाइम बाद मिली है तू मुझे.. आज तो तेरा पूरा रस निचोड़ दूंगा। घर से बाहर निकलवाया था ना तूने, अब देख में क्या करता हूँ तेरे साथ," कहते हुए उसने उस डॉल के कपड़े फाड़ने शुरू कर दिए। लेकिन तभी अचानक वो डॉल भारी होने लगी। इतनी भारी की डर के मारे उस शराबी ने उसे दूर फेंकना चाहा लेकिन वो उसके पास ही गिर गयी। और कुछ ही देर में हवा में उड़ने लगी। और चिंघाड़ते हुए बोली, "तूने मेरी इज़्ज़त लूटने की कोशिश की.. तुझ जैसे इंसान इस धरती पर रहने लायक नहीं है। तेरे जैसे ही एक इंसान ने धोखे से मेरी माँ से शादी की और जब उसकी सारी इच्छाएं पूरी हो गयी तो मुझे और मेरी माँ को मार डाला। आज मैं तुझ जैसे सारे इंसानों को मार डालूंगी।" कहते हुए वो डॉल उस शराबी के पास आयी और उसे एक पल में ही हवा में उछाल दिया। और हवा में ही उस शराबी के दो टुकड़े कर दिए। उसके शरीर के दोनों टुकड़े पेड़ से टकराते हुए नीचे गिर गए। चारो तरफ खून ही खून हो गया और मांस के लोथड़े बिखर गए। ये सब देख कर वो डॉल चिंघाड़ते हुए हंसी और उसके मांस के लोथड़ों के पास बैठ कर खाने लगी। उसके चेहरे पर रहस्यमयी मुस्कान थी और आँखों में खून उतर आया था।


अगले दिन वो रूही के घर पहुँच गयी। और जहां रूही सो रही थी वही जा कर लेट गयी और धीरे धीरे बोलने लगी.. "रूही... रूही.. देखो मैं आ गयी। तुमने मुझे बुलाया था ना, देखो.. अपनी आँखे खोलो रूही।"


अपना नाम सुन कर रूही ने अपनी आँखे खोली। जैसे ही रूही ने देखा की वो डॉल उसके पास है, वो बहुत खुश हुई और उसको अपने हाथों में ले कर उससे खेलने लगी। और उस से बातें करने लगी।


"रूही.. किसी को मत बताना की मैं तुम्हारे पास हूँ।" वो डॉल धीरे से बड़े प्यार से बोली।


"नहीं.. मैं किसी को कुछ नहीं बताउंगी। बस तुम मेरे पास ही रहना।" कहते हुए रूही ने अपनी डॉल को गले से लगा लिया।


इस बात को कुछ ही दिन बीतने के साथ ही रूही सबसे बहुत ही अजीब तरह का बिहेव करने लगी थी। रोज़ी और रॉबर्ट भी समझ नहीं पा रहे थे कि रूही के साथ ये हो क्या रहा है। जो रूही हमेशा ही शांत रहती थी उसकी स्कूल से कुछ दिनों से कंप्लेंट्स आने लगी थी कि रूही लड़को के साथ मारपीट करती है तो कभी स्कूल के छत की दिवार पर चलने लगती है। ये सुन वो दोनों बहुत ही ज्यादा परेशान हो गए थे।


ऐसे ही एक सर्दी के दिन जब उसका 6 महीने का भाई धुप में खेल रहा था तो रूही ने उसे उसके झूले सहित नीचे गिरा दिया और अपनी डॉल को सुला दिया। और वही उसके पास बैठ कर अजीब अजीब से आवाजे निकलने लगी और अजीब सी हरकतें करने लगी।


उन्हें लगने लगा था कि हो न हो ये कोई आत्मा का साया है जिस से रूही ऐसी हरकतें कर रही है।


इसके साथ ही कुछ दिन और बीते, रूही की अजीब हरकतें बढ़ती ही जा रही थी। लेकिन किसी को भी उस डेंजर डॉल के बारे में पता नहीं चला।


एक दिन आधी रात को अचानक ही रूही नींद से जागी और छत पर चली गयी, उस वक्त उसके साथ वो डॉल भी थी। दोनों बहुत देर तक छत की दिवार पर बैठी रही। और अचानक ही हूँ हूँ की आवाज में चिल्लाने लगी। आवाजे सुन कर रोज़ी की नींद खुली तो उसने अनुमान लगाया कि ये आवाजे छत से आ रही है, रोज़ी बहुत डर गई थी। उसने रॉबर्ट को जगाया और दोनों छत की तरफ निकल गए।


