बुरा सपना
बुरा सपना
Part 1 निशा और उसका बुरा सपना
निशा इस वक्त अपनी आंखें खोले बिस्तर पर पड़ी थी। वह अपने आप को बेजान लाश से भी ज्यादा बद्तर महसूस कर रही थी। वह अपने शरीर का कोई भी हिस्सा महसूस नहीं कर पा रही थी। सिवाय अपनी आंखों की पुतलियां को हिलाए वह कुछ नहीं कर रही थी। उसका पूरा शरीर ठंडा पड़ चुका था। लेकिन चेहरे पर पसीनों की धार भी थी। उसने अपने बिस्तर के सामने देखा। वहां एक लड़की खड़ी थी। जिसने सफेद रंग का कपड़े पहने हुए थे। सबसे ज्यादा डरावनी बात यह थी कि उसके चेहरे पर कोई भी नैन नक्श नहीं थे। ना आंखें ,ना नाक, ना होंठ। बिल्कुल सा सफ़ेद, बिना चेहरे वाली उस लड़की को देख निशा समझ गई यह कोई इंसान नहीं है ,वह यह भी समझ गई कि यह एक सपना है जो वह हर रात देखती है। फिर भी वहां से उठ कर भागना चाहती थी ,चिल्लाना चाहती थी लेकिन उसे वक्त उसका शरीर साथ नहीं दे रहा था। मानो किसी ने उसे गोंद लगाकर बिस्तर से चिपका दिया हो। निशा की धड़कने तब तेज़ हो गई जब वह लड़की उसके नजदीक धीरे-धीरे बढ़ने लग गई। निशा की सांसें तेज चलने लग गई। यह सब कुछ सेकंड्स में खत्म हो गया। निशा ने अपनी आंखें बंद कर दी और सीधा अगले सुबह वह नींद से जागी।
***
अगले दिन वह एक डॉक्टर के पास गई।
डॉक्टर विद्या : "इसे स्लीपिंग पैरालिसिस कहते हैं। तुम्हारी उम्र के लोगों में यह आम बात हो गई है। इसमें डरने जैसी कोई बात नहीं। मैं तुम्हें कुछ दवाइयां लिख कर देती हूं। साथ ही साथ मेडिटेशन करना और अपने दिमाग को शांत रखना जरूरी है। अपने गुस्से को काबू करना सीख लो, तो सब ठीक हो जाएगा।"
निशा:"डॉक्टर आप मुझे नींद की गोलियां दे दीजिए, ताकि मैं नींद में किसी के बाप से ना डर पाऊं।"
डॉक्टर विद्या:"निशा, तुमने यह लैंग्वेज कहांसे सीखी? तुम पहले से ही नींद की गोलियां ले रही हो। मैं तुम्हें और नहीं दे सकती। अब तुम जा सकती हो..।"
निशा वहां से दवाइयां के पर्ची उठाकर आंखों को मटकाए चली गई।
***
उसी रात निशा का 18 वा जन्मदिन था। उसके सारे दोस्त उसके बर्थडे पार्टी में आए थे। निशा के पापा ने निशा को बुलाया। उनके हाथ में एक गिफ्ट था। उन्होंने निशा को काउच पर बैठने के लिए कहा। निशा के बगल में वेदिका बैठी।
निशा के पापा:"बेबी, मैंने और तुम्हारी मॉम ने तुम्हारे लिए तुम्हारी तरह एक खूबसूरत तोहफा लाया है जो तुम्हें बहुत पसंद आएगा।"
तभी निशा को गुस्सा आया।
निशा:"डॅड प्लीज, वेदिका आपकी सेकंड वाइफ है, वह मेरी मॉम नहीं है, तो प्लीज मुझसे जबरदस्ती मत कीजिए।"
निशा के पापा उसे समझाते तभी वेदिका ने उन्हें इशारे से रोका।
वेदिका :" हैप्पी बर्थडे निशा।"
निशा ने वह प्रेसेंट खोल कर देखा। उसमें बहुत ही खूबसूरत सा नेकलेस था। निशा के पापा ने निशा को पहनाते हुए कहा:"देखा कितना खूबसूरत लग रहा है तुम पर।"
निशा थैंक्स कहकर चली गई।
****
निशा अपनी दोस्त सुहाना के साथ बैठी थी।
सुहाना:"कार्तिक आया है पार्टी में, कहा तुमने उससे कुछ?"
निशा:"मैंने? नहीं तो।"
सुहाना:" आई नो ,तुम उसे पसंद करती हो। मैंने उसे बता दिया था, एंड यू नो व्हाट ,वह तुमसे मिलना चाहता है ।आज रात ...उसकी कार में।"
निशा:"तुम भी न पागल हो। मैं क्या करूंगी उसके साथ कार में?"
सुहाना:"इतनी भी भोली नहीं है तू ,मैं जानती हूं तुम्हारा एक बॉयफ्रेंड रह चुका है। सीक्रेट बॉयफ्रेंड ।यह बात हर कोई जानता है ।बस उसका नाम कोई नहीं जानता ।अभी नाटक मत कर और चुपचाप इस चांस पर डांस कर।"
दोनों हंसने लगी।
***
निशा बाहर आई। वहां कुछ लड़के लड़कियां गाने की धुन पर नाच रहे थे । निशा वहां एक मैझ़ पर जाकर बैठी। तभी उसे किसी की आवाज सुनाई दी। "हैप्पी बर्थडे स्वीटहार्ट" निशा ने पीछे मुड़कर देखा ,पीछे डॉक्टर विद्या थी। डॉक्टर विद्या निशा के बगल में जाकर बैठ गई। निशाने "थैंक्स मॉम" कहा। डॉक्टर विद्या ने निशा के गले में नेकलेस देखा। उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा।
डॉक्टर विद्या: "लगता है ,डॅड अब तुम पर ध्यान देने लग गए हैं।"
निशा :"नहीं मॉम, यह भी उन्होंने लास्ट मिनिट में ही ऑर्डर किया होगा और उनकी सेकंड वाइफ ने डिलीवरी चार्ज दिए होंगे ।इसलिए तो उन्होंने कहा कि उन दोनों ने मिल कर मुझे यह गिफ्ट दिया।"
डॉक्टर विद्या: "कम से कम उन्होंने दिया तो सही और वेदिका अब तुम्हारी माॅम है, प्लीज रिस्पेक्ट हर।"
निशा:" मैं और वेदिका की रिस्पेक्ट? ×*"*"...।"
डॉक्टर विद्या:" निशा गाली नहीं, वह तुमसे बड़ी है। एनीवेस, तुमने मुझे यहां बुलाया इसके लिए थैंक्स। लेकिन तुम्हारे डॅड को पसंद नहीं इसलिए मैं तुम्हें गिफ्ट देकर जा रही हूं।"
डॉ विद्या ने निशा को एक ब्रेसलेट पहनाया। जिसमें सात बहुत ही अजीब दिखने वाले काले मोती थे।
डॉ विद्या:"जब मैं तुम्हारी उम्र की थी, तब मुझे भी स्लीपिंग पैरालाइज की प्रॉब्लम थी। डॉक्टर कहते ज्यादा तनाव की वजह से ऐसी प्रॉब्लम होती है। तब इसका इलाज कुछ नहीं था और आज भी इसका इलाज कुछ भी नहीं है। तब मेरी आंटी ने मुझे यह ब्रेसलेट पहनाया था। उन्होंने कहा इससे तुम अपने पिछले जन्म से मिल पाओगे। मतलब जो तुम पिछले जन्म में थी वह तुम्हें सपनों में दिखाई देगी। हो सकता है वह तुमसे कुछ कहना चाहती है।"
निशा हैरान हो गई।
निशा :"मॉम आप एक डॉक्टर हो, फिर भी ऐसी बातों पर विश्वास रखती हो?"
