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Rubi 1996

Horror Crime Thriller

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Rubi 1996

Horror Crime Thriller

part 2 - पिछले जन्म की परछाई

part 2 - पिछले जन्म की परछाई

7 mins
35

  रात के 11 बज रहे थे। निशा अपने कमरे में आई। उसके चेहरे पर हैरानी थी। की भला एक लड़की का नाम क्यों उसके जूबान पर आ सकता है ,वह भी तब जब वह किसी लड़के के बाहों में थी। निशा ने सामने रखी नींद की दवाइयां उठाई और उनमें से तीन गोलियां ले ली। जबकि उसे सिर्फ एक गोली खाने के लिए कहा गया था। निशा बिस्तर पर लेट गई और अपने आंखों बंद करके दिमाग को शांत रखने की कोशिश करने लग गई ताकि उसे शांत नींद आ सके।

   कुछ देर बाद उसकी आंखें खुली। उसने अपने आप को एक अंजान जगह पर पाया। एक ऐसी जगह जहां वह कभी नहीं गई थी और वह जगह थी कब्रिस्तान। जो किसी जंगल के बीच थी। वहां पर सिर्फ एक कब्र थी। जिसके ऊपर निशा ने अपने आप को पाया। निशा हड़बड़ा कर कब्र से नीचे उतरी। वह बस यही सोच रही थी, कि अपने कमरे के बिस्तर से वह सीधा यहां कैसे आ गई। उसके सांसें तेज चलने लग गई। उसने अपने इर्द-गिर्द देखा। वहां निशा, उसकी तेज धड़कने, चारों तरफ़ सन्नाटा और उसके अकेलेपन के अलावा कुछ नहीं था। तभी उसकी नजर सामने गई। वहां एक लड़का पीठ दिखाएं सामने की तरफ जा रहा था। निशा को एक राहत मिली। वह उस लड़के के पीछे तेजी से गई। लेकिन बीच में अचानक से सुहाना आ गई। अब सुहाना इतनी रात के यहां क्या कर रही है यही वह उसे पूछनेवाली थी। लेकिन निशा एक शब्द भी नहीं बोल पाई। क्योंकि सुहाना बड़ी अजीब मुस्कुराहट लेकर निशा को नशीली आंखों से देख रही थी। निशा ने उससे पूछा भी लेकिन मानो सुहाना के कान पर निशा क शब्द पहुंच ही नहीं रहे। सुहाना हल्के से आगे बढ़ी और उसने अपने दोनों हाथों से निशा का चेहरा पकड़ा। धीरे-धीरे सुहाना निशा को अपनी तरफ खींचने लगी ।सुहाना अपने होंठ निशा के होंठ के करीब लाने लग गई। निशाने उसे जैसे ही धक्का देना चाहा निशा की नींद खुल गई। पहली बार था जब निशा को इतना अजीब सपना आया हो। लेकिन निशा अब भी स्लीपिंग पैरालिसिस को महसूस कर रही थी ।उसका शरीर हर बार की तरह उसका साथ नहीं दे रहा था ।उसने अपनी आंखों की पुतलियां घूमा कर सामने देखा। वहां वही लड़की खड़ी थी जो हर रात उसे वहीं दिखती है। इसके वजह से निशा इतनी घबरा जाती थी कि वह बिस्तर से हिल डुल भी नहीं पाती थी। पर आज पहली बार उसे लड़की का चेहरा दिखा।वह लड़की दिखने में बिल्कुल भी निशा की तरह नहीं थी। लंबे काले घने बाल, काली भोईयां, काली आखें, लंबी सी नुकीली नाक, जिस पर चांदी के रंग की बाली, लाल होंठ, नाक के नजदीक काला तिल और पूरे जिस्म का रंग इतना गोरा की उस अंधेरे में भी चमक रहा था। बदन पर सफेद ज़ीना कपड़ा। जिसमें से उसका जिस्म हल्के से झांक रहा था।आंखों में नशा कूट-कूट कर भरा हुआ, जो देखे उसके बदन मे बिजली की तार दौड़ जाए और मुस्कान ऐसी कि किसी के भी दिल में हवस का तीर चला दे। निशा ने शायद ही इतनी खूबसूरत लड़की पहले कभी देखी होगी। वह समझ गई यही वह लड़की है जो हर रात बिना चेहरे के उसको दिखती थी । आज पहली बार उसका चेहरा दिखा वह भी इतना खूबसूरत। निशा ने अपनी आंखें बंद कर ली और एक गहरी नींद सो गई। 


  ***

अगले सुबह निशा अपने क्लासरूम में कुछ नोट्स लिखते हुए बैठी थी ।तभी वहां सुहाना आई ।वह हर रोज की तरह उसके बारे में ,सपने के बारे में पूछ रही थी ।की क्या कल रात उसे वहीं सपना आया या नहीं। लेकिन निशा उसे टाल रही थी ।वह उसे उस सपने के बारे में नहीं बताना चाहती थी। जहां उसने सुहाना को उसके साथ वह सब करते हुए देखा ।निशा ने बात घुमाकर उसे कार्तिक के बारे में पूछा ।

निशा :"वह सब छोड़ , सपनों का क्या है, आते जाते रहते हैं ।यह बता ..कार्तिक से कुछ बात हुई ?"

सुहाना:" नहीं ..वह तुम्हारे बारे में कुछ बोलना ही नहीं चाहता। क्या हुआ? कहीं उसे उस जगह काटा तो नहीं था तुमने ??"

