डायरी दिनांक २०/१२/२०२१
डायरी दिनांक २०/१२/२०२१
शाम के पांच बजकर पैंतालीस मिनट हो रहे हैं ।
महान लेखक वही कहलाते हैं जिनकी रचनाओं के पात्र मन में उथल पुथल मचा दें। कुछ अलग सोचने को विवश कर दें।
निश्चित ही जयशंकर प्रसाद जी महानतम रचनाकार हैं। कल जयशंकर प्रसाद जी का उपन्यास तितली पढ़ना आरंभ किया। हालांकि अभी प्रथम खंड ही पूर्ण किया है तथा दूसरे खंड का आरंभ कर दिया है। पूरा उपन्यास पढ़ने में जरा समय लगेगा। क्योंकि थोड़ा लेखन भी जारी है। तथा कुछ रचनाकारों की रचनाएं पढ़ना भी।
निश्चित ही लेखन एक मानसिक प्रक्रिया है। प्रतियोगिताएं भले ही लेखन का बहाना होती हैं। पर यथार्थ लेखन तभी होता है जबकि लिखने का मन हो।
आज का दिन जरा व्यस्त रहा। ऑफिस में बहुत काम थे। हालांकि वरिष्ठ अधिकारी ज्यादा संतुष्ट नहीं थे। आजकल मैंने वरिष्ठों को बहुत अधिक संतुष्ट करना ही बंद कर दिया है।
मनुष्य जिन लोगों के मध्य रहता है, जिनसे चर्चा करता है, निश्चित ही वे लोग उस मनुष्य के जीवन पर गहरा प्रभाव डालते हैं। संस्कारों पर संगति अधिक प्रभावशाली हो जाती है। अच्छी संगति हमेशा आगे बढ़ाती है। जबकि कुसंगति हमेशा नीचे ही गिराती है। इसलिये आवश्यक है कि मनुष्य इस बात पर गहराई से विचार करे कि वह किन लोगों की संगति में है।
जीवन में आगे बढ़ने के लिये हौसला अति आवश्यक है। अनेकों बार मनुष्य हौसला हो देते हैं। फिर वे उस समय रुक जाते हैं जबकि उन्हें आगे बढ़ना चाहिये।
अनेकों बार मनुष्य के मन में उठा भय वास्तव में यथार्थ ही होता है। अनेकों बार बहुत समय से अपनी शक्ति का डंका बजाने बाले अचानक अपनी असमर्थता से परिचित हो जाते हैं।
ईश्वर ने प्रत्येक मनुष्य को अधूरा ही बनाया है। वह संसार में ही आकर ज्यादातर सीखता है। कोई भी माता के गर्भ से सीखकर नहीं आता है। निश्चित ही अभिमन्यु का एक उदाहरण है। कुछ और भी उदाहरण हो सकते हैं। पर यथार्थ में ज्ञान संसार में आकर ही मिलता है।
पर अनेकों बार मनुष्य सीखने को प्रमुखता नहीं देता है। फिर कुछ झूठी तारीफ करने बालों का साथ भी मिल जाता है। पर जब वही मनुष्य अपने साथ के दूसरों को सीखकर आगे बढ़ते देखता है, उसी समय अपना मनोबल खो देता है। फिर वह अपनी स्वाभाविक गति से भी आगे नहीं बढ पाता।
अपने साथी का भला चाहने बालों को चाहिये कि उसे हमेशा उत्साहित करें। पर उसकी कभी भी झूठी तारीफ न करें। झूठी तारीफ से कभी भी किसी का हित नहीं होता है।
आज के लिये इतना ही। आप सभी को राम राम।
