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Rubi 1996

Horror

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Rubi 1996

Horror

आईना

आईना

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मैं 12वीं मंजिल पर खड़ी थी। यहां से नीचे देखना बहुत ही डरावना एहसास है। पैर सुन्न पड जाते हैं। घुटनों में जान नहीं रहती। सर घूमने लगता है। यहां मरने के लिए आई थी पर मरने से भी डर लगता है।

बार-बार नजर हाथ के उंगली में पहनी हुई अंगूठी पर जाती है। फिर से मरने कि वजह जिंदा हो जाती है। एक अनजानी सी हिम्मत सीने में भर जाती है और सब कुछ पलक झपकते ही खत्म होने की वाला होता है कि पिछे से एक आवाज आती है।


"ए लड़की ,रुक...।"


मैंने पीछे मुड़कर देखा तो एक 30 से 35 साल का आदमी खड़ा था। मैं यहां सुसाइड करने आई हूं यह उसे पता चल गया था। उसने एक लंबा काला जैकेट पहना था। काले मध्यम बाल, आंखों पर काली फ्रैम वाला सफेद कांच का चश्मा, लंबी सी नुकीली नाक, गले में लाल मफलर और एक हाथ में कागज का कोन, जिसमें से दुसरे हाथ से वह भुने हुए चने निकालकर चबा रहा था।उसके चेहरे पर ना कोई डर न हीं चिंता थी। 


"उतरो नीचे...।"


हां हां, जैसे मैं उसकी बात मान जाऊंगी? मैंने इतराकर सर ना में हिलाया।


"उतरो नीचे, वरना मैं खुद धक्का दे दूंगा।..."


पता नहीं क्यों पर मैं नीचे उतर गई। जबकि वह मेरा काम आसान कर सकता था। वह अब भी अपनी भोइयों को सिकुड़ कर मुझे घुर रहा था।


" मरने आई हो?" आदमी ने पूछा।


"नहीं, पंछियों कि जनगणना के लिए आई हूं ।" मैंने ताना मारा।


" तुम्हें क्या यही अंडर कंस्ट्रक्शन साइट मिली थी? ब्रेक अप हुआ है या तलाक?" मेरी अंगूठी पर नजर घूमाते हुए कहा।


"आपसे मतलब??? और मैं आपका कहना कैसे मान गई?" मैंने उल्टा जवाब दिया।


"हम्म, मतलब पक्का दिल टूटा है। टुकड़ों की आवाज यहां तक आ रही है।" उस आदमी ने चने चबा कर कहा।


"आप क्या यहां मेरा मजाक उड़ाने आए हों?" मैंने गुस्से से पूछा।


"अब तुम खुद ही जिंदगी को मजाक समझ रही हो।.. ऐसा भी क्या हो गया?? मैं तुम्हें कोई सो कोल्ड मोटिवेशनल भाषन नहीं दुंगा।... की, तूम गलत कर रही हो, तुम्हारे मरने के बाद तुम्हारे मां बाप का क्या होगा, वगैरह - वगैरह...।" उस आदमी ने जवाब मांगा।


पता नहीं पर मुझे उस पर भरोसा होने लगा। मैंने मायूसी भरी शक्ल से अपनी अंगूठी को देखा। आंखों में जबरदस्ती के आंसू लाकर कहा।


"मैंने जिससे प्यार किया,वह मुझे छोड़कर किसी ओर का होने जा रहा है। ऐसे में, मैं और कर भी क्या सकती ।"


उस आदमी ने चने चबाना जारी रखा। मेरी तरह एक कदम बढ़ाकर कहा।


"अच्छा? पता है, मैंने भी अपनी लाइफ में कई औरतों को छोड़ा है। किसी ओर के लिए नहीं,बस किसी खास कारण के वजह से।"


यह सुन मेरे अंदर की गुस्से की आग शब्दों के रूप में मुंह से बाहर निकली।


"आपने भी??? आप सब मर्द एक जैसे होते हैं। खुदगर्ज, नासमझ, जिद्दी ..।दुसरों के दुख, तकलीफ, परेशानीयां इन सब से आप को कोई मतलब नहीं होता। आप मर्दों के लिए तो हम औरतें यूज़ एंड थ्रो होती है न???"