जैसे ही वो दोनों छत पर आये, उनकी आँखे फटी की फटी रह गयी। और दोनों ही अपने मुँह पर हाथ लगाए खड़े रहे। उन्होंने देखा कि रूही छत की दिवार पर दूसरी तरफ पाँव किये बैठी थी और उसके बाल खुले हुवे थे और पास ही एक उल्लु मरा पड़ा था और बहुत दूर तक उसके पंख और खून ही खून बिखरा पड़ा था और रूही के हाथ में कुछ मांस के टुकड़े थे जिन्हें वो बुरी तरह खा रही थी।


उसे देख कर दोनों ही उल्टियां करते हुए नीचे भागे और डर के मारे छत का दरवाजा बंद कर दिया।


"रॉबर्ट.. ये क्या था?? उसे क्या हो गया.. वो वहां क्या कर रही थी। रॉबर्ट मुझे बहुत डर लग रहा है। मैने कहा था न तुमसे इस लड़की को वही छोड़ देते है, लेकिन तुमने मेरी एक न सुनी। सुन लो रॉबर्ट.. इस लड़की के कारण यदि मेरे बेटे को कुछ हो गया तो ये लड़की भी जिंदा नहीं रहेगी।" डरते हुए गुस्से भरी आँखों से रॉबर्ट को देखते हुए रोज़ी बोली।


"तुम रूही को कुछ नहीं करोगी। वो मेरी बेटी है। तुम्हारे कहने से मैने जुली को मार डाला और ईला ने हमें देख लिया तो उसे भी मारना पड़ा लेकिन रूही, रूही तो मेरी अपनी बेटी है उसे कैसे मार दूँ.. तुम भी सुन लो.. तुम रूही को कुछ नहीं करोगी। कल ही मैं प्रिस्ट को ले कर आऊंगा, देखते है वो प्रिस्ट क्या करता है।" रॉबर्ट ने रोज़ी को समझाते हुए कहा।


दोनों बात ही कर रहे थे कि तभी एक धमाका हुआ और वो डॉल उन दोनों के सामने आ गयी और दहाड़ती हुई बोली.. "वो प्रिस्ट.. कुछ नहीं बिगाड़ पायेगा मेरा.. तुम्हारी बेटी रूही मेरे कब्जे में है। मैं तुम लोगों को ऐसी सजा दूंगी की तुम याद रखोगे," कहते हुए डॉल उन दोनों के चारो तरफ घूमने लगी और दोनों ही डर के मारे बेहोश हो गए।


दूसरे दिन जब होश आया तो सब कुछ शांत था, रूही भी अपने रूम में सो रही थी और छत पर भी कुछ न था। ऐसा लग रहा था जैसे रात को कुछ हुआ ही नहीं। रॉबर्ट और रोज़ी शांत थे ये सोच कर की उन्होंने एक सपना देखा लेकिन फिर भी रॉबर्ट चर्च से एक प्रिस्ट को ले आया, उसने घर में घुसते ही बता दिया की यहाँ एक आत्मा का साया है। जो आपके घर को तबाह करने आया है और वो एक डॉल के रूप में है।


डॉल का नाम सुनते ही उनकी आँखों के सामने वो दिन घूम गया जब रॉबर्ट और रोज़ी ने मिल कर जुली और उसकी बेटी ईला को बहुत ही बेरहमी से मारा था, ईला जो की जुली के पहले पति की बेटी थी उसने रॉबर्ट और रोजी को जुली को मारते हुए देख लिया था। और डर के मारे सामने आ गयी थी तो उन दोनों ने उसे भी मार डाला और किसी को कुछ पता न चले इस लिए उनके टुकड़े कर खा लिए।


वो दोनों तो मर गयी लेकिन ईला की आत्मा उसी की डॉल में घुस गई थी वो कुछ करती उस से पहले ही रॉबर्ट उसे एक हिस्ट्री म्यूजियम ले गया और वहां मंत्रो से उसे बाँध कर कांच के शो केस में बंद करवा दिया।


