कमरे के भीतर पहुंचते ही आर्यन फूट- फूट कर रो पड़ा। कमरे के भीतर पहुंचते ही आर्यन फूट- फूट कर रो पड़ा।
वह अपने हाथों को हटाती हुई बोली- "ना! चांदनी हूँ मैं तुम्हारी और तुम मेरे चांद।" मैंने कहा- "चोरनी ... वह अपने हाथों को हटाती हुई बोली- "ना! चांदनी हूँ मैं तुम्हारी और तुम मेरे चांद।"...