चोकलेट—मिठास अभी बाक़ी है
चोकलेट—मिठास अभी बाक़ी है
हम शायद लास्ट मिले थे उस बात को ग्यारह साल के क़रीब हो गए, वो लास्ट मिलना मुझे आज भी याद हैं, उस छोटे शहर की बड़ी सड़क पर एक दूसरे का हाथ पकड़े घंटों नहीं पर खूब मिनटों खड़े थे, हर आने जाने वाले देख रहे थे हमें पर शायद हमें परवाह भी कहा थी, तभी तो शायद कहते भी हे प्यार में बेखौफ हो जाता हे आदमी और उस दिन दोनों प्रेमियों के चेहरे पर दुनिया का ख़ौफ़ नहीं पर हाँ बिछड़ने का ग़म जरूर आँखों से छलकने को आमादा था।आख़िरी मुलाक़ात के ये पल आज भी ताज़ा हैं, लग रहा है कल की ही बात हो और आज वापस मिलने जाना।
पिछले ग्यारह सालो में वापस उस से कभी मिला नहीं पर हाँ उसे कई बार देखा, उसे कई बार महसूस किया, हाँ सही में यहाँ लिखने वाला अपनी कल्पना के पंछी नहीं उड़ा रहा बल्कि सही बता रहा, मैंने देखा उसको जब हमारे बिछड़ने के कई दिनों बाद जब वीर ज़ारा देखी, तो उस की जारा में मैंने अपना प्यार देखा, वीर में भले ही खुद को ना ढूँढ पाया पर ज़ारा और उस में गालों के खड्डों के अलावा सब सेम लगा, अगली बार उस से मसान में मिला यहाँ शालू देख, दोनों में फर्क निकाल ही नहीं पा रहा था ओर यहाँ तो खुद को हीरो मैं भी देख पा रहा था। हीरो का खोया प्यार देख बस आँखों से आँसू ही नहीं गिरे और शालू में अपना प्यार देख बस अपना मिलन समझ लिया। अब जब टाइम बहुत गुजर गया पर यादें कहाँ धुंधली होती फिर हल्की मुलाक़ात, हमारी अधूरी कहानी की वसुधा मैं भी हुई यहाँ तुम्हें थोड़ा महसूस कर पाया था, इसी तरह कभी कभी कही कही तुम्हें देख तुमसे मिलने का सपना अब शायद देख भी नहीं पा रहा हूँ पर आज कल तुम्हें कही देख नहीं पा रहा हूँ, पता नहीं क्यों पर बहुत दिन हो गए तुम्हें महसूस किए, अब डर लग रहा ज़ारा, शालू और वसुधा में भी तुम्हें ना खो दूँ.....

