आईपीएस दुल्हन

आईपीएस दुल्हन

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"अरे! काकी, अरे! भाईजी,अरे दीदी कल मेरी शादी हैl कल मेरा दूल्हा आएगा l मैं कल दुल्हन बनूँगी, अरे वाह मज़ा आ गया, कल मेरी शादी है.." एक 9- 10 साल की प्यारी सी बच्ची गांव में ये कहते घूम रही थीl सभी असमंजस में थे।इतनी छोटी बच्ची की शादी? ये कैसा हुआ? अभी दो दिन पहले की ही बात है उसे देख कर तो लगा की ये गांव का कुछ तो भला करेगी लेकिन शादी, पता नहीं बेचारी का क्या होगा?

दो दिन पहले.. "अरे मीरा आज स्कूल जाएगी क्या ? " सुधा ने पूछा "हाँ यार आज ही तो जाना है कल से तो एग्जाम की छुट्टिया हो जाएगी, चल स्कूल चले। वो दोनों स्कूल के लिए निकली तभी दो तीन लड़के उन्हें छेड़ने लगे और फिरकियाँ कसने लगे। तभी एक आवाज गूंजी .. "ओये छोरों ज्यादा बोलना आ गया क्या? रुको अभी बताती हूँ।" सौभाग्य कड़की l

हां सौभाग्य यह नाम था उस छोटी सी प्यारी सी लड़की का l तभी सब उसकी तरफ देखने लगे। तभी एक लड़का बोला "अरे हमारा सौभाग्य देखो एक और आ गयीl और फिर वो सब उस की तरफ बढ़ने लगे कि तभी उन पर पत्थरों की बारिश और फिर डंडो की बारिश होने लगी, फिर वो सब डर कर भाग गए। ये बारिश करने वाली सौभाग्य ही थी। कुछ गांव वालो ने देखा और उसकी माँ को खबर कर दी।.." ये लड़की नहीं मानेगी हर वक्त लड़ाई मार काट, आने दो इसे सबक सिखाती हूँ।" माँ जानकी खुद में ही बड़बड़ाई, सौभाग्य का माँ के अलावा कोई नहीं था। इधर वो लड़के अपने अपने घर गए और किसी से कुछ नहीं बताया। लेकिन एक लड़का जो अमीर बाप का बेटा था, उसने अपने घर पे सब बता दिया। तब उसका बाप और उसका मामा हरिया वहां आया और जानकी देवी से बोला "जानकी देवी तेरी छोरी ने मेरे छोरे को पीटा है, तुझे हर्जाना भरना होगा, या तो ये गांव छोड़ दे या फिर हरिया से शादी करवा दे। "

"ये क्या कह रहे हो सरकार मेरी छोरी 10 बरस की ही है मैं उसकी शादी...."

"वो तुझे सोचना है या तो गांव छोड़ या शादी कर" ऐसा कह कर वो चल दिया।जानकी डर गयी वो कैसे अपने पति का ये घर छोड़ दे?निर्णय हुआ शादी ही कर देनी चाहिए ...जनकी ये गांव और ये घर छोड़ कर नहीं जाना चाहती थी।आज सौभाग्य को पता भी नहीं है कि उसका दूल्हा कौन है? बालमन से वो खुश हैl

इधर हरिया अपने भांजे को अपने घर ले गया और कहा "भांजे वो छोरी तेरी मामी बनेगी और जब वो इस घर में आ जाये तब तुम सब अपने अपमान का बदला लेना।"फिर वो दोनों कमरे में बेठ कर शराब पीने लगे lइधर जब सौभाग्य को पता चला तो वो पुरे दिन रोती रही "माँ हरिया काका तो मेरे बाबा जैसा है न तो उस से ही क्यों मेरा ब्याह क्यों कर रही हो ?" लेकिन जानकी देवी उसे चुप करा दिया।

तभी उसकी पड़ोस वाली सरला जो की एक आई पी एस की विधवा थी, वो आई और बोली "अरे जानकी बहन ये मै क्या सुन रही हूँ? ये कैसे होने दिया तुमने?"

