part 5 न्यूयॉर्क
part 5 न्यूयॉर्क
निशा अपने घर पहुंची। घर पहुंचते समय उसके मन में बस एक ही बात थी ।क्या वाकई में कल रात शालू वहां थी भी या नहीं। वह घर के अंदर आई, उसके पापा उसका इंतजार कर रहे थे।
डैड:"निशा, रुको। बेटा क्या इतना जरूरी काम था कि तुम्हें इतनी रात को किसी के घर रुकना पड़ा?"
निशा:" डैड,में वेदिका को बता कर गई थी और अगर नोट्स लिखना इतना जरूरी ना होता तो नहीं जाती। आपको तो पता ही है कि मुझे नींद की प्रॉब्लम है। आपने मेरी जासूसी जो की थी। नींद की वजह से ही मेरे आधे से ज्यादा काम नहीं हो पाते।"
तभी वहां खड़ी वेदिका भी बोल पड़ी।
वेदिका:" निशा, डैड को तुम्हारी चिंता थी। तुमने कुछ नहीं बताया इसलिए उन्होंने सुहाना से पूछा। इसे जासूसी नहीं कहते हैं बेटी।"
निशाने फिरसे वेदिका पर गुस्सा किया।
निशा :"मेरे और मेरे डैड के बीच की बात है।... डॉन'ट इटरफेयर।... मैं तुमसे हजार बार कह चुकी हूं ,मुझे बेटी मत कहो।"
निशा के पापा ने निशा को समझाते हुए कहा।
डैड:"निशा माइंड योर लैंग्वेज, वह तुमसे बड़ी है और अपने से बड़ों से ऐसी बात नहीं करते। मैं सिर्फ यही कह रहा हूं कि तुम्हें मूझसे पूछ कर जाना चाहिए था।"
अब निशा को बोलने के लिए कुछ नहीं था। वह बिना कुछ बोले ऊपर अपने कमरे में चली गई।
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कमरे में जाते ही उसकी नजर शालू पर पड़ी, जो वहां एक कुर्सी पर बैठी थी। निशा उसे देखकर एकदम से गुस्से से चौंक गई।
निशा:" तूम यहां कब आई? तुम कल रात वहां थी भी या नहीं?"
शालू ने अंगड़ाइयां लेते हुए।
शालू:" ओह निशा... शेर से पूछ रही हो उसने किया हुआ शिकार पेट भर के खाया या नहीं? मुझे कल रात बहुत मज़ा आया । कार्तिक बहुत अच्छा लड़का है। बेचारे को मैंने रुला ही दिया था।"
शालू अपने गाल में हंसने लगी। उसने निशा की तरफ देखा। निशा गुस्से में दिख रही थी। शालू ने अपने हाथ से मुंह पर ढक कर हंसी रोकते हुए कहा।
शालू :"में बस यह कह रही हूं, कि हमें एक और बार कार्तिक के पास जाना चाहिए।"
वापस जाने का नाम सुनकर निशा किसी ज्वालामुखी की तरह फट पड़ी।
निशा:" पागल हो गई हो तुम? मैंने कल रात ही तुम्हारे सामने कहा था कि 'हम उसके बाद कभी नहीं मिलेंगे' और अब तुम फिर उसके पास जाने के लिए कर रही हो?"
निशा को इस तरह से गुस्से में देख शालू कुर्सी से उठ हवा में खड़ी हुई। वह निशा की तरफ उसे समझाते हुए आई।
शालू :"रिलैक्स रिलैक्स, इतना भी क्या गुस्सा करना? अरे मैं तो सिर्फ मजाक कर रही थी। ठीक है, अब अपनी अगली विश बताओ।"
विश का नाम सुनकर निशा चुप हो गई।
निशा:"विश? कैसी विश? मुझे कुछ नहीं चाहिए ।"
शालू:" तो क्या तुम पूरी जिंदगी एक लाख रुपए में काट लोगी?"