डॉ विद्या: "मैं तब तक यकीन नहीं करती थी जब तक मुझे वाकई में मेरे अतीत की परछाई नहीं देखी। उसने मुझसे तुम्हारे डॅड से शादी करने के लिए मना किया था। लेकिन मैं नहीं मानी और देखो क्या हो गया।"
डॉ विद्या ने वहां वेदिका को आते हुए देखा। डॉक्टर विद्या उठकर खड़ी हुई और निशा को बाय कहकर वहां से बाहर चली गई। वेदिका निशा से कुछ कहती की निशा भी उठकर चली गई। निशा ने देखा कार्तिक बाहर अपने कार की तरफ बढ़ रहा है। वह उसके पीछे गई। कार्तिक कार में बैक सीट पर बैठा। निशा भी उसमें बैठ गई। दोनों एक दूसरे के करीब आए। कार्तिक निशा के गर्दन पर अपने होंठ रगड़ रहा था। निशा भी आंखें बंद किये उस नशे में खोए जा रही थी। दोनों पूरे गर्म जोश के साथ एकदूसरे पर हावी हो रहे थे। निशा ने अपनी आंखें बंद कर रखी थी। तभी निशा के मुंह से एक नाम निकला "सुहाना"... कार्तिक मानो किसी बुरे सपने से हड़बड़ा कर उठ गया हो। उसे पता था कि निशा का कोई एक्स बॉयफ्रेंड है। अगर उसने अपने बॉयफ्रेंड का नाम लिया होता। तो शायद कार्तिक को इतना बुरा नहीं लगता लेकिन निशा के मुंह से उसकी सहेली का नाम सुनकर कार्तिक को झटका सा लगा। उसके मन में रोमांस की जगह घीन आ गई। निशा को समझ नहीं आया अभी-अभी क्या हुआ ।उसके मन में कभी भी सुहाना के लिए ऐसी कोई भावना थी ही नहीं। तो उसे भला सुहाना का नाम क्यों लेना था। कार्तिक से ज्यादा हैरान निशा हो गई। वह शर्म के मारे कार्तिक से नजर नहीं मिला पा रही थी वह कार से बाहर उतरी और बिना कुछ कहे वहां से जाने लगी।
part 2 - पिछले जन्म की परछाई
रात के 11 बज रहे थे। निशा अपने कमरे में आई। उसके चेहरे पर हैरानी थी। की भला एक लड़की का नाम क्यों उसके जूबान पर आ सकता है ,वह भी तब जब वह किसी लड़के के बाहों में थी। निशा ने सामने रखी नींद की दवाइयां उठाई और उनमें से तीन गोलियां ले ली। जबकि उसे सिर्फ एक गोली खाने के लिए कहा गया था। निशा बिस्तर पर लेट गई और अपने आंखों बंद करके दिमाग को शांत रखने की कोशिश करने लग गई ताकि उसे शांत नींद आ सके।
कुछ देर बाद उसकी आंखें खुली। उसने अपने आप को एक अंजान जगह पर पाया। एक ऐसी जगह जहां वह कभी नहीं गई थी और वह जगह थी कब्रिस्तान। जो किसी जंगल के बीच थी। वहां पर सिर्फ एक कब्र थी। जिसके ऊपर निशा ने अपने आप को पाया। निशा हड़बड़ा कर कब्र से नीचे उतरी। वह बस यही सोच रही थी, कि अपने कमरे के बिस्तर से वह सीधा यहां कैसे आ गई। उसके सांसें तेज चलने लग गई। उसने अपने इर्द-गिर्द देखा। वहां निशा, उसकी तेज धड़कने, चारों तरफ़ सन्नाटा और उसके अकेलेपन के अलावा कुछ नहीं था। तभी उसकी नजर सामने गई। वहां एक लड़का पीठ दिखाएं सामने की तरफ जा रहा था। निशा को एक राहत मिली। वह उस लड़के के पीछे तेजी से गई। लेकिन बीच में अचानक से सुहाना आ गई। अब सुहाना इतनी रात के यहां क्या कर रही है यही वह उसे पूछनेवाली थी। लेकिन निशा एक शब्द भी नहीं बोल पाई। क्योंकि सुहाना बड़ी अजीब मुस्कुराहट लेकर निशा को नशीली आंखों से देख रही थी। निशा ने उससे पूछा भी लेकिन मानो सुहाना के कान पर निशा क शब्द पहुंच ही नहीं रहे। सुहाना हल्के से आगे बढ़ी और उसने अपने दोनों हाथों से निशा का चेहरा पकड़ा। धीरे-धीरे सुहाना निशा को अपनी तरफ खींचने लगी ।सुहाना अपने होंठ निशा के होंठ के करीब लाने लग गई। निशाने उसे जैसे ही धक्का देना चाहा निशा की नींद खुल गई। पहली बार था जब निशा को इतना अजीब सपना आया हो। लेकिन निशा अब भी स्लीपिंग पैरालिसिस को महसूस कर रही थी ।उसका शरीर हर बार की तरह उसका साथ नहीं दे रहा था ।उसने अपनी आंखों की पुतलियां घूमा कर सामने देखा। वहां वही लड़की खड़ी थी जो हर रात उसे वहीं दिखती है। इसके वजह से निशा इतनी घबरा जाती थी कि वह बिस्तर से हिल डुल भी नहीं पाती थी। पर आज पहली बार उसे लड़की का चेहरा दिखा।वह लड़की दिखने में बिल्कुल भी निशा की तरह नहीं थी। लंबे काले घने बाल, काली भोईयां, काली आखें, लंबी सी नुकीली नाक, जिस पर चांदी के रंग की बाली, लाल होंठ, नाक के नजदीक काला तिल और पूरे जिस्म का रंग इतना गोरा की उस अंधेरे में भी चमक रहा था। बदन पर सफेद ज़ीना कपड़ा। जिसमें से उसका जिस्म हल्के से झांक रहा था।आंखों में नशा कूट-कूट कर भरा हुआ, जो देखे उसके बदन मे बिजली की तार दौड़ जाए और मुस्कान ऐसी कि किसी के भी दिल में हवस का तीर चला दे। निशा ने शायद ही इतनी खूबसूरत लड़की पहले कभी देखी होगी। वह समझ गई यही वह लड़की है जो हर रात बिना चेहरे के उसको दिखती थी । आज पहली बार उसका चेहरा दिखा वह भी इतना खूबसूरत। निशा ने अपनी आंखें बंद कर ली और एक गहरी नींद सो गई।
***
अगले सुबह निशा अपने क्लासरूम में कुछ नोट्स लिखते हुए बैठी थी ।तभी वहां सुहाना आई ।वह हर रोज की तरह उसके बारे में ,सपने के बारे में पूछ रही थी ।की क्या कल रात उसे वहीं सपना आया या नहीं। लेकिन निशा उसे टाल रही थी ।वह उसे उस सपने के बारे में नहीं बताना चाहती थी। जहां उसने सुहाना को उसके साथ वह सब करते हुए देखा ।निशा ने बात घुमाकर उसे कार्तिक के बारे में पूछा ।
निशा :"वह सब छोड़ , सपनों का क्या है, आते जाते रहते हैं ।यह बता ..कार्तिक से कुछ बात हुई ?"
सुहाना:" नहीं ..वह तुम्हारे बारे में कुछ बोलना ही नहीं चाहता। क्या हुआ? कहीं उसे उस जगह काटा तो नहीं था तुमने ??"
निशा:" मैं क्यों काटूंगी भला ?अच्छा वह आया तो है ना ?"
