Nikita Vishnoi

Drama

4.9  

Nikita Vishnoi

Drama

वक़्त की करवट

वक़्त की करवट

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चाँद भी आज नए अंदाज में चाँदनी बिखेर रहा था जैसे उन्मुक्त गगन की दास्तां बया कर रहा था....

वो नीरव चंचल हवा जैसे वातावरण को मदहोशी में घोल रही थी।

वो संगीत जो कभी हम मित्र लोग बैठकर सुनते थे आज रिश्तों की कमी को खुलकर बता रहे था ....कहा खो गए वो दिन वो रिश्तों की पोटली जिसे पाने के लिए खुद से बेखबर हो गए है हम...।


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