उसी वक्त निशा के कमरे के दरवाजे पर दस्तक हुई। निशा और शालू चुप हो गई। निशा ने अंदर आने के लिए कहा। उसके पापा अंदर आए। निशा बिना एक शब्द बोले अपने बिस्तर पर बैठ गई और अपने हाथ में एक किताब लेकर उसे पढ़ने का दिखावा करने लगी। पापा समझ गए कि निशा बहुत नाराज़ है। वह उसके सामने बैठे।
डैड:"निशा तूमने मुझे कभी बताया नहीं कि तुम्हें बहुत ही डरावने सपने आते रहते हैं ।लेकिन यह बात तुमने अपनी मॉम को बताई ।क्या तुम सोच सकती हो मुझे कितना बुरा लगा कि तूम अपनी मॉम पर भरोसा करती हो मुझ पर नहीं ।...एनीवेज यह तुम्हारा पर्सनल डिसीजन कि तुम्हें इस बारे में कीसे बताना चाहिए और किससे नहीं। मैं इसके खिलाफ भी नहीं हूं ।मैं बस तुम्हारे अच्छी सेहत भरी जिंदगी चाहता हूं और इतनी रात के किसी और के घर रूकना ,मुझे वाकई में सही नहीं लगा।.. लेकिन मैं समझ सकता हूं ,तुम्हारा जाना बहुत जरूरी था इसीलिए तुम गई। इतना तो भरोसा है मुझे तुम पर ।...अब जल्दी से तैयार हो जाओ मैं और वेदिका तुम्हें हरियाणा भेज रहे हैं ।हरियाणा की ट्रेन आज शाम को है।"
निशा के पापा इतना कहकर रूम से चले गए ।निशा ने एक पल के लिए भी अपने पापा की तरफ नहीं देखा। उसने गुस्से से किताब पटक कर कहा।
निशा :"अब मैं क्या करूंगी हरियाणा जाकर? मैं सीधा सीधा भी तो नहीं कह सकती कि मुझे नहीं जाना है। वरना दादी बुरा मान जाएंगी ।"
शालू को यही सही मौका लगा। उसके चेहरे पर कुटिलता भरी मस्कान आई। वह निशा के करीब आई।
शालू:" तो निशा मैडम,आपको कहां जाना है?"
निशा के दिमाग में अचानक न्यूयॉर्क का ख्याल आया। क्योंकि उसे वाकई में इन सपनों के बारे में जानना था। अपने शालू से कहा।
निशा:" न्यू यॉर्क मुझे न्यूयॉर्क जाना है। क्योंकि...."
शालू ने से बीच में रोकते हुए कहा।
शालू:"क्या क्यों किंतु परंतु.....। मुझे यह सब नहीं जानना ।...तुम्हें न्यूयॉर्क जाना है बस, मेरे लिए इतना काफी हैं। मैं तुम्हारा न्यूयॉर्क जाने का रास्ता क्लियर कर सकती हूं ।हां, वहां भी मैं रहूंगी। तुम्हें मेरी जरूरत पड़ी तो ?मजाक कर रही थी। मैं तो हर दम तुम्हारे साथ ही रहने वाली हूं । मैं तुम्हारी यह विश पूरी कर दूंगी। मेरे अगले डेट के लिए रेडी हो?"
निशा थोड़ी देर सोच में पड़ गई। उसने सोचा, कि अगर न्यूयॉर्क जाना है तो इसमें सिर्फ शालू ही मदद कर सकती है ।वरना अगर वह अपने पापा से सीधा इस बारे में बात करके इजाजत मांगने गई तो उसके पापा इसलिए कभी हां नहीं करेंगे और अगर वह यह कहेंगी कि उसकी मॉम के कहने पर वहां जा रही है ,तब तो वह बिल्कुल भी नहीं मानेंगे ।उसने हां में सर हिलाया। शालू यह देखकर खुशी से हवा में घूमने लगी।
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निशा अपने क्लासरूम की तरफ बढ़ रही थी। शालू फिर उसके पीछे-पीछे हवा में तैरते हुए आ रही थी। निशा ने अपने कानों में वायरलेस हेडफोन लगाए रखे थे।
शालू :"यह तुमने अपने कानों में क्या लगाया है? ब्लूटूथ?"
निशा :"नहीं हेडफोनस है इडियट। आजकल कोई भी ब्लूटूथ यूज़ नहीं करता, उसके जगह यह आ गए हैं। मैंने इसलिए लगाया है ताकि अगर मैं तुमसे बात करूं तो लोग मुझे पागल ना समझे।"
शालू ने मुस्कुराते हुए कहा।
शालू:"बड़ी चालाक हो! अच्छा ,मेरे अगले बॉयफ्रेंड के बारे में कुछ सोचा है? मत सोचना क्योंकि मुझे पता है मुझे अपनी अगली रात किसके साथ बिताना है।"
निशा :"किसके साथ?"
शालू :"आरव के साथ।.."
आरव का नाम सुनकर निशा के पैर उसी जगह जम गए।उसने शालू की तरफ देखकर कहा।
निशा:" आरव? सुहाना का बॉयफ्रेंड? तुम पागल तो नहीं हो ?आरव और सुहाना लंबे टाइम से एक दूसरे के साथ है। मैं तुम्हारे लिए सुहाना को चीट करूंगी?"
