Priyanka Saxena

Inspirational

4.8  

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एक पहल रोशनी की ओर!

एक पहल रोशनी की ओर!

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"बहू, दिवाली आने में कुछ दिन ही रह गए हैं।", मालती जी ने अपनी बहू रोमा से कहा

" जी मम्मी जी, एक हफ्ता रह गया है। " रोमा ने चाय छानते हुए कहा

मालती जी को चाय देकर अपनी चाय लेकर रोमा भी पास की कुर्सी पर बैठ गईं।

"कल समर के साथ जाकर बच्चों के लिए कपड़े मिठाई फल ले आना। फिर या तो कल शाम या फिर परसों सुबह चलेंगे।" मालती जी बोली

"मम्मी जी, अगर आप बुरा न मानें तो मैं एक बात कहना चाहती हूॅ॑।"

" हां, रोमा बोलो क्या बात है?" मालती जी ने आश्चर्य से पूछा

"मम्मी जी, मुझे शादी हुए घर में आए दो साल हो गए हैं। दो सालों से मैंने देखा कि हम घर के सभी लोगों के अलावा अनाथालय के बच्चों के लिए भी कपड़े,फल व मिठाई खरीदते हैं। अनाथालय में जाकर देकर आते हैं। बच्चे कितने खुश हो जाते हैं।" रोमा बोली

"हां, बहू हम बरसों से ऐसा ही करते आए हैं। दिवाली पर अनाथ बच्चों को अपने साथ शामिल कर खुशियां बांटने से दिली खुशी मिलती है।" मालती जी ने कहा

मालती जी के पति रामनाथ जी शहर के बड़े उद्योगपतियों में गिने जाते हैं। मालती जी और रामनाथ जी दोनों ही उदार हृदय हैं। समाज के लिए कुछ न कुछ करते रहते हैं। इकलौते बेटे समर की दो साल पहले रोमा से शादी हुई है।

रोमा बोली," इसी खुशी में और इज़ाफ़ा करने की इस बार मैंने सोचा है।"

"खुलकर बताओ, रोमा। " मालती जी ने कहा

"मम्मी जी, अपनी सोसायटी में करीब पचास फ्लैट्स हैं। कुल मिलाकर पैंतीस हाउस मेड्स या सहायक, पांच गाड़ी सफाई कर्मी और दस सफाई कर्मी हैं।" रोमा ने बताया

" ये सब तुम्हें कैसे पता?" मालती जी ने पूछा

"मम्मी जी, सोसायटी सेक्रेटरी के पास रजिस्टर मेंटेन रहता है जिसमें यह सब जानकारी उपलब्ध है।" रोमा ने बताया

"अच्छा।" मालती जी ने प्रभावित होकर कहा

"क्यों न हम उन सब के बच्चों के लिए भी कपड़ा, फल व मिठाई ले आएं।" रोमा ने सुझाव रखा

"रोमा, हम सभी लोग दिवाली पर कामगारों को बोनस या इनाम देते हैं।" मालती जी बोली

"जी मम्मी जी। वो इनाम या बोनस उनके घर में जाता है परंतु यदि हम उनके बच्चों को नये कपड़े आदि दें तो ऐसे में हमारे कामगारों को भी दिवाली पर अच्छा लगेगा। दिवाली बोनस या इनाम से बच्चों के लिए या घर के लिए वे कुछ और ले सकते हैं।" रोमा बोली

" ये बात तुमने अच्छी सुझाई, रोमा। आज ही चैक कर लेते हैं, बच्चों की उम्र आदि, कपड़े खरीदने में आसानी रहेगी। कल समर के साथ जाकर दिवाली पर अपने आस पास काम करने वाले मेड, सफाई कर्मी और गाड़ी सफाई कर्मी के बच्चों के लिए कपड़े, फल व मिठाई खरीद लेना। हमारे लिए काम करने वालों के बच्चों को यदि हम देंगे तो आस पास खुशियां महकेंगी। दिवाली दिल वालों का त्योहार है। दिल खोलकर सभी को शामिल कर खुशियां मनाएंगे।" मालती जी ने प्रसन्न होकर कहा

"एक पहल: सब को रोशनी की ओर लें चलें हम! " प्रफुल्लित मन से कहकर दोनों हंस पड़ी 


तत्क्षण रोमा और मालती जी अपने कामों में लग गए।


रोमा और मालती जी की बातचीत यूं तो बहुत साधारण है परंतु उनके इस कदम से वे अपने आस पास के काम करने वालों के घर में भी त्योहार की खुशियां बिखेरने में सहायक हो रहीं हैं। आइए, हम भी आस पास नज़र घुमाएं और कोशिश करें इस दिवाली किसी के घर को रोशन करने में अपना छोटा सा योगदान देकर।



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