आज ज़रा सुस्ता के बेठी यादों की एकांत सीढ़ियों में, याद कर रही उस लम्हें को! आज ज़रा सुस्ता के बेठी यादों की एकांत सीढ़ियों में, याद कर रही उस लम्हें क...
मख्खियों के झुण्ड ने उसे अपने कब्ज़े में कर लिया था उसे कुछ भी दिखायी नहीं दे रहा था.. मख्खियों के झुण्ड ने उसे अपने कब्ज़े में कर लिया था उसे कुछ भी दिखायी नहीं दे रह...
मगर लाइन इतनी लंबी थी कि उसका नंबर आते आते कंबल बंट चुके थे। वह खड़ा रहा सीढ़ियों पर और देखता रहा उन... मगर लाइन इतनी लंबी थी कि उसका नंबर आते आते कंबल बंट चुके थे। वह खड़ा रहा सीढ़ियो...
मैं धीरे-धीरे संभलती हुई घुटनों के बल नीचे उतर रही थी। (यहाँ पर यह बताना चाहूंगी कि मैं सीढ़ियों पर ... मैं धीरे-धीरे संभलती हुई घुटनों के बल नीचे उतर रही थी। (यहाँ पर यह बताना चाहूंगी...