Priyanka Saxena

Romance Inspirational

4.5  

Priyanka Saxena

Romance Inspirational

बसंत को जाने नहीं देंगे

बसंत को जाने नहीं देंगे

4 mins
232


रजिस्ट्रार ऑफिस से बाहर आते हुए शिखा, "दीप, आज हमारे प्यार को नाम मिल ही गया, अब हम एक दूसरे के साथ पूरी ज़िन्दगी बिताने की ओर बढ़ चले।"

"शिखा, तुमने मेरा साथ पग-पग पर दिया, जब सभी मुझे एक नाकारा अपाहिज समझ कर किनारा कर गए तब भी तुमने मुझे थामे रखा। मेरा सम्बल बनीं, मेरा सहारा बनीं और तुम्हारे प्यार व विश्वास से देखो आज मैं फिर से चलने लगा हूॅ॑, भले ही बैसाखियों की मदद से ही सही..."

सीढियों ‌पर दीप का राज थामे शिखा उसके साथ चलती हुई नीचे आती है, आहिस्ता से दीप को कार की चालक के साथ की सीट पर बैठाकर बैसाखियों को फोल्ड कर बैकसीट पर रखती है।

शिखा स्वयं ड्राइविंग सीट पर बैठकर सीट बेल्ट लगाते हुए कहती है, "दीप, यदि मेरे साथ ऐसा कुछ हो जाता तो क्या तुम मुझे छोड़ देते? नहीं न.. फिर तुमने मेरे प्यार को कैसे इतना कमजोर समझ लिया था जो तुम्हारे एक्सीडेंट होने पर तुम्हारा साथ न देती।"

"शिखा, सिर्फ एक्सीडेंट ही नहीं हुआ था, मेरी दोनों टांगों को इतना नुक्सान पहुंचा था कि घुटने से नीचे जान ही निकल गई थी। महीने भर तक बिस्तर पर रहा फिर मेरे पैरों को डाॅक्टर ने ठीक होने की केवल बीस प्रतिशत उम्मीद बताई थी।"

शिखा कार स्टार्ट करते करते रुक जाती है, " दीप, मैं तुम से प्यार करती हूॅ॑ , यदि पूरी ज़िन्दगी भी मुझे तुम्हारा सहारा बनना पड़ता तो मुझे मंजूर था।  डाॅक्टर के‌ बीस प्रतिशत से मुझमें विश्वास आ गया कि तुम्हारे पैरों को ठीक किया जा सकता है।"

"फिर तुमने अपनी नौकरी के साथ साथ मेरी देखभाल, मेरे लिए प्रोटीनयुक्त आहार और पोषण वाले पौष्टिक भोजन की डाइट प्लान की। फिजियोथैरेपिस्ट की बताई सभी एक्सरसाइज करवाना , यह सब तुमने अपनी दिनचर्या में ढाल लिया। हालांकि यह सब करते करते तुम बहुत थक जाती थीं।"

"दीप, मेरा वो ही सवाल है कि यदि सगाई के बाद तुम्हारी जगह मेरा एक्सीडेंट हो जाता और मेरे पैरों का यह हाल हो जाता तब क्या तुम मेरा साथ छोड़ देते?"

"सवाल ही नहीं उठता है, शिखा। हमारी मैरिज घरवालों ने तय की थी, परंतु सगाई तक हम दोनों को ही प्यार की बसंती बयार ने अपने बस में कर लिया था और हम दोनों को वो कहते हैं न ' इश्क वाला लव' हो गया था। प्यार के रंग ने हम दोनों का जीवन महका दिया था फिर कैसे किसी भी मुश्किल में साथ न खड़े होते भला?"

दीप ने थोड़ा ठहरकर कहा," लेकिन शिखा, तुमने अपने घर में मेरे एक्सीडेंट के बाद बहुत विरोध झेला। तुम्हारे सगे-संबंधियों यहां तक कि तुम्हारे माता-पिता ने भी मेरे पैरों की हालत देख तुम्हें मुझसे रिश्ता खत्म करने की सलाह दी।

मैंने भी कई दिनों तक तुम से बात नहीं की इसलिए कि मुझ अपाहिज के साथ मैं तुम्हारा भविष्य बर्बाद नहीं करना चाहता था पर तुम अड़ी रही यही कहकर कि यदि तुम्हारे साथ ऐसा कुछ होता तब भी सब ऐसा कहते क्या?

मैं टूट चुका था, हिम्मत खो बैठा था पर तुमने हार न मानी...तुम लगी रहीं एक आशा के साथ और देखो तुम्हारी आशा जीत गई, मैं चल सकता हूॅ॑, पूरे दो साल बाद मैं चल रहा हूॅ॑।"

"दीप, पूरे दो साल बाद ही सही हमारी कोशिश रंग लाई हैं। अब हम बसंत को जाने नहीं देंगे...

तुम्हारे खोए हुए आत्मविश्वास को पुनः तुम्हारे साथ देखकर पूरी दुनिया में मुझसे ज़्यादा खुश कोई नहीं है, दीप।"

ऐसा कहकर शिखा ने कार अपने रास्ते पर बढ़ा दी जहां सुनहरा भविष्य पलकें बिछाए उन दोनों की प्रतीक्षा कर रहा है। कार ज्यों-ज्यों आगे बढ़ी त्यों-त्यों दोनों के मन बसंत ऋतु में जगह जगह पीली खिले सरसों को खेतों में लहलहाते देख प्रफुल्लित हो गए।

दीप और शिखा के दिल तो पहले ही मिल गए थे, किसी ट्रक में बजती, पीछे से सुनाई देती मधुर संगीत स्वरलहरी ने दोनों को प्रेम के अटूट बंधन में बांध लिया...

आओ आज कुछ ऐसा कर जाएं,

हम तुम में, तुम हम में

कुछ यूं खो जाएं कि

न मैंं मैं रहूं, न तुम तुम रहो,

न मुझमें मेरा कुछ रहें बाकी,

न तुम्हारा तुममें कुछ बाकी रहें।

कहीं कुछ गलत सही

का एहसास न रहें।

बस बसंती बयार ही

तन-मन महकाए‌।

एहसासों से परे,

भावनाओं के तले,

प्रेम की चुनर को यूं लहराएं कि

कोई रंग रहे न बाकी।

मन में खुशी की फुहार से

तन भीगे, भीगे मन।

***********************************

दोस्तों, आशा है प्यार की मीठी चाशनी में पगी मेरी यह कहानी आप को अच्छी लगी होगी। आपकी प्रतिक्रिया का इंतजार रहेगा। कृपया अपनी राय अवश्य साझा कीजियेगा। पसंद आने पर कृपया लाइक कमेंट और शेयर कीजिएगा। ऐसी ही अन्य खूबसूरत रचनाओं के लिए आप मुझे फाॅलो भी कर सकते हैं।

धन्यवाद।

(मौलिक व स्वरचित)



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Romance