सुहाना :"हां सुबह ही मैं उससे मिली... तुम कैंटीन में उससे मिल लेना ।"
निशा ने हां मैं सर हिलाया।
***
निशा कैंटीन में कार्तिक से मिलने गई। कार्तिक वहां अपने दोस्तों के बीच बैठा था। निशा को लगा कार्तिक उसे इग्नोर कर देगा ,लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ ।निशा को दूर आते देख कार्तिक उठ गया और उसकी तरफ बढ़ा ।उसने निशा को इशारे से बाहर आने के लिए कहा। दोनों कैंटीन के बाहर आए ।वहां बहुत कम लोग थे ।निशाने मौका देखकर उससे बात की।
निशा:" कल रात जो कुछ भी हुआ.. प्लीज तुम उसके बारे में किसी को मत बताना ।"
कार्तिक :"नहीं मैं किसी को नहीं बताऊंगा ।मैं जानता हूं किसी की कुछ डार्क फेंटेसी होती है । मेरी भी है कि मैं अपनी उम्र से तिनगुना ज्यादा बड़ी औरत के साथ रात बिताना चाहता हूं । मेरे एक दोस्त की भी है ,उसने कहा वह एक ट्रांसजेंडर को डेट करना चाहता है ।अब अगर तुम्हारी भी है कि तुम लड़का और लड़की दोनों को पसंद करती हो तो इसमें कुछ भी खराबी नहीं है ।"
निशाने हड़बड़ा कर अपने गुस्से को काबू किया।
निशा:" नहीं.. मैं तुम जैसी नहीं हूं ।मेरा मतलब मुझे सिर्फ और सिर्फ लड़के पसंद है ।आज तक मैंने सिर्फ लड़कों को ही डेट क्या है और आगे भी करूंगी ..और मेरी कोई खास डार्क फैंटेसी नहीं है ।प्लीज मुझे ऐसे किसी के भी साथ कंपेयर करना बंद करो ।"
निशा वहां से चली गई उसके मन में बहुत ही अजीब सी अपने आपके लिए घिन आ रही थी। उसे यकीन नहीं आया कि वह एक इतनी घटिया लड़की हो सकती है। वह अपने आप को कोसें जा रही थी।
****
कुछ दिन बीत गए । निशा ने अपनी नींद की दवाइयां लेना बंद कर दिया था। ताकि उसे नींद ना सके ।अगर नींद नहीं आयेंगी,तो इतनी अजीब सपने भी नहीं आएंगे और ना ही वह लड़की दिखाई देंगी। लेकिन निशा ने नींद की दवाइयां लेना बंद तो किया लेकिन उसको अच्छे से नींद आने लग गई ।बिना किसी अजीब सपनों के ,बिना किसी स्लीपिंग पैरालिसिस के। वह अच्छी शांत नींद सो रही थी। उसने अपने आपमें यह बात परखीं ,कि वह बिना नींद की गोलि के अच्छी नींद सो सकती है।
***
ऐसे ही एक रात निशा बिना गोली के सो गई ।उसे बहुत ही गहरी नींद लग गई ।लेकिन बीच में उसकी नींद खुल गई। क्योंकि उसे तेज प्यास लग रही थी। वह बिस्तर से उठी ।वह कमरे से बाहर जान ही वाली थी कि उसकी नजर एक कुर्सी पर पड़ी। जहां वही कल रात वाली लड़की बैठी थी। उसने निशा से कहा "कैसी हो?" निशा को पता था यह कोई सपना नहीं है। वह उसके करीब गई । "कौन हो तुम ? यहां क्या कर रही हो ?"वह लड़की उठ खड़ी हुई उसने कहा :" तुम मुझे शालू कह सकती हो ।मेरा नाम शालिनी है। तुम कैसे हो निशांत ?"
निशा :"कौन निशांत ???"
शालू :"अरे माफ कर देना, मैंने तुम इस नाम से पुकारा। वैसे इतनी रात की तुम कहां जा रही हो।"
निशा कुटिलता भरी हंसी हंसने के बाद
निशा :"मेरे घर में आकर तुम मुझे यह सवाल कर रही हो ???जाती हो या मैं पुलिस को बुलाऊं?"
शालू के चेहरे पर कुटिलता भरी मुस्कान आई।
शालू :"भला मुर्दों के लिए भी कोई लॉकअप होता है ?"
निशा को समझ नहीं आया कि शालू ने ऐसा क्यों कहा ।शालू ने इशारे से निशा को पीछे मुड़कर देखने के लिए कहा । निशा को समझ नहीं आया कि उसे क्या करना चाहिए। फिर भी शालू कुछ देखने के लिए कह रही थी ।इसलिए वह पीछे मुड़ी ।वह नजारा देख निशा के पर पैरों तले जमीन खिसक गई ।क्योंकि यह वाकई में एक सपना था । निशा बिस्तर पर सो रही थी और फिलहाल निशा की आत्मा ही थी जो पानी पीने के लिए कमरे से बाहर जाने वाली थी ,जिसने शालू से बात की। निशा अपने बिस्तर की तरफ बढ़ी और अपने आप को इत्मीनान से सोते हुए देख रही थी।
Part - 3 सौदा
निशा के लिए यह सब बहुत ही अजीब था। उसे समझ नहीं आ रहा था।कुछ सेकंड्स के लिए वही जम गई। पीछे से शालू ने उसके कानों में कहा 'गुडनाइट'। निशा इतनी जोर से हड़बड़ा गई की सीधा उसकी नींद खुल गई।
निशा ने देखा यह वाकई में एक सपना था।निशा की हिम्मत नहीं हो रही थी कि वह पानी पीने के लिए कमरे से बाहर जा सके। वह बिस्तर से भी नीचे नहीं उतारना चाहती थी।न रहकर उसे बिना पानी पिए ही सो जाना पड़ा।
अगले सुबह जब निशा की नींद खुली, तब उसने पाया कि सामने शालू खड़ी है।निशा ने आंख खोलने पर सबसे पहले शालू को देखा था।अब तक वह यह समझ रही थी कि यह सिर्फ सपना था।लेकिन शालू अब उसे हकीकत में दिखने लगी थी।निशा ने शालू को गौर से देखा। शालू के पांव अपने घुटनों से मुड़े हुए थे।यानी कि मानो वह घुटनों के बल किसी अदृश्य चीज पर बैठी हो।वह जमीन से कुछ 4 फीट की दूरी पर हवा पर तैर रही थी।निशा की सांसें फूलने लगी। उसने वाकई में इससे पहले ऐसा कुछ महसूस नहीं किया था।उसे ऐसी कोई उम्मीद नहीं थी, कि जो सब उसके नींद में आता हो या स्लीपिंग पैरालिसिस के दौरान दिखता हो, वह असल जिंदगी में भी उसके सामने इस तरह से आएगा। शालू मंद मंद मुस्कुराए निशा की तरफ बढ़ने ही लगी थी, की निशा शालू को अपनी तरफ आता देख डरके मारे जोर-जोर से चिल्लाने लगी। उसकी चिख पुकार सुनकर उसके डॅड और वेदिका भागकर उसके कमरे में आए। उसके डॅड ने निशा को संभालने की कोशिश की। लेकिन निशा बार-बार शालू की तरफ उंगली कीये उसे वहां से निकल जाने के लिए कह रही थी। लेकिन जहां निशा उंगली कर रही थी वहां शालू नहीं वेदिका खड़ी थी। वहां खड़ी वेदिका यही सोच रही थी कि 'मैं तो बस अभी अभी आई हूं मैंने क्या किया।' लेकिन फिर भी वेदिका निशा के डॅड के कहने पर वहां से चली गई।
डॅड :"निशा.. निशा होश में आओ,वह जा चुकी है।"
निशा ने आंखें खोल कर देखा वाकई में शालू वहां नहीं थी। निशा क डॅड बार-बार निशा से पूछ रहे थे कि वह क्यों चिल्ला रही थी। लेकिन निशा ने अपने स्लीपिंग पैरालिसिस और अपने सपनों के बारे में अपने डॅड से छुपाया था।इसलिए वह यह भी नहीं बताना चाहती थी।
उसने कहा:" कुछ नहीं डॅड...बस बुरा सपना था डर गई ...।"
निशा बिस्तर से उतर कर अपने बाथरूम में चली गई।
निशा ने डॉक्टर विद्या से फोन पर बात की।
निशा :"मॉम क्या आप मुझे बता सकती है, आपकी, जिस आंटी ने आपको यह ब्रेसलेट पहनाया था उनका कोई कांटेक्ट नंबर है या कोई एड्रेस है?"
