वह अपने हाथों को हटाती हुई बोली- "ना! चांदनी हूँ मैं तुम्हारी और तुम मेरे चांद।" मैंने कहा- "चोरनी ... वह अपने हाथों को हटाती हुई बोली- "ना! चांदनी हूँ मैं तुम्हारी और तुम मेरे चांद।"...
क्या आप दोनों एक दूसरे से पहले से परिचित है ? क्रमशः___ क्या आप दोनों एक दूसरे से पहले से परिचित है ? क्रमशः___
उस दिन भी वह मेरे विचारों में आकर मुझे व्यथित करता रहा। उस दिन भी वह मेरे विचारों में आकर मुझे व्यथित करता रहा।
बैंक वालो को भी देखना चाहिए कि कतार में लगे लोगों को प्राथमिकता दे। बैंक वालो को भी देखना चाहिए कि कतार में लगे लोगों को प्राथमिकता दे।
जब मानसिक तौर पर पूरी तरह तैयार हो जाएंगी, तब बच्चे के बारे में सोचेंगी जब मानसिक तौर पर पूरी तरह तैयार हो जाएंगी, तब बच्चे के बारे में सोचेंगी
अनेकों बार मनुष्य के मन में उठा भय वास्तव में यथार्थ ही होता है। अनेकों बार मनुष्य के मन में उठा भय वास्तव में यथार्थ ही होता है।