आँसू बेसब्र होकर पलकों का किनारा तोड़ अपनी सीमा से आगे उसके गालों तक बढ़ आए थे। आँसू बेसब्र होकर पलकों का किनारा तोड़ अपनी सीमा से आगे उसके गालों तक बढ़ आए थे।
लेखक: यूरी कुरानोव अनुवाद : आ. चारुमति रामदास। लेखक: यूरी कुरानोव अनुवाद : आ. चारुमति रामदास।
मातृभूमि का आँचल भी माँ के आंचल जैसा होता है। मातृभूमि का आँचल भी माँ के आंचल जैसा होता है।
पीछे से सुनाई देती मधुर संगीत स्वरलहरी ने दोनों को प्रेम के अटूट बंधन में बांध लिया... पीछे से सुनाई देती मधुर संगीत स्वरलहरी ने दोनों को प्रेम के अटूट बंधन में बांध ल...
वह अपने हाथों को हटाती हुई बोली- "ना! चांदनी हूँ मैं तुम्हारी और तुम मेरे चांद।" मैंने कहा- "चोरनी ... वह अपने हाथों को हटाती हुई बोली- "ना! चांदनी हूँ मैं तुम्हारी और तुम मेरे चांद।"...
लड़कियों की चप्पलो से पिटी खोपड़ी पर कुछ बाल भी उग गए होंगे? लड़कियों की चप्पलो से पिटी खोपड़ी पर कुछ बाल भी उग गए होंगे?