डॉ विद्या अपने घरके किचन में कुछ काम कर रही थी।
डॉक्टर विद्या:" हां मैं तुम्हें उनका एड्रेस और नंबर दे सकती हूं, लेकिन तुम्हें किस लिए चाहिए ?"
निशा:" मॉम, आपको वाकई में लगता है मैं इसका का जवाब दूंगी ?"
डॉ विद्या मुस्कुराने लगी।
डॉ विद्या :"नहीं.. मैं भला यह क्यों भूल जाती हूं कि मैं अपने ही पति के फीमेल वर्जन के साथ बात कर रही हूं।"
निशा :"मुझे उनका कांटेक्ट नंबर एड्रेस व्हाट्सएप कर दजिए।"
डॉक्टर विद्या:" हां लेकिन कोई फायदा नहीं।क्योंकि वह यहां नहीं रहती।वह अपने बेटे और बहू के साथ न्यूयॉर्क रहती है।वहां कोई टैरो कार्ड जैसा कोई काम करती है बहुत अच्छी खासी इनकम आती है उनकी।"
न्यूयॉर्क का नाम सुनकर निशा की उम्मीद टूट गई।
उसने बिना कुछ ज्यादा कहे फोन रख दिया।
****
निशा शाम को घर लौटी। उसके डॅड उसका इंतजार कर रहे थे जैसे निशा घर के अंदर आई, उन्होंने निशासे काउच पर बैठने के लिए कहा।
निशा के डॅड :"निशा, मुझे तुम्हारी दोस्त सुहाना से पता चला कि तुम्हें बार-बार बुरे सपने आते रहते हैं.. उसने ज्यादा कुछ नहीं बताया वरना तुम उससे नाराज हो जाती।तो मैंने यह डिसाइड किया है की तुम अपने दादी के पास हरियाणा जाओगी। हो सकता है जगह बदलने पर तुम्हें अच्छे रिजल्ट मिले।"
निशा हरियाणा बिल्कुल नहीं जाना चाहती थी। लेकिन वह इस वक्त कुछ नहीं कह सकती थी।क्योंकि निशा अपनी दादी के करीब थी। उसे अपनी दादी के घर जाना इतना भी बुरा नहीं लग रहा। फिर भी यह समझकर की वेदिका ने हीं कुछ कहा होगा।वह वेदिका को आंखें दिखा कर अपने कमरे में चली गई।
निशा अपने कमरे में गई, तब शालू वही थी। निशा फिर से चिल्लाने वाली थी, तभी शालू ने कहा।
शालू :" अरे अरे कितनी डरपोक हो तुम ....।मैं जानती थी तुम मुझसे डर जाओगी। इसलिए तो मैं हर रात तुमसे मिलती थी।अब तो तुम्हें मेरी आदत हो जानी चाहिए थी।"
निशा ने अपनी चिख दबा दी थी।
निशा:" तुम सपना हो या रियलिटी ?'
शालू :"मैं तुम्हारा सपना हूं जो तुम्हें हकीकत में भी दिखाई दे सकती हूं और सिर्फ तुम ही हो जो मुझसे बात कर सकती हो, मुझे देख सकती हो।"
निशा :"लेकिन मुझे ही क्यों ?...क्या तुम वह हो जो मैं पिछले जन्ममें थी ?"
शालू एक गाना गाने लग गई।
#तेरा मुझे है पहलेका नाता कोई
यूं ही नहीं दिल लुभाता कोई
जाने तु या जानेना #
निशाने उसे चुप हो जानेके लिए कहा।
शालू:" देखो मैं क्या हूं क्यों हूं इसके बारे में बाद में बात करते हैं।मुझे बस तुम से कुछ चाहिए था... दे पाओगी ??"
निशा थोड़ी हैरान हो गई।
शालू :" हम डील करते हैं। मैं तम्हें कुछ करने के लिए कहूंगी ..बदले में तुम जो मांगोंगी मैं तुम्हें दे दूंगी...। बोलो मंज़ूर है ?"
निशा :"क्या करने को कह रही हो तुम ?"
शालू :"वही जो तुम अपने एक्स के साथ किया करती थी।मुझे जो लड़का पसंद आएगा तुम्हें उसकी गर्लफ्रेंड बनना पड़ेगा और जब बात रात बिताने की आएगी, तब मैं तुम्हारे शरीर में प्रवेश करूंगी। शरीर तुम्हारा होगा लेकिन आत्मा मेरी ..।
निशा:" इससे तुम्हें क्या मिलेगा ???"
शालू :"सेटिस्फेक्शन ....ऑर्गेज्म..... जो मुझ जीतेजी नहीं मिला।"
निशा:" इस काम के लिए तुमने मुझे ही क्यों चुना ??"
शालू :"क्योंकि तुम सबसे हॉट और अट्रैक्टिव हो। तुम्हारा जो एटीट्यूड है वह किसी को भी झुका सकता है। मुझे ऐसी लड़की शायद ही कहीं मिलती।"
निशा :"तुम्हें क्या मैं ऐसी लड़की लगती हूं ???जो तुम्हारे कहने पर किस के भी साथ सो जाऊंगी ???"
शालू :"ओ कम ऑन निशा.. इतनी भी सती सावित्री मत बनो।मैं जानती हूं तुम क्या हो।इतने सालों से मैं तुम्हारे साथ रही हूं।रिलैक्स.. जब मैं तुम्हारे शरीर में प्रवेश करूंगी तब सामने वाला जो कुछ भी करेगा वह मेरे साथ करेगा ना कि तुम्हारे साथ।"
निशा थोड़ा सोच मे पड़ गई।
वह सामने एक कुर्सी पर जा बैठी।शालू अपने मुड़े हुए पैरों से हवा में तैरते हुए के निशा के पास आई। निशा ने शालू की तरफ देखा।
निशा :"इसमें मेरा क्या फायदा ?"
शालू :"फायदा ही फायदा है...। बदले में तुम जो मांगोंगी, वह मैं तुम्हें दे दूंगी। यकीन नहीं आता तो आजमाके देख लो।"
निशा फिर से सोच में पड़ गई।उसने अपनी इर्द-गिर्द नजर घुमाई। उसके सामने उसका पर्स पड़ा था। उसने पर्स उठाया जो की पूरी तरह से खाली था।उसने शालू को पर्स दिखाते हुए कहा।
"तुम इसमें पूरे ₹100000 भर सकती हो ?"
शालू मन ही मन मुस्कुरा कर वह सामने बाल्कनी की तरफ बढ़ी। उसने अपने बालों को सहाराते हुए कहा।
" ठीक है "
निशाने वह पर्स टेबल पर पटका। लेकिन टेबल पर पटकते समय उस पर्स से आवाज आई। मानो पर्स भारी हो। उसने धड़कते दिल के साथ पर्स उठाया। वाकई में उसमें 2000 की नोटों का बंडल था।निशा ने सांस अंदर खींचते हुए वह बंडल बाहर निकाला और उसके नोट चेक कीए की असली है या नहीं।
शालू ने उसके तरफ बढ़ ते हुए कहा।
"असली है.. और पूरे 100000 रुपए है।चाहो तो गिन कर दख लो।"
निशा बहुत ही हैरान हो चुकी थी।
"इतने सारे पैसे तुम्हें कहां से मिले ?"
शालू ने मुस्कुराते हुए कहा
"तुम्हें ₹100000 मिल चुके हैं... अब तुम्हें मेरा काम करना हीं होगा।"
निशाने पैसे अपने अलमारी में रखते हुए कहा
"ठीक है लेकिन तुमने मेरा एक काम किया है .. तो मैं भी सिर्फ एकबार ही तुम्हारा कहना मानूंगी ...।"
शालू ने हाथ बढ़ाया और कहां
"तो फिर डील पक्की ?"
निशा ने उसे मुस्कुराते हुए शालू से हाथ मिलाकर कहा।
" पक्की"
Part 4 नाईट ओवर
निशा:"हां लेकिन सबसे पहले मैं तय करूंगी , ओके?"