"मैं क्या करू सरला बहन, मैं मजबूर हूँ। अगर मेने ऐसा नहीं किया तो ये लोग मुझे गांव से निकाल देंगे फिर मैं कहा जाउंगी?" ऐसा बोल जानकी रोने लगी l

"तुम चिंता मत करो जानकी बहन मेरा बड़ा बेटा खुशहाल आने वाला है, मैं कुछ करती हूँ।" ऐसा बोल वो चली गयीlसरला के दो बेटे थे एक बेटा खुशहाल और दूसरा बेटा चिरंजीव जो सौभाग्य का दोस्त था।जब खुशहाल को ये पता चला तो वो हेरान रह गया। सरला ने उस से कहा " बेटा हमे कुछ करना होगा उस छोटी सी बच्ची को बचाना होगा "" माँ आप जो कहेगी मैं वो करुंगा। बताओ क्या करना है?"

' चलो मेरे साथ"

हरिया अपने घर बैठा शराब पी रहा था, दूल्हा बना हुआ। तभी उसे लगा की उसके पीछे कोई है, वो पलटता उस से पहले ही उस पर वार हुआ और वो बेहोश हो गया।    "चल बेटा इसे बांध देते है। और तू दूल्हा बन कर तैयार हो जा बाहर सब इन्तेजार कर रहे है। "

दूल्हा आया, मंडप सजा और शादी भी हो गयी तभी हरिया वहां पहुंचा सब असमंज में थे कि ये क्या हो गया "ये मेरे साथ धोखा हुआ है ,ये लड़का मेरी दुल्हन को उठा ले गया" हरिया गुस्से में बोला .. "रुक जा हरिया अब सौभाग्य मेरे बेटे की दुल्हन है, उसे हाथ भी लगाया तो पूरा गांव जला दूंगी " सरला कड़की।किसी की हिम्मत भी नहीं हुई की सरला के सामने आये।सरला अपने बेटे का गृह प्रवेश करवा रही थी। और जानकी देवी उसे बार बार धन्यवाद् दे रही थी।तब चिरंजीव आया और बोला अरे सौभाग्य अब तो तुम और मैं एक ही घर में रहेंगे, है न माँ? "

"हाँ बेटा और एक साथ ही स्कूल भी पढ़ने जाओगे" सरला ने कहा।

"सौभाग्य तुम्हे पढ़ने का शौक़ है न क्या बनोगी पढ़ कर?" सरला ने पूछा।

" काकी मैं पुलिस बनूँगी और सब गांव के छोरो को सीधा कर दूंगी" सब हंसने लगे l

"अरे सौभाग्य मैं अब तेरी काकी नहीं हूँ, सासु माँ हूँ समझी"सरला ने कभी सौभाग्य को अपनी बहु नहीं बेटी समझा उसे पढ़ाया लिखाया ।इस तरह दो साल बीत गए। सौभाग्य अपनी माँ के घर ही रहा करती थी lएक दिन हरिया और उसके साथियों ने सरला के बेटे जो सौभाग्य का पति था उसे मार दिया। गांव तक खबर आयी मातमी माहौल था, सरला रोये जा रही थी।

" माँ शांत हो जाओ, मै आपके बेटे का बदला लुंगी, जिसने भी उन्हें मारा है मै उन्हें जीने नहीं दूंगी ये वादा है आपकी दुल्हन का आपसे.." सरला के कंधे पर हाथ रख कर सौभाग्य बोली।सरला उसे गले लगा लेती है, सरला का भाई चिरंजीव को अपने साथ शहर ले जाता है और यहाँ सरला और जानकी अपनी सौभाग्य की रक्षा करते हुवे उसे पढाते लिखाते है ,हर परिस्थिति में उसका साथ देते हैl

देखते ही देखते समय निकल जाता है।10 साल बाद

" सासु माँ सासु माँ"

" क्या है सौभाग्य तुझ कितनी बार बोला है सिर्फ माँ बोला कर पर नहीं तू नहीं सुधरेगी.. अब बोलेगी क्या हुआ..?"

" माँ आज रिजल्ट आने वाला है मैं जाऊं ""हां जा और सुन आज जल्दी आ जाना चिरंजीव आने वाला है 10 साल बाद "

"क्या, चिरंजीव मेरा दोस्त वाह कितने साल हो गए उस से मिले .. माँ उसके आने के बाद भी आप मुझे उतना ही प्यार करोगे न मुझे? "

" चल पगली जा अब"

सौभाग्य का आज आईपीएस का रिजल्ट आने वाला था। फिर उसे ट्रेनिंग पर भी जाना था। वो और उसकी सहेली राधा कॉलेज जा रह थे, कि रास्ते में दो शहरी लड़के गांव देखते उनकी तरफ आ रहे थे तभी एक लड़क सौभाग्य से टकरा गया दिल मिले आँखे चार हुई " अरे तुम देख कर नहीं चल सकते? भगवान ने दो आँखे भी तो दी है" सौभाग्य गुस्से में बोली।

" सॉरी मिस , मैं तो गांव देख रहा था। और आप से टक्करा गया..."