दोनों ही उस सोच में डूबे हुए थे तभी प्रिस्ट की आवाज से उनकी तन्द्रा टूटी। प्रिस्ट के कहे अनुसार उन्होंने उस डाॅल को एक बक्से में बंद कर तंत्रों मंत्रो से बाँध दिया और ये जगह छोड़ कर दूसरी जगह शिफ्ट हो गए। लेकिन उन्होंने एक गलती कर दी वो ये थी कि जिस बक्से में उन्होंने उस डॉल को कैद किया था वो भी अपने साथ ही नयी जगह पर ले आये।


नयी जगह आने के बाद वो सब नॉर्मल लाइफ जीने लगे। लेकिन आज रूही ने वो डॉल फिर से निकाल ली थी।


अचानक एक दिन जब मैरी कुछ सामान खरीद कर वापस अपने फ्लेट जा रही थी तो लिफ्ट में उसके सामने वो डॉल आ गयी। उस वक्त उस लिफ्ट में मैरी के अलावा और कोई भी नहीं था। डॉल को अपने सामने देख कर मैरी बहुत ही घबरा गई थी।


"डरो मत.. मैं तुम्हे कुछ नहीं करुँगी। रूही तुम्हारी बहुत तारीफ़ करती है। बस मुझे बदला चाहिए और उसमें मुझे तुम्हारी मदद चाहिए, बोलो करोगी न मेरी हेल्प," वो डॉल लगभग मैरी के चारो तरफ उड़ती हुई चक्कर लगाती हुई बोली।


डर के मारे मैरी की आवाज ही बंद हो गयी लेकिन फिर भी उसने डरते हुए कहा, "कैसी हेल्प चाहिए तुम्हे.."


"बस इतनी सी कि तुम रॉबर्ट और रोज़ी को वही उनके उस पुराने घर में ले कर आओगी। और तुम्हे कुछ नहीं करना," कहते हुए उस डॉल ने अपनी सारी कहानी उसे कह डाली।


"इसका मतलब तुम रूही को कुछ नहीं करोगी ना, अगर ये वादा करोगी तब ही मैं तुम्हारी हेल्प करुँगी।" मैरी ने डरते हुए डॉल से कहा।


"मैरी तुम भूल रही हो कि तुम किसी इंसान से नहीं किसी साये से बात कर रही हो, और तुम्हे मेरी बात माननी ही पड़ेगी।" कहते हुए वो डॉल जैसे ही लिफ्ट रुकी वेसे ही वहां से हवा की स्पीड से गायब हो गयी।


मैरी बहुत डर चुकी थी उसे अपनी नहीं अपने बच्चो की फ़िक्र हो रही थी।


कुछ दिनों तक रूही वो डॉल रॉबर्ट और रोज़ी से छिपा कर मैरी के पास ले आती। लेकिन अब मैरी उससे दूर भी रहा करती थी। ये बात न तो रूही को अच्छी लगती न ही उस डेंजर डॉल को। गुस्से में आ कर वो डॉल मैरी को परेशान करने लगी थी। कभी मैरी की स्कूटी की हवा निकाल देती तो कभी उसका बनाया नास्ता खा जाती और कभी मैरी के कपड़े गायब कर देती तो कभी पानी गिरा देती, लेकिन उसने कभी मैरी के बच्चो को परेशान नहीं किया। हार मान कर मैरी रूही और उस डॉल के साथ खेलने लगी थी।


एक दिन उस डॉल के बताये अनुसार मैरी रॉबर्ट और रोज़ी को उन्ही के पुराने घर में ले आयी थी। और साथ में रूही भी थी। जैसे ही उन सब ने घर में एंटर किया वेसे ही घर के सारे दरवाज़े बंद हो गए और अजीब सी मनहूसियत छा गयी थी। मैरी ये देख कर काफी परेशान भी थी लेकिन कुछ बहना बना कर वो रूही को बालकोनी की तरफ चली गयी।


कुछ ही देर में वहां मौत का मातम शुरू हुआ। रोजी और रॉबर्ट के चारो तरफ वो डॉल चक्कर लगाने लगी थी। दोनों ही बहुत डर गए थे। लेकिन अचानक ही रॉबर्ट हवा में उछाला और कांच की टेबल पर जा गिरा, ये देख रोज़ी वहां से भागने को हुई उसने जैसे ही डोर खोला और बाहर निकलने ही वाली थी कि डॉल ने उसे पीछे की तरफ खींच लिया और डोर बंद कर दिया लेकिन रोज़ी के एक हाथ डोर में ही फंस गया, रोज़ी जितना अपने हाथ को निकलने की कोशिश करती उतना ही उसका हाथ और जकड़ने लगता और अंत में उसका हाथ टूट गर वही दूसरी तरफ गिर गया। उसके हाथ से मांस और खून टपकने लगा। ये देख वो डॉल उसके पास आई और उसके हाथ की जगह से मांस निकाल निकाल कर खाने लगी। और रोज़ी बुरी तरह चीख रही थी और ऊपर ही मैरी और रूही उन्हें देख रही थी। दोनों की आँखों से आंसू निकल रहे थे। मैरी ने रूही को पकड़े हुए था और उसका मुह बंद किये हुवे परदे के पीछे छिप कर सब कुछ देख रही थी।