वह आदमी एकदम शांत था। उसे फेमिनिज्म वर्सेज मेनिजम के जंग से कोई मतलब नहीं था। उसने चने चबा कर कहा।


"यूज़ एंड थ्रो? वह भी एक औरत?? नहीं, बिल्कुल नहीं।कितनी ओंछी बात कह दी तुमने..।"


मैं - " आप ने ही तो कहा था आप कई लड़कियों को छोड़ चुके हो, ऐसा भी क्या कर दिया था आप के साथ उन्होंने??"


आदमी - "जो औरत हमेशा मुझसे कम्पलेन करती हो, मैं उसके साथ नहीं रह सकता..। क्योंकि यहां मैं अपने शौक पूरे नहीं कर पाता, उसके नखरे कहां से उठाउंगा?

जो औरत मेरी इज्जत न करतीं हो, मैं उसके साथ नहीं रह सकता..। क्योंकि ऐसी औरत के होते दुनिया मेरी इज्जत नहीं कर सकती।

जो औरत मुझसे ज्यादा मेरे पैसों पर हक़ जताती है, मैं उसके साथ नहीं रह सकता..। क्योंकि वह मेरे पैसों कि खातिर मेरे साथ है, जो मैंने पूरी जिंदगी सिर्फ उसके लिए तो नहीं कमाएं।

जो औरत मुझसे बिना सलाह मशवरा किए फैसले करती हो, मैं उसके साथ नहीं रह सकता..। क्योंकि मूझे ऐसी घमंडी औरत नहीं चाहिए, जिसके लिए मेरे शब्दों का कोई मोल नहीं।

जो औरत हमेशा कई मर्दों से घिरी हुई हो , यह कहकर कि वह उसके दोस्त हैं,मैं उसके साथ नहीं रह सकता।.. क्योंकि वह कभी भी मूझे उन मर्दों से रिप्लेस कर सकती है।

जो औरत हमेशा गुस्सा करती हो, मैं उसके साथ नहीं रह सकता..। क्योंकि उसके वजह से मेरी जिंदगी मे शांति और सुकून नहीं बचेगा।

और आखिर में, जिस औरत को मैं खुश नहीं कर सकता, उसे मैं खुद जाने के लिए कह दूंगा..। क्योंकि हर मर्द का खान - पान ,रहन - सहन‌ अलग होता है। मैं अपनी लव लाइफ नहीं बढ़ा सकता।"


मैं - "मतलब आप को सैक्रिफाइज करना ही नहीं है?"


आदमी -"सैक्रिफाइज वहां काम आता है जहां आप काम नहीं आते और अगर आप किसी के काम ही नहीं आओगे तो आपके सैक्रिफाइज का क्या मतलब? यह दुनिया अब बेमतलब के रिश्ते नहीं निभातीं, आप नहीं तो आपके जगह कोई और सही। आपसे आपका पार्टनर कोई न कोई उम्मीद रखेगा और वह आपको पूरी करनी होगी।एक हाथ से दे और एक हाथ से ले। क्योंकि अब कोई किसी का बोझ नहीं उठाता। यही सच्चाई है, लोग हमेशा आपको एक ओप्शन की तरह देखेंगे और वक्त आते ही आपको अपनी चोइस की तरह छोड़ देंगे। उनके पास बैक अप प्लैन भी होगा, की अगर आप न कहेंगे तो आपसे कैसे डील करेंगे। पहले रिश्ते जिम्मेदारीयां थे,की जैसे भी हैं संभालना ही है। लेकिन अब अगर कोई आपकी जिम्मेदारी लेता है तो आपको भी उसकी जिम्मेदारी लेनी होगी।इंसान अकेला पैदा होता है, अकेला मरता है लेकिन अकेले नहीं जीता। उसके जिंदगी में आपके आने से पहले बहुत लोग होते हैं।वह आपके लिए उनको कभी नहीं छोड़ेगा।आज कल के जमाने में तो बिल्कुल भी नहीं।उसने जब आपको मौका दिया,तब आपने अपने आप को बदला हो तो आपको वह नहीं छोड़ेगा । लेकिन आप ने उस मौके को गंवा दिया, तो कुछ नहीं हो सकता। वह आपके साथ नहीं रहना चाहेगा।वह एक ही एक्सपिरिएमेंट बार बार नहीं करेगा।"


उसके इस भाषण मे सच में दम है। मुझे एक ही झटके में बहुत कुछ सोचने में मजबूर कर दिया। मैंने उसे अगला सवाल किया।


मैं - " लेकिन मैं उसे न छोड़ना चाहूं तो?"