शालू ने पहला मौका दिया।"ओके।"
निशा ने अपने फोन पर कार्तिक का नंबर ढूंढा। क्योंकि एक वही था जिस पर निशा यकीन कर सकती थी। उसे याद आया कि उसने कार्तिक का नंबर ब्लोक किया था। अगर कार्तिक ने भी उसका नंबर ब्लॉक किया होगा तो मुश्किल हो सकती थी। लेकिन ख़ुश किस्मत से कार्तिक ने निशा का मैसेज भेजते ही पढ़ लिया था।
उसने उछल कर शालू से कहा।
निशा :"थैंकस गॉड,कार्तिक ऑनलाइन है। "
शालू :"लेकिन तुमने तो इसको इंसल्ट किया था... तुम इससे नजरें मिला पाओगी? अगर मैं तुम्हारी जगह होती तो कभी उससे बात नहीं करती जिससे मैंने खुद ब्रेक अप किया था।"
निशा सोच में पड़ गई। वाकई में उसने आज तक किसी को ब्लॉक करके फिर से अनब्लॉक नहीं किया था। ना ही फ़ोन पर और ना ही ज़िन्दगी में। यह बात उसके ईगो को ठेस पहुंचा रही थी।
लेकिन अब उसने शालू से ₹100000 लिये थे तो अब उसे कुछ तो करना ही था।
(व्हाट्सप्प ऍप )
कार्तिक: हाय कैसी हो?
निशा: मैं ठीक हूं क्या तुम बिजी हो ?
कार्तिक: नहीं तो बोलो क्या बात है?
निशा: मुझे कुछ नोट्स लिखने है ।मैं आज रात तुम्हारे घर ओवर नाइट के लिए आ जाऊं?
कार्तिक :हां ठीक है कौन-कौन आ रहा है? ताकि मैं अपने मॉम की परमिशन ले सकूं?
निशा :सिर्फ मैं आ रही हूं। ईफ यू डॉन'ट माइंड।
कार्तिक: हां जरूर क्यों नहीं। तुम प्लीज आ जाओ। मैं मॉम से बात कर लूंगा।
निशा ने फोन रखा। उसने पीछे पलट कर शालू की तरफ देखा।
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निशा नीचे आई। वेदिका नीचे डाइनिंग टेबल पर खाना लगा रही थी।
निशा: " मैं अपने फ्रेंड के घर नोट्स लिखने जा रही हूं ।अगर देर हो गई तो आज रात मैं वहीं रूकूंगी। डैड से कह देना।"
वेदिका:" निशा , अभी काफी देर हो चुकी है ।क्या जाना जरूरी है? और तुम जिस फ्रेंड के घर जा रही हो उसका नंबर तुम्हारे डैड के पास है?"
निशा ने झल्लाकर कहा।
निशा:"तुम मेरी मां नहीं हो ।कभी बनने की कोशिश भी मत करना। तुम्हारे लिए इतना जानना काफी है। अगर मैं चाहती तो तुम्हें बिना बताए जा सकती थी और सीधा डैड से मैसेज कर देती। अब बता दिया है तो ज्यादा हवा में उड़ो मत।"
निशा गुस्से से बाहर चली गई। शालू भी हवा में तैरते हुए उसके पीछे गई।
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निशा ने दरवाजा खटखटाया। कार्तिक मानो उसका ही इंतजार कर रहा हो। उसने तुरंत दरवाजा खोला। निशा को सामने देख उसे अलग ही खुशी हो रही थी। उसने निशा का स्वागत किया।
कार्तिक:" डैड हमेशा काम के वजह से घर से दूर रहते हैं... और मॉम भी हमेशा अपने कामों में बिजी रहती है। हमेशा अकेला रहता हूं यहां । अच्छा तुम आ गई।"
निशा ने घर पर नजर घूमता हुए कहा।
निशा :"साफ-साफ कहो ना कि हम दोनों ही है यहां पर । घर काफी अच्छा है । तुम्हारा कमरा होगा यहां पर ?"
कार्तिक निशा को अपने कमरे तक ले गया। निशा ने कमरे में देखा। कार्तिक का कमरा काफी बिखरा हुआ था। प्लेस्टेशन, बुक्स इन सबकी कोई खास जगह थी ही नहीं।
निशा ने कार्तिक की तरफ देखा और अपना जैकेट उतारा। उसने जैकेट के अंदर कुछ नहीं पहना था। सिवाय एक काली ब्रा के। काली ब्रा और नीले रंग की जींस में निशा को देख कार्तिक के बदन में अलग सी चिंगारी दौड़ने लगी। ब्रा के आखिरी कोने से लेकर जींस के बेल्ट तक निशा का घुमावदार शरीर आकर्षित कर रहा था। कार्तिक कुछ कहता निशा ने उसे गले से लगाया।
निशा:"उस रात हम दोनों के बीच बहुत कुछ हो सकता था। लेकिन मेरी बेवकूफी के वजह से हमें वह सब बीच में ही छोड़ना पड़ा। उसके बाद मानो मेरे शरीर में एक अजीब सी गर्मी दौड़ रही थी। प्लीज इसे बूझा दो। इसके बाद हम दोनों कभी नहीं मिलेंगे।"
कार्तिक के लिए निशा इस वक्त सिर्फ एक तपता बदन थी। निशा और कार्तिक की धड़कने तेज धड़कने लगी। कार्तिक की इसलिए क्योंकि निशा उसके बाहो में थी और निशा की इसलिए क्योंकि वह इस वक्त सिर्फ शालू को देखे जा रही थी। वह बस यही सोच रही थी कि अगर कोई आत्मा उसके शरीर में प्रवेश करेगी तो असल में क्या होगा। एक अजीब सा डर उस पर हावी हो रहा था। शालू बस मंद मंद मुस्करा रही थी। निशा बस इस बात का इंतजार कर रही थी, की कब शालू उसके शरीर में प्रवेश करेंगी । अब उसके मन में शक पनपने लगा। क्या वाकई में शालू वह करेगी जो उसने कहा था। कार्तिक ने कुछ बडबडाते हुए निशा को अपनी बाहों में उठाकर बिस्तर पर लेटा दिया। निशा ने फिर से शालू की तरफ देखा, लेकिन वहां शालू नहीं थी। निशा कुछ सोच पाए उससे पहले उसकी नजर फिर से कार्तिक पर गई। कार्तिक उसके ऊपर बैठकर अपना शर्ट उतार रहा था। बिना पलक झपकते ही शालू कार्तिक के ऊपर से हवा में तैरते हुए अचानक सामने आई और निशा के शरीर में घुस गई।
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निशा की नींद सीधा अगली सुबह खुली। उसे पिछली रात का कुछ भी याद नहीं था। उसका सर बहुत भारी लग रहा था। उसे ऐसा महसूस हो रहा था की पूरे शरीर पर मानो बहुत ज्यादा बोज रख दिया हो। उसने अपने पैर सीधे किया। बहुत ही अजीब सी जकड़न महसूस हो रही थी। मानो कई घंटे तक पैरों को मुड़कर रखा गया हो। दर्द से कहराते हुए वह बिस्तर से नीचे उतरी। उसने अपने आसपास नजर घुमाई। वहां ना तो शालू थी और ना हीं कार्तिक था। उसने अपने कपड़े पहनना शुरू किये। तभी अचानक कार्तिक कमरे में आया।
निशा :"तुम्हें नौक करके आना चाहिए।"
कार्तिक:"मेरी नींद जल्दी खुल गई थी ,इसलिए मैं तुम्हारे लिए कॉफी लेकर आया हूं ।"
कार्तिक के दोनों हाथ मे कॉफी के मग थे। वह अंदर आया। कॉफी साइड टेबल पर रखकर उसने निशा से कहा।
कार्तिक:"तुम वॉशरूम जा रही हो ना?"
