part - 3 सौदा
part - 3 सौदा
निशा के लिए यह सब बहुत ही अजीब था। उसे समझ नहीं आ रहा था।कुछ सेकंड्स के लिए वही जम गई। पीछे से शालू ने उसके कानों में कहा 'गुडनाइट'। निशा इतनी जोर से हड़बड़ा गई की सीधा उसकी नींद खुल गई।
निशा ने देखा यह वाकई में एक सपना था।निशा की हिम्मत नहीं हो रही थी कि वह पानी पीने के लिए कमरे से बाहर जा सके। वह बिस्तर से भी नीचे नहीं उतारना चाहती थी।न रहकर उसे बिना पानी पिए ही सो जाना पड़ा।
अगले सुबह जब निशा की नींद खुली, तब उसने पाया कि सामने शालू खड़ी है।निशा ने आंख खोलने पर सबसे पहले शालू को देखा था।अब तक वह यह समझ रही थी कि यह सिर्फ सपना था।लेकिन शालू अब उसे हकीकत में दिखने लगी थी।निशा ने शालू को गौर से देखा। शालू के पांव अपने घुटनों से मुड़े हुए थे।यानी कि मानो वह घुटनों के बल किसी अदृश्य चीज पर बैठी हो।वह जमीन से कुछ 4 फीट की दूरी पर हवा पर तैर रही थी।निशा की सांसें फूलने लगी। उसने वाकई में इससे पहले ऐसा कुछ महसूस नहीं किया था।उसे ऐसी कोई उम्मीद नहीं थी, कि जो सब उसके नींद में आता हो या स्लीपिंग पैरालिसिस के दौरान दिखता हो, वह असल जिंदगी में भी उसके सामने इस तरह से आएगा। शालू मंद मंद मुस्कुराए निशा की तरफ बढ़ने ही लगी थी, की निशा शालू को अपनी तरफ आता देख डरके मारे जोर-जोर से चिल्लाने लगी। उसकी चिख पुकार सुनकर उसके डॅड और वेदिका भागकर उसके कमरे में आए। उसके डॅड ने निशा को संभालने की कोशिश की। लेकिन निशा बार-बार शालू की तरफ उंगली कीये उसे वहां से निकल जाने के लिए कह रही थी। लेकिन जहां निशा उंगली कर रही थी वहां शालू नहीं वेदिका खड़ी थी। वहां खड़ी वेदिका यही सोच रही थी कि 'मैं तो बस अभी अभी आई हूं मैंने क्या किया।' लेकिन फिर भी वेदिका निशा के डॅड के कहने पर वहां से चली गई।
डॅड :"निशा.. निशा होश में आओ,वह जा चुकी है।"
निशा ने आंखें खोल कर देखा वाकई में शालू वहां नहीं थी। निशा क डॅड बार-बार निशा से पूछ रहे थे कि वह क्यों चिल्ला रही थी। लेकिन निशा ने अपने स्लीपिंग पैरालिसिस और अपने सपनों के बारे में अपने डॅड से छुपाया था।इसलिए वह यह भी नहीं बताना चाहती थी।
उसने कहा:" कुछ नहीं डॅड...बस बुरा सपना था डर गई ...।"
निशा बिस्तर से उतर कर अपने बाथरूम में चली गई।
निशा ने डॉक्टर विद्या से फोन पर बात की।
निशा :"मॉम क्या आप मुझे बता सकती है, आपकी, जिस आंटी ने आपको यह ब्रेसलेट पहनाया था उनका कोई कांटेक्ट नंबर है या कोई एड्रेस है?"
डॉ विद्या अपने घरके किचन में कुछ काम कर रही थी।
डॉक्टर विद्या:" हां मैं तुम्हें उनका एड्रेस और नंबर दे सकती हूं, लेकिन तुम्हें किस लिए चाहिए ?"
निशा:" मॉम, आपको वाकई में लगता है मैं इसका का जवाब दूंगी ?"
डॉ विद्या मुस्कुराने लगी।
डॉ विद्या :"नहीं.. मैं भला यह क्यों भूल जाती हूं कि मैं अपने ही पति के फीमेल वर्जन के साथ बात कर रही हूं।"
निशा :"मुझे उनका कांटेक्ट नंबर एड्रेस व्हाट्सएप कर दजिए।"
डॉक्टर विद्या:" हां लेकिन कोई फायदा नहीं।क्योंकि वह यहां नहीं रहती।वह अपने बेटे और बहू के साथ न्यूयॉर्क रहती है।वहां कोई टैरो कार्ड जैसा कोई काम करती है बहुत अच्छी खासी इनकम आती है उनकी।"
न्यूयॉर्क का नाम सुनकर निशा की उम्मीद टूट गई।
उसने बिना कुछ ज्यादा कहे फोन रख दिया।
निशा शाम को घर लौटी। उसके डॅड उसका इंतजार कर रहे थे जैसे निशा घर के अंदर आई, उन्होंने निशासे काउच पर बैठने के लिए कहा।
निशा के डॅड :"निशा, मुझे तुम्हारी दोस्त सुहाना से पता चला कि तुम्हें बार-बार बुरे सपने आते रहते हैं.. उसने ज्यादा कुछ नहीं बताया वरना तुम उससे नाराज हो जाती।तो मैंने यह डिसाइड किया है की तुम अपने दादी के पास हरियाणा जाओगी। हो सकता है जगह बदलने पर तुम्हें अच्छे रिजल्ट मिले।"
निशा हरियाणा बिल्कुल नहीं जाना चाहती थी। लेकिन वह इस वक्त कुछ नहीं कह सकती थी।क्योंकि निशा अपनी दादी के करीब थी। उसे अपनी दादी के घर जाना इतना भी बुरा नहीं लग रहा। फिर भी यह समझकर की वेदिका ने हीं कुछ कहा होगा।वह वेदिका को आंखें दिखा कर अपने कमरे में चली गई।
निशा अपने कमरे में गई, तब शालू वही थी। निशा फिर से चिल्लाने वाली थी, तभी शालू ने कहा।
शालू :" अरे अरे कितनी डरपोक हो तुम ....।मैं जानती थी तुम मुझसे डर जाओगी। इसलिए तो मैं हर रात तुमसे मिलती थी।अब तो तुम्हें मेरी आदत हो जानी चाहिए थी।"
निशा ने अपनी चिख दबा दी थी।
निशा:" तुम सपना हो या रियलिटी ?'