दोनों ने एक दूसरे को देखा और पहचान गए "अरे सौभाग्य!! तुम ही हो ना? "

"हां और तुम चीरू"

" नहीं मैं चिरंजीव"

दोनों हँसने लगे। फिर वो दोनों गले लग गए।वो दोनों घर और दोनों लड़किया कॉलेज चली गयी lइधर घर पहुंच कर चिरजीव माँ से मिला और बोला " माँ वो सौभाग्य तो बड़ी हो गयी। मैं मिला था उस से।"

"माँ सासु माँ कहा हो आप? मै सलेक्ट हो गयी अब मुझे ट्रेनिंग पर जाना है "सौभाग्य चिल्लाई।

" अरे लड़की तू अंदर तो आ देख कौन आया है..."

"पता है माँ वो चिरंजीव आया है मैं मिल चुकी हूँ "

ऐसा बोल वो अंदर आगयी सौभाग्य और चिरंजीव दोनों एक दूसरे को देखते रहे और काफी देर तक वो बातें करते रहे ...सरला उन दोनों को हँसते देख बहुत खुश हुई और मन ही मन बड़बड़ाई " नज़र न लगे मेरे बच्चों को "

" अरे सौभाग्य तुम सेलेक्ट हो गयी हो अब आगे क्या करना है" सरला ने पूछा

'अरे हाँ माँ मै तो आपको बात ही भूल गयी अब मुझे ट्रेनिंग पे जान है दिल्ली.. क्यों जा सकती हूँ ना?"

" हाँ बेटा कब जाना है बता मुझे मै तैयारी कर देती हूँ , और ट्रेनिंग कितने महीनों की है?"

" एक साल की ही बस फिर आपकी ये दुल्हन आईपीएस बन जाएगी" चहकती सी सौभाग्य बोली।दुल्हन नाम सुनते ही सरला और चिरंजीव का चेहरा उतर जाता है l सौभाग्य की माँ अपने मायके किसी शादी में गयी हुई थी उस समय l

" एक साल बेटा तेरे बिना हम कैसे रहेंगे" सरला ने दुखी मन से कहा।

" बस एक साल की ही तो बात है माँ फिर वो वादा जो मेने आपको किया है वो भी तो पूरा करना है" सौभाग्य बोली l

उसी समय चिरंजीव का दोस्त राजीव आया " नमस्ते आंटी " वो चौंकती है " अरे आप कौन "

"माँ ये मेरा दोस्त है राजीव , और राजीव ये माँ है और ये सौभाग्य "

" हेलो राजीव " सौभाग्य बोली।

" हेलो सौभाग्य, अरे तुम तो वो ही होना जो सुबह हम से टकराई थी "

" हां ये वही है " चिरंजीव बोला l फिर माँ और सौभाग्य रसोई में चले जाते है l तब चिरंजीव राजीव को सौभाग्य क बारे में सब बता देता है l

"ये बहुत महान लड़की है यार" राजीव उसकी तारीफ करता है l

कुछ दिन बाद तक ये तीनो अच्छे दोस्त बन चुके होते हैं l सौभाग्य और चिरंजीव एक दूसरे को मन ही मन पसंद करने लगे , लेकिन उनका रिश्ता उन्हें इजाजत नहीं दे रहाl लेकिन जब भी वो सब साथ होते तो घर में रौनक रहती lआज सौभाग्य अपनी ट्रेनिंग पर जा रही थी ,सभी बहुत खुश थे , सरला चिरन्जीव और राजीव उसे स्टेशन छोड़ने आये , सरला सौभाग्य और चिरंजीव के मन का हाल जान चुकी थी।

सौभाग्य अपनी ट्रेनिंग पर जा चुकी थी। और चिरंजीव और राजीव भी शहर जा चुके थे l समय बीतता गया।एक साल बाद आज सौभाग्य आईपीएस बन चुकी थी , उसने अपनी पोस्टिंग उसी गांव में करवाई ताकि अपनी दोनों माओ के पास रह सके lसरला के घर पुलिस की गाड़ी रुकी , सब गांव वाले चौंक गए l आज सरला के घर पुलिस ??? कैसे क्या हुआ ??? सब चकित थे lकि अचानक एक लेडी पुलिस की वर्दी में उतरी l ये सौभाग्य ही थी , सभी गांव वाले चौंक गए , सौभाग्य की दोनों माएं बाहर आई और सौभाग्य को देख कर बहुत खुश हुई ,उसे गले लगाया और आरती भी की l