शालू:" मेरे लिए नहीं, न्यूयॉर्क जाने के लिए।... तुम्हारे लिए वह सुहाना का बॉयफ्रेंड होगा ।मेरे लिए बस सिर्फ एक लड़का है जो इसवक्त मुझे पसंद है।"
निशा :"लेकिन वह सुहाना के लिए बहुत लॉयल है। वह मुझे डेट क्यों करेगा।"
शालू:" डेट नहीं ,मैं रात बिताने के लिए बोल रही हूं और यह काम जितना जल्दी होगा तुम्हारे लिए उतना अच्छा होगा । "
निशा बहुत ही परेशान हो गई। अपनी बेस्ट फ्रेंड को धोखा देना उसे वाकई में सही नहीं लग रहा था। पर बात न्यूयॉर्क जाने की थी तो कुछ तो करना था।
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निशा को इस बात का यकीन तो था कि शालू उसकी यह मनोकामना पूरी करी कर देगी। लेकिन उसके मन में थोड़ा शक भी था। उसकी यह पुरानी आदत थी। वह किसी पर इतनी जल्दी भरोसा नहीं करती।
तभी उसे सामने आरव दिखा, जो अपने कीसी दोस्त से बात कर रहा था। सुहाना उसके आसपास नहीं थी। निशा को यही मौका सही लगा। वह आरव के पास आई।
निशा:" एक्सक्यूस मी ,मुझे तुमसे जरुरी बात करनी है। "
आरव अपने दोस्त से विदा लेकर निशा के पास आया। उसने कभी सोचा नहीं था कि निशा कभी उससे फिर अकेले में बात करेगी।
आरव:" क्या हुआ निशा सब ठीक तो है?"
निशा:" मुझसे कुछ कहना था, पर यहां नहीं कह सकती। क्या तुम दो मिनिट के लिए लाइब्रेरी में आ सकते हो?"
आरव चौक गया । उसने कभी सोचा नहीं था कि निशा से उसे कुछ ऐसा सूनने मिलेगा। उसने हां में सर हिलाया। निशा ने वहां से जाते वक्त कहा।
निशा:" प्लीज तुम सुहाना को इस बारे में कुछ मत बताना।"
आरव ने फिर से हैरानी से हां में सर हिलाया।
***
निशा लाइब्रेरी में आरव का इंतज़ार कर रही थी। शालू भी अपने घुटनों को मुड़े हवा में उसके आसपास मंडरा रही थी ।
शालू :"मुझे बस इतना पता है ,कि वह तुम्हारी बेस्ट फ्रेंड का बॉयफ्रेंड है। ऐसा ना हो कि वह सुहाना को इस बारे में बता दें।"
निशा ने शालू की तरफ सवालों भरी नजर से देखा।
निशा:"क्या तुम आरव के बारे में बस इतना ही जानती हो ?सच सच बताना।"
शालू को हल्की सी हैरानी हुई कि निशा उससे ऐसा क्यों पूछ रही है।
उसी वक्त आरव लाइब्रेरी में आया। निशा और शालू का ध्यान आरव की तरफ गया। आरव ने देखा कि वहां पर निशा के अलावा कोई नहीं है। आरव अपनी आंखों में हजारों सवालों को लेकर निशा की तरफ बढ़ा। आसपास गहरा सन्नाटा था। निशा वहां एक टेबल पर किताब लेकर बैठी थी। आरव उसके सामने आया । उसने अपने दोनों हाथों को टेबल पर रख कर निशा की तरफ झुक कर कहा।
आरव:" क्या हुआ निशा ?क्या जरुरी बात करनी थी?"
निशा:"आरव , यहां सिर्फ तुम्हें और मुझे पता है कि मेरे एक्स बॉयफ्रेंड तुम ही हो।... सुहाना को भी इस बारे में कुछ पता नहीं। जो कि अच्छी बात है। देखो मुझे गलत में समझो ।मैं जानती हूं तुम मेरी बेस्ट फ्रेंड के साथ हो। मुझे कभी-कभी जलन होती है, की सुहाना तुम्हारी लाइफ में मुझसे ज्यादा टिकी हुई है। मैं अब बर्दाश्त नहीं कर पा रही हूं। कोई लड़की तुम्हारी लाइफ में है। "
आरव:"व्हाट्स रॉन्ग विथ यू निशा, होश में तो हो? हम दोनों कब के मुव ओन कर चुके हैं। तुम्हारी लाइफ में कार्तिक और मेरी लाइफ में सुहाना है। अब तुम्हारा कार्तिक से भी ब्रेक अप हो चुका है ,तो इसमें मैं क्या ही कर सकता हूं? संभालो अपने आप को। चाहती क्या हो तुम मुझसे?"
निशा उठकर आरव के पास जाकर खड़ी हुई। उसने आरव के कंधे पर हाथ रखा और अपने आकर्षित नजरों से आरव से नजरें मिलाकर कहा।
निशा:"तुम्हें इस बात से डर लग रहा है ना कि सुहाना को पता चल गया तो क्या होगा?... रिलेक्स, बात हम दोनों के बीच रहेगी। मैं तुम्हें जिंदगी भर डबल डेट करने के लिए नहीं कह रही हूं। यह सब बस कुछ टाइम के लिए होगा। ना तुम इसे सिरियस लोगे न ही मैं।"
आरव ने निशा से नज़रे मिलाई। उसने मुस्कुराते हुए हामी भरी। निशा में शालू की तरफ देखा। शालू धीरे-धीरे उसके करीब आई। आरव और निशा के हाथ एक दूसरे के कपड़े को उतारने लगे। निशा की नजर अभी भी शालू की तरफ थी। आरव धीरे-धीरे निशा के करीब आया ।निशाने अपने आंखें बंद कर दी। उसी वक्त शालू निशा के शरीर में प्रवेश कर गई।