निशा:" मैं क्यों काटूंगी भला ?अच्छा वह आया तो है ना ?"

सुहाना :"हां सुबह ही मैं उससे मिली... तुम कैंटीन में उससे मिल लेना ।"

निशा ने हां मैं सर हिलाया।

  


   ***


निशा कैंटीन में कार्तिक से मिलने गई। कार्तिक वहां अपने दोस्तों के बीच बैठा था। निशा को लगा कार्तिक उसे इग्नोर कर देगा ,लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ ।निशा को दूर आते देख कार्तिक उठ गया और उसकी तरफ बढ़ा ।उसने निशा को इशारे से बाहर आने के लिए कहा। दोनों कैंटीन के बाहर आए ।वहां बहुत कम लोग थे ।निशाने मौका देखकर उससे बात की। 

निशा:" कल रात जो कुछ भी हुआ.. प्लीज तुम उसके बारे में किसी को मत बताना ।"

कार्तिक :"नहीं मैं किसी को नहीं बताऊंगा ।मैं जानता हूं किसी की कुछ डार्क फेंटेसी होती है । मेरी भी है कि मैं अपनी उम्र से तिनगुना ज्यादा बड़ी औरत के साथ रात बिताना चाहता हूं । मेरे एक दोस्त की भी है ,उसने कहा वह एक ट्रांसजेंडर को डेट करना चाहता है ।अब अगर तुम्हारी भी है कि तुम लड़का और लड़की दोनों को पसंद करती हो तो इसमें कुछ भी खराबी नहीं है ।"

निशाने हड़बड़ा कर अपने गुस्से को काबू किया।

निशा:" नहीं.. मैं तुम जैसी नहीं हूं ।मेरा मतलब मुझे सिर्फ और सिर्फ लड़के पसंद है ।आज तक मैंने सिर्फ लड़कों को ही डेट क्या है और आगे भी करूंगी ..और मेरी कोई खास डार्क फैंटेसी नहीं है ।प्लीज मुझे ऐसे किसी के भी साथ कंपेयर करना बंद करो ।"

निशा वहां से चली गई उसके मन में बहुत ही अजीब सी अपने आपके लिए घिन आ रही थी। उसे यकीन नहीं आया कि वह एक इतनी घटिया लड़की हो सकती है। वह अपने आप को कोसें जा रही थी।


   ****


 कुछ दिन बीत गए । निशा ने अपनी नींद की दवाइयां लेना बंद कर दिया था। ताकि उसे नींद ना सके ।अगर नींद नहीं आयेंगी,तो इतनी अजीब सपने भी नहीं आएंगे और ना ही वह लड़की दिखाई देंगी। लेकिन निशा ने नींद की दवाइयां लेना बंद तो किया लेकिन उसको अच्छे से नींद आने लग गई ।बिना किसी अजीब सपनों के ,बिना किसी स्लीपिंग पैरालिसिस के। वह अच्छी शांत नींद सो रही थी। उसने अपने आपमें यह बात परखीं ,कि वह बिना नींद की गोलि के अच्छी नींद सो सकती है।

   


   ‌***

ऐसे ही एक रात निशा बिना गोली के सो गई ।उसे बहुत ही गहरी नींद लग गई ।लेकिन बीच में उसकी नींद खुल गई। क्योंकि उसे तेज प्यास लग रही थी। वह बिस्तर से उठी ।वह कमरे से बाहर जान ही वाली थी कि उसकी नजर एक कुर्सी पर पड़ी। जहां वही कल रात वाली लड़की बैठी थी। उसने निशा से कहा "कैसी हो?" निशा को पता था यह कोई सपना नहीं है। वह उसके करीब गई । "कौन हो तुम ? यहां क्या कर रही हो ?"वह लड़की उठ खड़ी हुई उसने कहा :" तुम मुझे शालू कह सकती हो ।मेरा नाम शालिनी है। तुम कैसे हो निशांत ?"

निशा :"कौन निशांत ???"

शालू :"अरे माफ कर देना, मैंने तुम इस नाम से पुकारा। वैसे इतनी रात की तुम कहां जा रही हो।"

निशा कुटिलता भरी हंसी हंसने के बाद 

निशा :"मेरे घर में आकर तुम मुझे यह सवाल कर रही हो ???जाती हो या मैं पुलिस को बुलाऊं?"

शालू के चेहरे पर कुटिलता भरी मुस्कान आई।

शालू :"भला मुर्दों के लिए भी कोई लॉकअप होता है ?"

निशा को समझ नहीं आया कि शालू ने ऐसा क्यों कहा ।शालू ने इशारे से निशा को पीछे मुड़कर देखने के लिए कहा । निशा को समझ नहीं आया कि उसे क्या करना चाहिए। फिर भी शालू कुछ देखने के लिए कह रही थी ।इसलिए वह पीछे मुड़ी ।वह नजारा देख निशा के पर पैरों तले जमीन खिसक गई ।क्योंकि यह वाकई में एक सपना था । निशा बिस्तर पर सो रही थी और फिलहाल निशा की आत्मा ही थी जो पानी पीने के लिए कमरे से बाहर जाने वाली थी ,जिसने शालू से बात की। निशा अपने बिस्तर की तरफ बढ़ी और अपने आप को इत्मीनान से सोते हुए देख रही थी।


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