STORYMIRROR

KP Singh

Inspirational

4  

KP Singh

Inspirational

सिगरेट का कश

सिगरेट का कश

4 mins
274


शायद वो अप्रैल2008 की रात थी, रात कोई 12 बजे होंगे मैं ओर दीपक दोनो एस आई परीक्षा की तैयारी में लगे थे,हाँ तैयारी भी बड़ी झामफाड़ तरीक़े की चल रही थी।अब कमरे में मेरे सामने वाली दीवार पर टँगी बड़ी घड़ी का छोटे वाला काँटा एक बजाने को सरपट दौड़े जा रहा था ओर मेरी आँखे अब मेरा कंट्रोल खोते जा रही थी,एकदम से आने वाली झपकी को दीपक की नज़रों से छुपा मैं देख पा रहा था की उसकी भी आँखे अब कुछ भारी ओर नींद से भरी नज़र आ रही थी।थोड़ी देर के मेरे ओर झपकी की आँखमिचोली को दीपक ने पकड़ लिया ओर बोला “ नींद आ रही हैं “ मेने भी अपनी चोरी पकड़े जाने के अन्दाज़ में हाँ में सर हिला दिया,दीपक ने बोला नींद तो मुझे भी आ रही हे बोलते बोलते अपनी कुर्सी से उठा ओर कमरे के वेंटिलेटर से कुछ ले आया देखा तो पता चला सिगरेट।मैंने भी कोतूहल वश पुछ लिया अब पिएगा हाँ कभी कभार पिता था पर इस तरह रात को 1 बजे!!तो मेने भी वापस पुछा, अब ? उसने भी जवाब दिया नींद आ रही हे ओर इशारा करते हुए बोला “ये टोपिक भी पुरा करना हैं नींद नही आएगी “ ऐसा कहते कहते माचिस पर तीली को रगड़ सिगरेट जला कश लेते हुए मुँह से सफ़ेद बादल का गुब्बार निकाल दिया थोड़ा धुआँ छँटते ही मैं पुँछ बैठा “वास्तव में नींद नही आती हैं” दीपक ने बड़े ही आत्मविश्वास से हाँ बोला हाँ बोलते ही जैसे मैं तैयार ही बैठा था “फिर तो मुझे भी पिला “ मेरे ये कहने भर की देर थी की मेरे इस अज़ीज़ दोस्त ने सिगरेट तुरंत मेरी ओर करते हुए बोला “ख़राब मत करना” इससे उसका मतलब पीनी हे तो पीयो पर वेस्ट मत करना मेने भी बड़े तीसमारखा की तरह होंठों पर लगाई ओर धुआँ सीधा बाहर फैंक दिया मेरे इस नौसिखिएपन को देख दीपक नाराज़गी भरे अन्दाज़ से बोला “मेने कहा था ना ख़राब मत करना अंदर खिंचो “ मुझे सिखाने वाले अन्दाज़ से कहा मैंने भी उस सफ़ेद डंडी को वापस होंठों से लगाया ओर साँस को ज़ोर से अंदर खींचा। मुझे खाँसी तो नही आई पर साँस बाहर छोड़ते समय मुँह ओर नाक दोनो से धुआँ आ रहा था। सर अजीब तरीक़े से चकरा रहा ओर मन जैसे मस्त हो गया हो यूँ कहूँ की मुझे बहुत मज़ा आया तो शायद झूठ नही होगा ।मेने अब वो आधी बची सिगरेट वापस दीपक को नही दी मैं ही पी गया


दूसरे दिन मुझे कही जाना था मेने बड़ी ही स्टाइल से ओर गुमान से रोड पर, बाइक पर सिगरेट पी ओर पता नही मन ही मन ख़ुद को अब पहले से ज़्यादा डेशिंग ओर स्मार्ट भी मानने लगा था पर पता ही नही चला कब ये स्टाइल ओर डेशिंग के तौर पर शुरू की गई सिगरेट आदत ओर ज़रूरत बन गई ओर कब ये एक से दो ओर दो से चार ओर चार से पेकेट की गिनती पर आ गई। पता ही नही चला कब जेब में एलबेनलिबे की जगह पेकेट ओर लाईटर ने ले ली। अब हाल ये है किसी से मिलने से पहले भी पीनी तो मिलने के बाद भी,सुबह उठते ही तो सोने से पहले भी,नर्वस हू तो भी पीना तो ख़ुशी के आलम में भी ओर दिल टूट जाए तो लाज़मी बन गई ओर दारू में तो ख़ैर पीनी ही है।अब आदत बड़ी ही गंदी हो गई जो मुझे भी लगने लग गई थी अब गले में ख़राश ओर खाँसी भी रहने लगी हे अब दाँत पीले ओर होंठ जो सुर्ख़ गुलाबी हुआ करते थे उन पर कालिख भी आने लगी है। सब दिख रहा था मुझे पर ये आदत है जो छूटने का नाम ही नही ले रही कभी स्टाइल ओर गर्व की बात रही सिगरेट परिवार में मेरे लिए शर्मिंदगी भी बन रही थी पर कमबख़्त छूट नही रही थी।

फिर वो दिन भी आया मेने ख़ुद को जगाया ओर इस चुड़ैल से पीछा छुड़ायाआज ये सब लिखते हुए मुझे बड़ा अच्छा लग रहा हे मैं अब इसके चंगुल से आज़ाद हूँ ।

धूम्रपान स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational