part 4 नाईट ओवर
part 4 नाईट ओवर
निशा:"हां लेकिन सबसे पहले मैं तय करूंगी , ओके?"
शालू ने पहला मौका दिया।"ओके।"
निशा ने अपने फोन पर कार्तिक का नंबर ढूंढा। क्योंकि एक वही था जिस पर निशा यकीन कर सकती थी। उसे याद आया कि उसने कार्तिक का नंबर ब्लोक किया था। अगर कार्तिक ने भी उसका नंबर ब्लॉक किया होगा तो मुश्किल हो सकती थी.। लेकिन ख़ुश किस्मत से कार्तिक ने निशा का मैसेज भेजते ही पढ़ लिया था।
उसने उछल कर शालू से कहा।
निशा :"थैंकस गॉड,कार्तिक ऑनलाइन है। "
शालू :"लेकिन तुमने तो इसको इंसल्ट किया था... तुम इससे नजरें मिला पाओगी? अगर मैं तुम्हारी जगह होती तो कभी उससे बात नहीं करती जिससे मैंने खुद ब्रेक अप किया था।"
निशा सोच में पड़ गई। वाकई में उसने आज तक किसी को ब्लॉक करके फिर से अनब्लॉक नहीं किया था। ना ही फ़ोन पर और ना ही ज़िन्दगी में। यह बात उसके ईगो को ठेस पहुंचा रही थी।
लेकिन अब उसने शालू से ₹100000 लिये थे तो अब उसे कुछ तो करना ही था।
(व्हाट्सप्प ऍप )
कार्तिक: हाय कैसी हो?
निशा: मैं ठीक हूं क्या तुम बिजी हो ?
कार्तिक: नहीं तो बोलो क्या बात है?
निशा: मुझे कुछ नोट्स लिखने है ।मैं आज रात तुम्हारे घर ओवर नाइट के लिए आ जाऊं?
कार्तिक :हां ठीक है कौन-कौन आ रहा है? ताकि मैं अपने मॉम की परमिशन ले सकूं?
निशा :सिर्फ मैं आ रही हूं। ईफ यू डॉन'ट माइंड।
कार्तिक: हां जरूर क्यों नहीं। तुम प्लीज आ जाओ। मैं मॉम से बात कर लूंगा।
निशा ने फोन रखा। उसने पीछे पलट कर शालू की तरफ देखा।
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निशा नीचे आई। वेदिका नीचे डाइनिंग टेबल पर खाना लगा रही थी। निशा: " मैं अपने फ्रेंड के घर नोट्स लिखने जा रही हूं ।अगर देर हो गई तो आज रात मैं वहीं रूकूंगी। डैड से कह देना।"
वेदिका:" निशा , अभी काफी देर हो चुकी है ।क्या जाना जरूरी है? और तुम जिस फ्रेंड के घर जा रही हो उसका नंबर तुम्हारे डैड के पास है?"
निशा ने झल्लाकर कहा।
निशा:"तुम मेरी मां नहीं हो ।कभी बनने की कोशिश भी मत करना। तुम्हारे लिए इतना जानना काफी है। अगर मैं चाहती हूं तो तुम्हें बिना बताए जा सकती थी और सीधा डैड से मैसेज कर देती। अब बता दिया है तो ज्यादा हवा में उड़ो मत।"
निशा गुस्से से बाहर चली गई। शालू भी हवा में तैरते हुए उसके पीछे गई।
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निशा ने दरवाजा खटखटाया। कार्तिक मानो उसका ही इंतजार कर रहा हो। उसने तुरंत दरवाजा खोला। निशा को सामने देख उसे अलग ही खुशी हो रही थी। उसने निशा का स्वागत किया।
कार्तिक:" डैड हमेशा काम के वजह से घर से दूर रहते हैं... और मॉम भी हमेशा अपने कामों में बिजी रहती है। हमेशा अकेला रहता हूं यहां । अच्छा हुआ तुम आ गई।"
निशा ने घर पर नजर घूमाते हुए कहा।
निशा :"साफ-साफ कहो ना कि हम दोनों ही है यहां पर । घर काफी अच्छा है । तुम्हारा कमरा होगा यहां पर ?"
कार्तिक निशा को अपने कमरे तक ले गया। निशा ने कमरे में देखा। कार्तिक का कमरा काफी बिखरा हुआ था। प्लेस्टेशन, बुक्स इन सबकी कोई खास जगह थी ही नहीं।
निशा ने कार्तिक की तरफ देखा और अपना जैकेट उतारा। उसने जैकेट के अंदर कुछ नहीं पहना था। सिवाय एक काली ब्रा के। काली ब्रा और नीले रंग की जींस में निशा को देख कार्तिक के बदन में अलग सी चिंगारी दौड़ने लगी। ब्रा के आखिरी कोने से लेकर जींस के बेल्ट तक निशा का घुमावदार शरीर आकर्षित कर रहा था। कार्तिक कुछ कहता निशा ने उसे गले से लगाया।
निशा:"उस रात हम दोनों के बीच बहुत कुछ हो सकता था। लेकिन मेरी बेवकूफी के वजह से हमें वह सब बीच में ही छोड़ना पड़ा। उसके बाद मानो मेरे शरीर में एक अजीब सी गर्मी दौड़ रही थी। प्लीज इसे बूझा दो। इसके बाद हम दोनों कभी नहीं मिलेंगे।"
कार्तिक के लिए निशा इस वक्त सिर्फ एक तपता बदन थी। निशा और कार्तिक की धड़कने तेज धड़कने लगी। कार्तिक की इसलिए क्योंकि निशा उसके बाहो में थी और निशा की इसलिए क्योंकि वह इस वक्त सिर्फ शालू को देखे जा रही थी। वह बस यही सोच रही थी कि अगर कोई आत्मा उसके शरीर में प्रवेश करेगी तो असल में क्या होगा। एक अजीब सा डर उस पर हावी हो रहा था। शालू बस मंद मंद मुस्करा रही थी।निशा बस इस बात का इंतजार कर रही थी, की कब शालू उसके शरीर में प्रवेश करेंगी । अब उसके मन में शक पनपने लगा। क्या वाकई में शालू वह करेगी जो उसने कहा था। कार्तिक ने कुछ बडबडाते हुए निशा को अपनी बाहों में उठाकर बिस्तर पर लेटा दिया। निशा ने फिर से शालू की तरफ देखा, लेकिन वहां शालू नहीं थी। निशा कुछ सोच पाए उससे पहले उसकी नजर फिर से कार्तिक पर गई। कार्तिक उसके ऊपर बैठकर अपना शर्ट उतार रहा था। बिना पलक झपकते ही शालू कार्तिक के ऊपर से हवा में तैरते हुए अचानक सामने आई और निशा के शरीर में घुस गई।
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निशा की नींद सीधा अगली सुबह खुली। उसे पिछली रात का कुछ भी याद नहीं था। उसका सर बहुत भारी लग रहा था। उसे ऐसा महसूस हो रहा था की पूरे शरीर पर मानो बहुत ज्यादा बोज रख दिया हो। उसने अपने पैर सीधे किया। बहुत ही अजीब सी जकड़न महसूस हो रही थी। मानो कई घंटे तक पैरों को मुड़कर रखा गया हो। दर्द से कहराते हुए वह बिस्तर से नीचे उतरी। उसने अपने आसपास नजर घुमाई। वहां ना तो शालू थी और ना हीं कार्तिक था। उसने अपने कपड़े पहनना शुरू किये। तभी अचानक कार्तिक कमरे में आया।
निशा :"तुम्हें नौक करके आना चाहिए।"
कार्तिक:"मेरी नींद जल्दी खुल गई थी ,इसलिए मैं तुम्हारे लिए कॉफी लेकर आया हूं ।"
कार्तिक के दोनों हाथ मे कॉफी के मग थे। वह अंदर आया। कॉफी साइड टेबल पर रखकर उसने निशा से कहा।
कार्तिक:"तुम वॉशरूम जा रही हो ना?"
निशा ने अपने जैकेट की झी़प लगाते हुए कहा।
निशा:" नहीं मैं घर वापस जा रही हुं ,बहुत देर हो गई।"
कार्तिक :"अरे मुझे लगा कि हम दोनों साथ में नहांएंगे भी। क्या हुआ ?कल रात मैंने कोई गलती कर दी क्या?"
निशा ने नज़रे चुराते हुए।
निशा:"नहीं मुझे बस जाना है ...बस।"
कार्तिक :"कल तुम अलग ही नशे में थी। अगर मैं तुम्हें बेड पर लेटा देता तो तुम उसी वक्त सो जाती । मैंने कभी किसी लड़की को इतना एंजॉय करते हुए नहीं देखा। मुझे अंदाजा नहीं था कि तुम्हें इतनी रफ़ चीजे पसंद है। तुमने तो मुझे लिटरली रुला दिया था।"
निशा ने गुस्से में झल्लाते हुए कहा ।
निशा:"कहा न मुझे कुछ नहीं सुनना। फिर भी तुम हो के मना करने के बावजूद भी बोले जा रहे हो। चाइल्डिश।...जैसा कि मैं तुम्हें पहले कहा था, हमारे बीच सब कुछ आखिरी बार होगा। तुम याद होगा ना।"
कार्तिक एकदम से चुप हो गया। उसने हां में सर हिलाया। निशा अपना बैग लेकर वहां से चली गई।

