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Dr.Purnima Rai

Action Classics Inspirational

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Dr.Purnima Rai

Action Classics Inspirational

दानी कौन ?

दानी कौन ?

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अपने कार्यस्थल से वापिस आते वक्त नाज़ो को याद आया कि कुछ फल खरीद लूँ। रास्ते में सड़क के किनारे फलों की बहुत सी रेहड़ियाँ थी। लेकिन नाज़ो को आज पपीता और नारियल पानी ही खरीदना था।

जैसे ही एक रेहड़ी दिखी, वह रुकी और फल वाले को बोली कि एक अच्छा सा पपीता नारियल पानी और थोड़े से अँगूर पैक कर दे। फल वाले के पास ही किसी ने अपनी कार के माध्यम से ठंडी ड्रिंक (जूस)का लंगर लगाया था। बहुत भीड़ थी। नाज़ो पैसे देकर फल लेकर जैसे ही जाने लगी। फल वाला बोला, "मैडम, देखिये यह लोग लंगर लगाये हुये हैं, मैनें लाईन में लगकर लंगर के लिये हाथ आगे बढ़ाया तो कहते हैं कि तु

मको नहीं देंगे, तुम्हारे पास फल वाली रेहड़ी है।"

अपनी ही धुन में वह बोल रहा था कि बीस रुपये की ही बोतल बाँटकर बड़े दानी बन रहे हैं। हम लोग तो कई बार ऐसे ही फल लोगों को खाने को दे देते हैं, पर दिखावा नहीं करते। दान करके ये अगर दस लोगों की दुआयें हासिल कर लेंगें तो क्या? मेरे जैसे को इन्कार करके मिली बद्-दुआ को कैसे झेल पायेंगे। उसके चेहरे पर लंगर न मिल पाने की मायूसी साफ झलक रही थी। इतनी ही देर में एक माँगने वाला रेहड़ी के पास हाथ फैलाये आ खड़ा हुआ। फल वाले ने झट से अँगूर के गुच्छे देकर उसकी मुराद पूरी की। नाज़ो यही सोचती रही कि असल दानी कौन है ? 


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