निशा ने अपने जैकेट की झी़प लगाते हुए कहा।
निशा:" नहीं मैं घर वापस जा रही हुं ,बहुत देर हो गई।"
कार्तिक :"अरे मुझे लगा कि हम दोनों साथ में नहांएंगे भी। क्या हुआ ?कल रात मैंने कोई गलती कर दी क्या?"
निशा ने नज़रे चुराते हुए।
निशा:"नहीं मुझे बस जाना है ...बस।"
कार्तिक :"कल तुम अलग ही नशे में थी। अगर मैं तुम्हें बेड पर लेटा देता तो तुम उसी वक्त सो जाती । मैंने कभी किसी लड़की को इतना एंजॉय करते हुए नहीं देखा। मुझे अंदाजा नहीं था कि तुम्हें इतनी रफ़ चीजे पसंद है। तुमने तो मुझे लिटरली रुला दिया था।"
निशा ने गुस्से में झल्लाते हुए कहा ।
निशा:"कहा न मुझे कुछ नहीं सुनना। फिर भीतुम हो के मना करने के बावजूद भी बोले जा रहे हो। चाइल्डिश।...जैसा कि मैं तुम्हें पहले कहा था, हमारे बीच सब कुछ आखिरी बार होगा। तुम यादहोगा ना।"
कार्तिक एकदम से चुप हो गया। उसने हां में सर हिलाया। निशा अपना बैग लेकर वहां से चली गई।
Part 5 न्यूयॉर्क
निशा अपने घर पहुंची। घर पहुंचते समय उसके मन में बस एक ही बात थी ।क्या वाकई में कल रात शालू वहां थी भी या नहीं। वह घर के अंदर आई, उसके पापा उसका इंतजार कर रहे थे।
डैड:"निशा, रुको। बेटा क्या इतना जरूरी काम था कि तुम्हें इतनी रात को किसी के घर रुकना पड़ा?"
निशा:" डैड,में वेदिका को बता कर गई थी और अगर नोट्स लिखना इतना जरूरी ना होता तो नहीं जाती। आपको तो पता ही है कि मुझे नींद की प्रॉब्लम है। आपने मेरी जासूसी जो की थी। नींद की वजह से ही मेरे आधे से ज्यादा काम नहीं हो पाते।"
तभी वहां खड़ी वेदिका भी बोल पड़ी।
वेदिका:" निशा डैड को तुम्हारी चिंता थी। तुमने कुछ नहीं बताया इसलिए तो उन्होंने सुहाना से पूछा। इसे जासूसी नहीं कहते हैं बेटी।"
निशाने फिरसे वेदिका पर गुस्सा किया।
निशा :"मेरे और मेरे डैड के बीच की बात है।... डॉन'ट इटरफेयर।... मैं तुमसे हजार बार कह चुकी हूं ,मुझे बेटी मत कहो।"
निशा के पापा ने निशा को समझाते हुए कहा।
डैड:"निशा माइंड योर लैंग्वेज, तुमसे बड़ी है और अपने से बड़ो से ऐसी बात नहीं करते। मैं सिर्फ यही कह रहा हूं कि तुम्हें मूझसे पूछ कर जाना चाहिए था।"
अब निशा को बोलने के लिए कुछ नहीं था। वह बिना कुछ बोले ऊपर अपने कमरे में चली गई।
****
कमरे में जाते ही उसकी नजर शालू पर पड़ी, जो वहां एक कुर्सी पर बैठी थी। निशा उसे देखकर एकदम से गुस्से से चौंक गई।
निशा:" तूम यहां कब आई? तुम कल रात वहां थी भी या नहीं?"
शालू ने अंगड़ाइयां लेते हुए।
शालू:" ओह निशा... शेर से पूछ रही हो उसने कीया हुआ शिकार पेट भर के खाया या नहीं? मुझे कल रात बहुत मज़ा आया । कार्तिक बहुत अच्छा लड़का है। बेचारे को मैंने रुला ही दिया था।"
शालू अपने गाल में हंसने लगी। उसने निशा की तरफ देखा। निशा गुस्से में दिख रही थी। शालू ने अपने हाथ से मुंह पर ढक कर हंसी रोकते हुए कहा।
शालू :"में बस यह कह रही हूं, कि हमें एक और बार कार्तिक के पास जाना चाहिए।"
वापस जाने का नाम सुनकर निशा किसी ज्वालामुखी की तरह फट पड़ी।
निशा:" पागल हो गई हो तुम? मैंने कल रात ही तुम्हारे सामने कहा था कि 'हम उसके बाद कभी नहीं मिलेंगे' और अब तुम फिर उसके पास जाने के लिए कर रही हो?"
निशा को इस तरह से गुस्से में देख शालू कुर्सी से उठ हवा में खड़ी हुई। वह निशा की तरफ उसे समझाते हुए आई।
शालू :"रिलैक्स रिलैक्स, इतना भी क्या गुस्सा करना? अरे मैं तो सिर्फ मजाक कर रही थी। ठीक है, अब अपनी अगली विश बताओ।"
विश का नाम सुनकर निशा चुप हो गई।
निशा:"विश? कैसी विश? मुझे कुछ नहीं चाहिए ।"
शालू:" तो क्या तुम पूरी जिंदगी एक लाख रुपए में काट लोगी?"
उसी वक्त निशा के कमरे के दरवाजे पर दस्तक हुई। निशा और शालू चुप हो गई। निशा ने अंदर आने के लिए कहा। उसके पापा अंदर आए। निशा बिना एक शब्द बोले अपने बिस्तर पर बैठ गई और अपने हाथ में एक किताब लेकर उसे पढ़ने का दिखावा करने लगी। पापा समझ गए कि निशा बहुत नाराज़ है। वह उसके सामने बैठे।
डैड:"निशा तूमने मुझे कभी बताया नहीं कि तुम्हें बहुत ही डरावने सपने आते रहते हैं ।लेकिन यह बात तुमने अपनी मॉम को बताई ।क्या तुम सोच सकती हो मुझे कितना बुरा लगा कि तूम अपनी मॉम पर भरोसा करती हो मुझ पर नहीं ।...एनीवेज यह तुम्हारा पर्सनल डिसीजन कि तुम्हें इस बारे में कीसे बताना चाहिए और किससे नहीं। मैं इसके खिलाफ भी नहीं हूं ।मैं बस तुम्हारे अच्छी सेहत भरी जिंदगी चाहता हूं और इतनी रात के किसी और के घर रूकना ,मुझे वाकई में सही नहीं लगा।.. लेकिन मैं समझ सकता हूं ,तुम्हारा जाना बहुत जरूरी था इसीलिए तुम गई। इतना तो भरोसा है मुझे तुम पर ।...अब जल्दी से तैयार हो जाओ मैं और वेदिका तुम्हें हरियाणा भेज रहे हैं ।हरियाणा की ट्रेन आज शाम को है।"
निशा के पापा इतना कहकर रूम से चले गए ।निशा ने एक पल के लिए भी अपने पापा की तरफ नहीं देखा। उसने गुस्से से किताब पटक कर कहा।
निशा :"अब मैं क्या करूंगी हरियाणा जाकर? मैं सीधा सीधा भी तो नहीं कह सकती कि मुझे नहीं जाना है। वरना दादी बुरा मान जाएंगी ।"
शालू को यही सही मौका लगा। उसके चेहरे पर कुटिलता भरी मस्कान आई। वह निशा के करीब आई।
शालू:" तो निशा मैडम,आपको कहां जाना है?"
निशा के दिमाग में अचानक न्यूयॉर्क का ख्याल आया। क्योंकि उसे वाकई में इन सपनों के बारे में जानना था। अपने शालू से कहा।
निशा:" न्यू यॉर्क मुझे न्यूयॉर्क जाना है। क्योंकि...."