शालू :"मैं तुम्हारा सपना हूं जो तुम्हें हकीकत में भी दिखाई दे सकती हूं और सिर्फ तुम ही हो जो मुझसे बात कर सकती हो, मुझे देख सकती हो।"
निशा :"लेकिन मुझे ही क्यों ?...क्या तुम वह हो जो मैं पिछले जन्ममें थी ?"
शालू एक गाना गाने लग गई।
#तेरा मुझे है पहलेका नाता कोई
यूं ही नहीं दिल लुभाता कोई
जाने तु या जानेना #
निशाने उसे चुप हो जानेके लिए कहा।
शालू:" देखो मैं क्या हूं क्यों हूं इसके बारे में बाद में बात करते हैं।मुझे बस तुम से कुछ चाहिए था... दे पाओगी ??"
निशा थोड़ी हैरान हो गई।
शालू :" हम डील करते हैं। मैं तम्हें कुछ करने के लिए कहूंगी ..बदले में तुम जो मांगोंगी मैं तुम्हें दे दूंगी...। बोलो मंज़ूर है ?"
निशा :"क्या करने को कह रही हो तुम ?"
शालू :"वही जो तुम अपने एक्स के साथ किया करती थी।मुझे जो लड़का पसंद आएगा तुम्हें उसकी गर्लफ्रेंड बनना पड़ेगा और जब बात रात बिताने की आएगी, तब मैं तुम्हारे शरीर में प्रवेश करूंगी। शरीर तुम्हारा होगा लेकिन आत्मा मेरी ..।
निशा:" इससे तुम्हें क्या मिलेगा ???"
शालू :"सेटिस्फेक्शन ....ऑर्गेज्म..... जो मुझ जीतेजी नहीं मिला।"
निशा:" इस काम के लिए तुमने मुझे ही क्यों चुना ??"
शालू :"क्योंकि तुम सबसे हॉट और अट्रैक्टिव हो। तुम्हारा जो एटीट्यूड है वह किसी को भी झुका सकता है। मुझे ऐसी लड़की शायद ही कहीं मिलती।"
निशा :"तुम्हें क्या मैं ऐसी लड़की लगती हूं ???जो तुम्हारे कहने पर किस के भी साथ सो जाऊंगी ???"
शालू :"ओ कम ऑन निशा.. इतनी भी सती सावित्री मत बनो।मैं जानती हूं तुम क्या हो।इतने सालों से मैं तुम्हारे साथ रही हूं।रिलैक्स.. जब मैं तुम्हारे शरीर में प्रवेश करूंगी तब सामने वाला जो कुछ भी करेगा वह मेरे साथ करेगा ना कि तुम्हारे साथ।"
निशा थोड़ा सोच मे पड़ गई।
वह सामने एक कुर्सी पर जा बैठी।शालू अपने मुड़े हुए पैरों से हवा में तैरते हुए के निशा के पास आई। निशा ने शालू की तरफ देखा।
निशा :"इसमें मेरा क्या फायदा ?"
शालू :"फायदा ही फायदा है...। बदले में तुम जो मांगोंगी, वह मैं तुम्हें दे दूंगी। यकीन नहीं आता तो आजमाके देख लो।"
निशा फिर से सोच में पड़ गई।उसने अपनी इर्द-गिर्द नजर घुमाई। उसके सामने उसका पर्स पड़ा था। उसने पर्स उठाया जो की पूरी तरह से खाली था।उसने शालू को पर्स दिखाते हुए कहा।
"तुम इसमें पूरे ₹100000 भर सकती हो ?"
शालू मन ही मन मुस्कुरा कर वह सामने बाल्कनी की तरफ बढ़ी। उसने अपने बालों को सहाराते हुए कहा।
" ठीक है "
निशाने वह पर्स टेबल पर पटका। लेकिन टेबल पर पटकते समय उस पर्स से आवाज आई। मानो पर्स भारी हो। उसने धड़कते दिल के साथ पर्स उठाया। वाकई में उसमें 2000 की नोटों का बंडल था।निशा ने सांस अंदर खींचते हुए वह बंडल बाहर निकाला और उसके नोट चेक कीए की असली है या नहीं।
शालू ने उसके तरफ बढ़ ते हुए कहा।
"असली है.. और पूरे 100000 रुपए है।चाहो तो गिन कर दख लो।"
निशा बहुत ही हैरान हो चुकी थी।
"इतने सारे पैसे तुम्हें कहां से मिले ?"
शालू ने मुस्कुराते हुए कहा
"तुम्हें ₹100000 मिल चुके हैं... अब तुम्हें मेरा काम करना हीं होगा।"
निशाने पैसे अपने अलमारी में रखते हुए कहा
"ठीक है लेकिन तुमने मेरा एक काम किया है .. तो मैं भी सिर्फ एकबार ही तुम्हारा कहना मानूंगी ...।"
शालू ने हाथ बढ़ाया और कहां
"तो फिर डील पक्की ?"
निशा ने उसे मुस्कुराते हुए शालू से हाथ मिलाकर कहा।
" पक्की"

