पिंजड़ा को खोलकर पक्षी को नभ में उड़ाता बेटे ने कहा,-"सबको आज़ादी मिलनी ही चाहिए।" पिंजड़ा को खोलकर पक्षी को नभ में उड़ाता बेटे ने कहा,-"सबको आज़ादी मिलनी ही चाहिए।"
लेखक : निकोलाय गोगल अनुवाद : आ. चारुमति रामदास लेखक : निकोलाय गोगल अनुवाद : आ. चारुमति रामदास
आज ये जीवन हमें किस मोड़ पर ले आया है, जहाँ से उम्मीद की कोई किरण नजर ना आती. आज ये जीवन हमें किस मोड़ पर ले आया है, जहाँ से उम्मीद की कोई किरण नजर ना आती...
घुँघराले बाल ठीक करने जैसे ही आईने की ओर मुड़ी की उसे किसी के होने का आभास हुआ। घुँघराले बाल ठीक करने जैसे ही आईने की ओर मुड़ी की उसे किसी के होने का आभास हुआ।
इसलिए कहा गया है कि "सभी जो चर्च जाते हैं, वे सभी सन्त नहीं होते। इसलिए कहा गया है कि "सभी जो चर्च जाते हैं, वे सभी सन्त नहीं होते।
मगर लाइन इतनी लंबी थी कि उसका नंबर आते आते कंबल बंट चुके थे। वह खड़ा रहा सीढ़ियों पर और देखता रहा उन... मगर लाइन इतनी लंबी थी कि उसका नंबर आते आते कंबल बंट चुके थे। वह खड़ा रहा सीढ़ियो...