शालू ने से बीच में रोकते हुए कहा।
शालू:"क्या क्यों किंतु परंतु.....। मुझे यह सब नहीं जानना ।...तुम्हें न्यूयॉर्क जाना है बस, मेरे लिए इतना काफी हैं। मैं तुम्हारा न्यूयॉर्क जाने का रास्ता क्लियर कर सकती हूं ।हां, वहां भी मैं रहूंगी। तुम्हें मेरी जरूरत पड़ी तो ?मजाक कर रही थी। मैं तो हर दम तुम्हारे साथ ही रहने वाली हूं । मैं तुम्हारी यह विश पूरी कर दूंगी। मेरे अगले डेट के लिए रेडी हो?"
निशा थोड़ी देर सोच में पड़ गई। उसने सोचा, कि अगर न्यूयॉर्क जाना है तो इसमें सिर्फ शालू ही मदद कर सकती है ।वरना अगर वह अपने पापा से सीधा इस बारे में बात करके इजाजत मांगने गई तो उसके पापा इसलिए कभी हां नहीं करेंगे और अगर वह यह कहेंगी कि उसकी मॉम के कहने पर वहां जा रही है ,तब तो वह बिल्कुल भी नहीं मानेंगे ।उसने हां में सर हिलाया। शालू यह देखकर खुशी से हवा में घूमने लगी।
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निशा अपने क्लासरूम की तरफ बढ़ रही थी। शालू फिर उसके पीछे-पीछे हवा में तैरते हुए आ रही थी। निशा ने अपने कानों में वायरलेस हेडफोन लगाए रखे थे।
शालू :"यह तुमने अपने कानों में क्या लगाया है? ब्लूटूथ?"
निशा :"नहीं हेडफोनस है इडियट। आजकल कोई भी ब्लूटूथ यूज़ नहीं करता, उसके जगह यह आ गए हैं। मैंने इसलिए लगाया है ताकि अगर मैं तुमसे बात करूं तो लोग मुझे पागल ना समझे।"
शालू ने मुस्कुराते हुए कहा।
शालू:"बड़ी चालाक हो! अच्छा ,मेरे अगले बॉयफ्रेंड के बारे में कुछ सोचा है? मत सोचना क्योंकि मुझे पता है मुझे अपनी अगली रात किसके साथ बिताना है।"
निशा :"किसके साथ?"
शालू :"आरव के साथ।.."
आरव का नाम सुनकर निशा के पैर उसी जगह जम गए।उसने शालू की तरफ देखकर कहा।
निशा:" आरव? सुहाना का बॉयफ्रेंड? तुम पागल तो नहीं हो ?आरव और सुहाना लंबे टाइम से एक दूसरे के साथ है। मैं तुम्हारे लिए सुहाना को चीट करूंगी?"
शालू:" मेरे लिए नहीं, न्यूयॉर्क जाने के लिए।... तुम्हारे लिए वह सुहाना का बॉयफ्रेंड होगा ।मेरे लिए बस सिर्फ एक लड़का है जो इसवक्त मुझे पसंद है।"
निशा :"लेकिन वह सुहाना के लिए बहुत लॉयल है। वह मुझे डेट क्यों करेगा।"
शालू:" डेट नहीं ,मैं रात बिताने के लिए बोल रही हूं और यह काम जितना जल्दी होगा तुम्हारे लिए उतना अच्छा होगा । "
निशा बहुत ही परेशान हो गई। अपनी बेस्ट फ्रेंड को धोखा देना उसे वाकई में सही नहीं लग रहा था। पर बात न्यूयॉर्क जाने की थी तो कुछ तो करना था।
****
निशा को इस बात का यकीन तो था कि शालू उसकी यह मनोकामना पूरी करी कर देगी। लेकिन उसके मन में थोड़ा शक भी था। उसकी यह पुरानी आदत थी। वह किसी पर इतनी जल्दी भरोसा नहीं करती।
तभी उसे सामने आरव दिखा, जो अपने कीसी दोस्त से बात कर रहा था। सुहाना उसके आसपास नहीं थी। निशा को यही मौका सही लगा। वह आरव के पास आई।
निशा:" एक्सक्यूस मी ,मुझे तुमसे जरुरी बात करनी है। "
आरव अपने दोस्त से विदा लेकर निशा के पास आया। उसने कभी सोचा नहीं था कि निशा कभी उससे फिर अकेले में बात करेगी।
आरव:" क्या हुआ निशा सब ठीक तो है?"
निशा:" मुझसे कुछ कहना था, पर यहां नहीं कह सकती। क्या तुम दो मिनिट के लिए लाइब्रेरी में आ सकते हो?"
आरव चौक गया । उसने कभी सोचा नहीं था कि निशा से उसे कुछ ऐसा सूनने मिलेगा। उसने हां में सर हिलाया। निशा ने वहां से जाते वक्त कहा।
निशा:" प्लीज तुम सुहाना को इस बारे में कुछ मत बताना।"
आरव ने फिर से हैरानी से हां में सर हिलाया।
***
निशा लाइब्रेरी में आरव का इंतज़ार कर रही थी। शालू भी अपने घुटनों को मुड़े हवा में उसके आसपास मंडरा रही थी ।
शालू :"मुझे बस इतना पता है ,कि वह तुम्हारी बेस्ट फ्रेंड का बॉयफ्रेंड है। ऐसा ना हो कि वह सुहाना को इस बारे में बता दें।"
निशा ने शालू की तरफ सवालों भरी नजर से देखा।
निशा:"क्या तुम आरव के बारे में बस इतना ही जानती हो ?सच सच बताना।"
शालू को हल्की सी हैरानी हुई कि निशा उससे ऐसा क्यों पूछ रही है।
उसी वक्त आरव लाइब्रेरी में आया। निशा और शालू का ध्यान आरव की तरफ गया। आरव ने देखा कि वहां पर निशा के अलावा कोई नहीं है। आरव अपनी आंखों में हजारों सवालों को लेकर निशा की तरफ बढ़ा। आसपास गहरा सन्नाटा था। निशा वहां एक टेबल पर किताब लेकर बैठी थी। आरव उसके सामने आया । उसने अपने दोनों हाथों को टेबल पर रख कर निशा की तरफ झुक कर कहा।
आरव:" क्या हुआ निशा ?क्या जरुरी बात करनी थी?"
निशा:"आरव , यहां सिर्फ तुम्हें और मुझे पता है कि मेरे एक्स बॉयफ्रेंड तुम ही हो।... सुहाना को भी इस बारे में कुछ पता नहीं। जो कि अच्छी बात है। देखो मुझे गलत में समझो ।मैं जानती हूं तुम मेरी बेस्ट फ्रेंड के साथ हो। मुझे कभी-कभी जलन होती है, की सुहाना तुम्हारी लाइफ में मुझसे ज्यादा टिकी हुई है। मैं अब बर्दाश्त नहीं कर पा रही हूं। कोई लड़की तुम्हारी लाइफ में है। "
आरव:"व्हाट्स रॉन्ग विथ यू निशा, होश में तो हो? हम दोनों कब के मुव ओन कर चुके हैं। तुम्हारी लाइफ में कार्तिक और मेरी लाइफ में सुहाना है। अब तुम्हारा कार्तिक से भी ब्रेक अप हो चुका है ,तो इसमें मैं क्या ही कर सकता हूं? संभालो अपने आप को। चाहती क्या हो तुम मुझसे?"