"मार डाला था ना तुम दोनों ने मिल कर मुझे और मेरी मॉम को.. कोई नहीं बचेगा। दोनों मारे जाओगे, ऐसी भयानक मौत दूंगी की तुम दोनों को देखने वालों के भी रोंगटे खड़े हो जाएंगे।" कहते हुए वो डॉल रॉबर्ट की तरफ बढ़ी और उसे फिर से हवा में उछाल दिया और जब वो नीचे गिरा तो उसके कपड़े फाड़ कर उसके पेट पर बैठ गयी और अपने दोनों हाथों से उसका पेट चीर दिया और आंते बाहर निकलने लगी, रॉबर्ट फिर भी जिंदा था। वो चिल्ला रहा था। ऊपर खड़ी मैरी और रूही सब कुछ देख रही थी।


तभी अचानक उस डॉल ने रॉबर्ट के सीने से दिल निकल लिया और दहाड़ मार कर हंसने लगी। रॉबर्ट का दिल अब भी धड़क रहा था, और एक कोने में बैठी रोज़ी ये सब देख रही थी और रो रही थी। तभी उसका दिल लिए लिए ही वो डॉल रोज़ी के पास बढ़ी और उस दिल को रोजी के मुहँ में ठुँस दिया। रोज़ी उल्टियां करने लगी थी और वो डॉल चिंघाड़ रही थी।


अचानक ही उसने रोज़ी को हवा में उछाल दिया और एक दिवार से दे मारा, उसके शरीर से खून के फुआरे छूटने लगे थे। पुरे घर में खून और मांस ही माँस बिखरा हुआ था।


इधर रूही ने ये सब देख कर रोना ही छोड़ दिया।


रॉबर्ट और रोजी मर चुके थे और वो डॉल भी एक तरफ निढाल हो गयी थी। मौका देख कर मैरी रूही को ले कर चुपके से वहां से निकल गयी। और अपने फ्लेट की तरफ आ गयी। किसी को कुछ पता नहीं चला की आखिर रॉबर्ट और रोजी गये कहाँ क्यों की उनकी लाशें गायब हो चुकी थी, उस घर में लोगों को सिर्फ खून और माँस के लोथड़े ही मिले थे और वो डॉल भी गायब हो चुकी थी। मैरी भी नहीं जानती की आखिर वो डॉल गयी कहाँ।


मैरी की तन्द्रा टूटी कोई उसे आवाज लगा रहा था। और वो थी रूही। आज 6 महीनो बाद रूही बोली।


"मैरी आँटी.. मुझे बाहर जाना है।" रूही ने धीरे से कहा।


उसकी आवाज सुन कर मैरी बहुत खुश हुई, क्योंकि उस हादसे के बाद रूही को बहुत गहरा सदमा लगा था। रूही ने बोलना खेलना और स्कूल जाना भी बंद कर दिया था। आज 6 महीनो बाद रूही बोलने लगी थी।


"कहाँ जाना है बेटा..." उसके सर पर हाथ फेरते हुए मैरी बोली।


"मुझे चर्च जाना है। लेकिन अकेले।" थोड़ी गंभीर आवाज में रूही बोली और बिना मैरी का जवाब जाने ही वो घर से निकल गयी। एक बार तो मैरी को अटपटा लगा लेकिन इतने दिनों बाद रूही को नॉर्मल देख कर उसने कुछ नहीं सोचा। उसे बस इस बात की तस्सली थी कि रूही अब ठीक हो रही थी। बिना कुछ बोले मैरी भी चुपचाप रूही के पीछे पीछे निकल ली।


कुछ ही देर बाद मैरी ने देखा कि चर्च से कुछ ही दूरी पर बने कब्रिस्तान में एक बैंच पर रूही उसी डॉल के साथ बैठी हुई थी।


समाप्त।


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