आदमी -" आपको किसी के सामने भीख मांगने की जरूरत नहीं।न अटैंशन के लिए और न इज्जत के लिए। जो भी हो अपने दम पर कमाओ। अगर न मिले तो रास्ते बदल लो। किसी को भी किसी की जिंदगी में ठहरने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। जबरदस्ती चलाएं गये रिश्ते ज्यादा लंबे समय तक नहीं टिकते। उसको अपनी जिंदगी से जाने दो। ताकि जब भी आप आइने में खुद को देखोगे, अपने आप से नजरें मिला पाओगे। वह रिश्ता , रिश्ता नहीं, जो बदले में आत्मसम्मान मांगता हो।"


मैं एकदम से चुप हो गई। कुछ बचा ही नहीं जिससे मैं उस आदमी का मूंह बंद करवा सकूं। उसने मुझे आईना दिखा दिया। मैं अपने आप को पहचानने लगी। क्या मैं किसी पर बोझ बन गई हूं, क्या इस रिश्ते का टुट जाना ही सही है। क्या मैं वैसी औरत हूं, जिसके साथ कोई भी नहीं रह सकता । मेरी कूछ तो गलती होगी न?


मेरे मन से मानो किसी ने आत्महत्या का ख्याल उखाड़ कर फेंक दिया हो। कोई वजह ही नहीं बचीं। मैं इस वक्त अपने आप को शक के कटघरे में खड़ी पा रही थी।अब तक मैं सारा दोष दुसरों पर डाल रही थी, लेकिन अब कुछ अलग ही महसूस हो रहा था।


मेरे कदम अपने आप सिढियों कि तरफ बढ़ने लगे। बिना कुछ बोले मैं वहां से जाने लगी। तभी उस आदमी ने कहा।


आदमी -"और हां, भगवान पर विश्वास रखो।वह तुम्हारे जिंदगी में किसी को भेजते हैं किसी रिज़न से और किसी को जिंदगी से निकालते हैं अच्छे रिज़न से।"


मैं पिछे मुडकर उन्हें 'थैंक्स' कहने वाली थी, लेकिन जैसे ही मैंने पीछे मुड़कर देखा वह वहां नहीं थे। मैं एकदम से हैरान हो गई। तभी उस बिल्डिंग का वाचमैन वहां आया।


वाचमैन -" अरे मैडम, आपको यहां किसने आने दिया? गेट खूला था तो क्या अंदर घुस जाओगी? यह क्राइम सीन है। यहां एक आदमी ने यहां से कूद कर जान दे दी थी, तबसे इस बिल्डिंग का काम बंद है और यहां किसी को आना अलाउ नहीं है।"


मैं थोड़ी हैरान हो गई -"तो यहां पर वह आदमी क्या कर रहा था?"


उस वाचमैन ने पूछा -"कौन आदमी?" मैंने उस आदमी की डिटेलिंग बताई।वाचमैन हक्का बक्का रह गया। उसने अपने मोबाइल से एक फोटो दिखाई।वह उसी आदमी की फोटो थी। मैंने हां कहा। उस वाचमैन ने कहा -"क्या मैडम? फिरकी ले रहे हो क्या?यह इस बिल्डिंग का मालिक था। बिल्डिंग कुछ लफड़े वाली निकली और केस हुआ तो वह भी हार गया। इसलिए इसने ही यहां से कूद कर जान दे दी।"


मेरे पैरों तले से जमीन खिसक गई। मैंने अभी अभी किस‌से बात की?उस वाचमैन के रिक्वेस्ट करने पर मूझे नीचे उतरना पड़ा।वह वाचमैन गेट की तरफ बढ़ा। मेरा दिमाग फटकर चार हो गया। मैंने जाते जाते पिछे मुडकर उपर छत पर देखा।वह आदमी अब भी वहां खड़ा मूझे देख मुस्कुरा रहा था। मैंने मुस्कुरा कर हाथ हिलाकर उसे थैंक्स कहा। वहां से मेरा सच में नया जन्म हुआ।



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