निशा उठकर आरव के पास जाकर खड़ी हुई। उसने आरव के कंधे पर हाथ रखा और अपने आकर्षित नजरों से आरव से नजरें मिलाकर कहा।
निशा:"तुम्हें इस बात से डर लग रहा है ना कि सुहाना को पता चल गया तो क्या होगा?... रिलेक्स, बात हम दोनों के बीच रहेगी। मैं तुम्हें जिंदगी भर डबल डेट करने के लिए नहीं कह रही हूं। यह सब बस कुछ टाइम के लिए होगा। ना तुम इसे सिरियस लोगे न ही मैं।"
आरव ने निशा से नज़रे मिलाई। उसने मुस्कुराते हुए हामी भरी। निशा में शालू की तरफ देखा। शालू धीरे-धीरे उसके करीब आई। आरव और निशा के हाथ एक दूसरे के कपड़े को उतारने लगे। निशा की नजर अभी भी शालू की तरफ थी। आरव धीरे-धीरे निशा के करीब आया ।निशाने अपने आंखें बंद कर दी। उसी वक्त शालू निशा के शरीर में प्रवेश कर गई।
Part 5 टैरो कार्ड
कुछ देर बाद निशा की आंखें खुली। उसने अपने आप को लाइब्रेरी में अकेला पाया। उसने जैसे तैसे अपने आप को संभाला। उसके घुटनों में भारी दर्द हो रहा था। वह ठीक से खड़ी नहीं हो पा रही थी। उसे इस समय बिल्कुल वैसा महसूस हो रहा था जैसा कार्तिक के साथ नाइट ओवर बिताने के बाद हुआ। वह लाइब्रेरी में जो सन्नाटा महसूस कर पा रही थी वह किसी डरावने संगीत से कम नहीं था। उसने अपने कदम आगे बढ़ाएं। उसके सैंडल्स की टिक टॉक पूरे लाइब्रेरी में गूंज रही थी। निशा लाइब्रेरी के बाहर निकली। उस कॉरीडोर में भी वैसा ही सन्नाटा था जैसा लाइब्रेरी में था। इस डरावने सन्नाटे को पार करके जाना निशा के लिए मुश्किल होता जा रहा था।
***
निशा घर पहुंची। उसने देखा उसके पापा फोन पर किस से बात कर रहे हैं। वह बार-बार निशा का जी़कर कर रहे थे। निशा के पापा ने जैसे ही पलट कर देखा, उनकी नजर निशा पर गई। उन्होंने फोन रखा और निशा को रूकने के लिए कहा।
डैड:"निशा, बेटा पता है, वेदिका की बड़ी बहन अंजलि न्यूयॉर्क में रहती है। वह एक बहुत बड़े हॉस्पिटल में साइकेट्रिस्ट है। वेदिका ने उनसे बात की, डॉ अंजलि ने कहा कि इसका इलाज किया जा सकता है। यह कोई खतरनाक बीमारी नहीं है। कई सारे पेशंट्स स्लीपिंग पैरालिसिस से पूरी तरह से ठीक हो चुके है। जब वेदिका ने उनसे तुम्हारे बारे में बात की तब उन्होंने कहा कि वह तुम्हारा इलाज कर सकती है और उनके घर में तुम्हारा रहने का भी इंतजार कर सकती है।.... अगर तुम्हें कोई प्रॉब्लम नहीं है तो क्या मैं उन्हें हां कह दूं?"
निशा ने वेदिका कि तरफ देखा। वेदिका के चेहरे पर इस वक्त बहुत ज्यादा परेशानी दिखाई दे रही थी।
निशा ने वेदिका की तरफ देख कर अपने डैड से कहा।
निशा:" मैंने तो नहीं सुना इनकी न्यूयॉर्क वाली बहन के बारे में कभी?... मेरी बीमारी का नाम सुनते ही यह अचानक से कहां से पैदा हो गई?"
वेदिका ने समझाते हुए कहा।
वेदिका:"दरअसल वह मेरी बड़ी बहन है, हमारे पेरेंट्स का तलाक हो गया था ,तब से मैं अपने पापा के साथ यहां और अंजलि हमारे मम्मी के साथ न्यूयॉर्क में रहने लगी। मम्मी पापा एक दूसरे से इतना खफा रहते थे कि ना तो वह हम से मिलने आते और ना ही हमें मिलने देते। जिसकी वजह से हम दोनों बहने भी एक दूसरे से दूर रहा करती थी। पर पता नहीं क्यों, अभी कुछ घंटे पहले ही उसका कॉल आया और बातों-बातों में मेरे मुंह से तुम्हारे स्लीपिंग पैरालिसिस की बात निकल गई। उसने भी खुशी खुशी तुरंत तुम्हें यहां भेजने के लिए कहा।"
डैड:"देखो निशा यह सब कुछ अचानक और इतनी जल्दी जल्दी हो गया कि, हमारे लिए भी इन सब पर यकीन कर पाना मुश्किल हो रहा है। अंजलि जो कि इतने सालों से वेदिका से दूर रहती थी, उसका अचानक वेदिका को कॉल करना भी हमारे लिए अजीब है। अब तुम से इत्तेफाक समझो या तुम्हारी किस्मत.... लेकिन अगर तुम नहीं जाना चाहती हो तो इटस ओके।"
निशाने अचानक से कहा।
"नहीं डैड मैं जाना चाहती हूं।"
"ठीक है ,अंजलि ने कहा वह तुम्हारे लिए अगली फ्लाइट बुक कर सकती है ।मैं उनको अभी मैसेज कर देता हूं कि तुम आ रही हो।"
निशा के लिए यह भी बहुत अजीब था। वह अपनी कमरे में चली गई।
****
निशा अपने कमरे में आई। वह आते ही शालू को अपने कमरे में ढूंढने लगी। शालू से कही नहीं दिखी। निशा अब परेशान होने लगी। शालू अचानक से एकदम से निशा के सामने आ गई। जिसे देख निशा एकदम से डर गई।
निशा:"क्या बेवकूफी है? तुम कहां गायब हो जाती हो? तुम जब मेरे अंदर आती हो तो कुछ समझ नहीं आता और जब मेरे शरीर से बाहर निकलती हो तब पता भी नहीं चलता। क्या है यह सब?"
शालू :"आरव कितना क्यूट है ना? तुमने इतने क्यूट लड़के को क्यों छोड़ दिया? देखा ,अब वह सुहाना के साथ है। सुहाना कितनी लकी होगी ना? मुझे अब तक यकीन नहीं हो रहा कि तुम और आरव पहले साथ थे ।तुम दोनों का ब्रेक अप क्यों हुआ?"
निशा :"वह सब छोड़ो , पता भी है ,अभी-अभी क्या हुआ? वेदिका की कोई बहन है जो न्यूयॉर्क में रहती है। मुझे वहां बुला रही है , मेरी इलाज के लिए। पता है, उसने आज से पहले कभी वेदिका से बात नहीं की थी ।आज अचानक उसका कौन आया और उसने मुझे न्यूयॉर्क अपने पास बुलाया । कितना अजीब हे यह।..."
शालू :"इसमें अजीब क्या ?तुम्हें तो खुश होना चाहिए! तुम्हारी यह विश भी मैंने पूरी कर दी। अब तुम्हारे साथ मुझे भी न्यूयॉर्क जाने का मौका मिलेगा।"
निशा :"क्यों ?तुम तो बिना पासपोर्ट के कहीं भी जा सकती हो? ऐसे में तुम्हें मेरी क्या ज़रुरत? रही बात खुश होने की, तो मुझे तो समझ में नहीं आ रहा मैं कैसे रिएक्ट करुं? अगर वेदिका ने किसी और तरीके से मेरे लिए कुछ किया होता तो मै मुंह पर मना कर देती, लेकिन इस वक्त मैं उसी के वजह से न्यूयॉर्क जा पा रही हूं ।पता नहीं मुझे जाना चाहिए या नहीं।"
निशा के मुंह से वेदिका का नाम सुनकर शालू को बूरा लगा। वह जाकर एक कुर्सी पर बैठ गई। उसने नाराजगी भरी आवाज में कहा।
शालू:"तुम्हें लगता है ना कि वेदिका ने ही अचानक से अंजलि को फोन किया होगा ।जब की वह यह तक नहीं जानती थी कि अंजलि इस दुनिया मे रहती भी है। दोनों एक दूसरे को करीब करीब भूल चुकी थी और अचानक से अंजली तुम्हारे लिए वेदिका को फोन करेगी ? यही लगता है ना तुम्हें ?तो ठीक है जाओ और मना कर दो । लेकिन उसके बावजूद तुम न्यूयॉर्क जाओगी। यह तुम्हारी विश किसी ना किसी तरीके से पूरी होकर रहेगी ।....चैलेंज है मेरा।"