" सरला बहन ये सब आपकी वजह से ही हुआ है, सही मायनो में आप ही इसकी माँ हैं" जानकी बोलीlतभी दो तीन पुलिस वाले हरिया को पकड़ लाये " मैम हमने इसे हिरासत में ले लिया , आज दो साल बाद सारे साबुत जुटाकर खुशहाल के कातिल को पकड़ लिया "

सरला चौंक जाती है " सौभाग्य ये सब? "

"हाँ माँ मेने वादा किया था ना आपसे कि आपके बेटे को न्याय दिलवाऊंगी और आज मेने ये कर दिया। "हरिया को उम्र कैद की सजा हुई

आज लगभग एक महीने बाद ...सरला घबरा रही है " कैसे करूँ सौभाग्य से बात ,अगर उसने मना कर दिया तो .. नहीं मुझे हिम्मत करनी ही होगी .. आखिर मै माँ हूँ "

" सौभाग्य.. सुन मुझे कुछ बात करनी है तुझ से।"

"हाँ माँ बोलो" सौभाग्य बोली l

" बेटा आज से 12 साल पहले मेने तुझे अपने बड़े बेटे की दुल्हन बनाया था, और इस घर में लाई थी l तुम आज भी इस घर की दुल्हन हो बेटा, मै चाहती हूँ कि तू फिर से दुल्हन बने..." सरला ने कहा

" माँ आप मेरी सब कुछ है, ये ज़िन्दगी आप ने दी है, आज मै जो भी हूँ आपके कारण ही हूँ, जो आपको सही लगे मै वैसा ही करुंगी"तभी सरला ने कहा "बेटा मै चाहती हूँ कि तू फिर से शादी कर के अपना घर बसा ले। ""माँ ये आप क्या कह रहे हो .... मै आपको छोड़ कर कही नहीं जाउंगी "सौभाग्य रोते हुवे बोली।तब सौभाग्य की जानकी माँ बोली " बेटा तेरी सरला माँ बिलकुल सही कह रही है, बेटीयों को तो जाना ही पड़ता है" ये सुन सौभाग्य और चिरंजीव एक दूजे को देखते हैं ऐसा लगता है जेसे वो दोनों एकदूजे से बिछुड़ना नहीं चाहते l तभी सरला माँ बोलती है कि " बेटा बस एक बार तू हाँ कह दे ,दूल्हा तैयार है " तब सौभाग्य और चिरंजीव दोनों सरला को देखते है l तब सरला बोली कि " क्या देख रहे हो तुम दोनों ... बताओ चिरंजीव मेरी सौभाग्य के दूल्हे बनोगे .."

"माँ मैं... "

"और नहीं तो क्या पगले .. मुझे क्या पता नहीं कि तुम दोनों एक दूजे को पसंद करते हो ' सरला बोली l

" हाँ बेटा मै जानती थी कि तुम दो एकदूजे को पसंद करते हो पर तुम्हारे रिश्ते के कारणमौन हूँ , सौभाग्य बेटा मै चाहती हूँ कि तुम मेरे चिरंजीव की दुल्हन बनो, और चिरंजीव क्या तुम .... तभी चिरंजीव बोला " माँ अब सौभाग्य जो चाहेगी वही होगा "सौभाग्य शादी के लिए मान गयी.. कुछ दिन बाद शादी थी सभी बहुत खुश नज़र आ रहे थे l

शादी के दिन .. सरला आज बहुत खुश थी l आज उसकी वो छोटी सी दुल्हन फिर से उसकी दुल्हन बन कर उसके घर आ रही है lगृह प्रवेश के दिन सरला ने सब गांव वालों को कहा " ये देखो ये वही मेरी छोटी सी दुल्हन है जिसे मै अपने घर लाई थी , ये वही है जिसने मेरे बड़े बेटे को न्याय दिलाया ...आज फिर से ये मेरी दुल्हन बन कर यहाँ आई है , सिर्फ दुल्हन ही नहीं मेरे बेटे चिरंजीव की आईपीएस दुल्हन बन कर l



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