इस सिसकती जिंदगी को जिंदगी कैसे कहूँजो करी तुमने थी मेरी बन्दगी कैसे कहूँ इस सिसकती जिंदगी को जिंदगी कैसे कहूँजो करी तुमने थी मेरी बन्दगी कैसे कहूँ
सूरज कहाँ छुपता है? वो तो चाँद को अपने सामने कर लेता है, अपनी रोशनी शीतल कर उसे देता है सारी रात। ता... सूरज कहाँ छुपता है? वो तो चाँद को अपने सामने कर लेता है, अपनी रोशनी शीतल कर उसे ...
खुद से बेखबर हो गए है हम...। खुद से बेखबर हो गए है हम...।
दादाजी दादी को बोले चार दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात दादाजी दादी को बोले चार दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात
एक तारा था... अभी आकाश में चाहता था दो होना...... एक तारा था... अभी आकाश में चाहता था दो होना......
ख़ैर, यहां बात इंसानों की नहीं, बल्कि उस खूबसूरत बगीचे की है ख़ैर, यहां बात इंसानों की नहीं, बल्कि उस खूबसूरत बगीचे की है