STORYMIRROR

Diwa Shanker Saraswat

Drama Romance

3  

Diwa Shanker Saraswat

Drama Romance

पुनर्मिलन भाग ३६

पुनर्मिलन भाग ३६

3 mins
209


 नंदनंदन और कीर्तिकुमारी दोनों हाथों में हाथ दिये हुए, हँसते खेलते, कुछ वयस्क गोपों के साथ घर की तरफ चले तो कभी मार्ग में खिले किसी पुष्प को तोड़ने लगते, कभी किसी रंगबिरंगी तितली को देख उसके पीछे भागते, कभी किसी लता कुंज के पीछे जा छिपते। बयस्क गोप कभी फटकार लगाकर, कभी उन दोनों को बरबस कंधे पर बिठाकर, कभी उनके हाथ पकड़कर मार्ग में आगे बढ रहे थे। जानते थे कि बच्चे तो अपनी बाल प्रवृत्ति के अनुसार शरारत करेंगे ही। ऐसे में उनकी जिम्मेदारी और अधिक बढ जाती है।

 सहसा मौसम का रुख ही बदलने लगा। कुछ समय पूर्व तक जो मौसम पूरी तरह साफ था, वह तेज तूफान के साथ तेज बारिश में बदल गया। गोप दोनों बच्चों को मौसम की मार से बचाते हुए, एक सुरक्षित गुफा की तरफ ले जाने लगे। पर संभवतः दोनों बच्चों को उसी समय अधिक शैतानी करने का मन था। नंदसुत और कीर्तिसुता दोनों ही गोपों से अपने हाथ छुड़ा हँसते हुए उसी भयानक बारिश में भागने लगे। गोपदल बच्चों को पुनः पकड़ने के लिये उनके पीछे चला। पर अब वे बच्चे कहाँ उनकी पकड़ में आते।

 दोनों बच्चे लुप्त हो गये। मौसम और अधिक खराब हो गया। हाथ को हाथ नहीं सूझ रहा था। फिर बच्चों की चिंता में अधीर हुए गोप रोने ही लगे। अपने आराध्य से विभिन्न प्रकार से प्रार्थना करने लगे। पर उस दिन गोपों के आराध्य मौसम का आश्रय लेकर एक अनोखी लीला ही रचने जा रहे थे।

 वहीं कुछ दूर ही न तो तेज हवा का प्रवाह था, न बारिश की एक भी बूंद गिर रही थीं। बाल कृष्ण और बालिका राधा भी अपने बाल रूप को तज नित्य किशोर और नित्य किशोरी रूप में थे। बड़ी मनोहारी छवि थी, जिसका दर्शन विभिन्न देवों के सहित भगवान शिव और भगवान ब्रह्मा भी कर रहे थे।

 " संसार के मूल तत्व प्रेम के साक्षात रूप आप दोनों को हमारा प्रणाम स्वीकार हो। भगवन। सत्य यही है कि इस अवतार में आप दोनों वियोग के माध्यम से प्रेम का सर्वोच्च आदर्श स्थापित करेंगे। कहा यही जायेगा कि आप दोनों हमेशा विरही रहे। हालांकि आप दोनों का वियोग ही एक हास्यास्पद विषय है। आप दोनों ही एक दूसरे के पूरक तो हैं। " भगवान ब्रह्मा बोलते रहे।

" देवों के देव भगवान श्री कृष्ण! स्वयं प्रेम को भी प्रेम अर्पित करने बाली देवी राधा! आज हम सभी देव एक विशेष आशा से आपके पास आये हैं। भविष्य में भक्तों द्वारा देवी राधा ही आपकी प्रिया के रूप में पूजी जायेंगी तथा उसके लिये आप दोनों का विवाह हम देखना चाहते हैं। "

 श्री कृष्ण और राधा के अनुमोदन के साथ ही अग्नि देव प्रज्वलित हो गये। भगवान ब्रह्मा खुद विवाह कराने बाले ब्राह्मण के रूप में बैठ गये। विभिन्न मंत्रों का उच्चारण होने लगा। वर और वधू के रूप में बैठे श्री कृष्ण और राधा दोनों अग्नि में आहुतियां देने लगे। माता पार्वती ने दोनों का गठबंधन किया। तथा अग्नि देव की परिक्रमा कर भांवर पड़ने लगी। भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह के अवसर से आरंभ हुए वचनों की शपथ भी दोनों ने ली। श्री कृष्ण और राधा का विवाह संपन्न हुआ। देवों ने पुष्प बरसाये। गंधर्वों ने गान गाये। अप्सराओं ने मनोहारी नृत्य किये। दूसरी तरफ गोप समुदाय दोनों को विकलता से ढूंढ रहा था। जब विवाह की रहस्यमई लीला पूर्ण हो गयी, उसी के बाद मौसम सामान्य हुआ, गोपों को दोनों बच्चे एक वृक्ष के नीचे बारिश में भीगे मिले। बुजुर्ग गोपों ने दोनों बच्चों को अच्छी तरह फटकार लगायी। कर्तव्य के साथ अधिकार स्वयं आ जाता है। दो बड़े गोप समुदायों के मुखियाओं की संतान होकर भी दोनों सामान्य गोपों की फटकार उसी तरह सुनते रहे, मानो उनके माता पिता ही उन्हें फटकार रहे हों।

 गोपों ने श्री कृष्ण और राधा को नंदगांव देवी यशोदा के पास पहुंचा दिया। किसी को भी ज्ञात नहीं हुआ कि आपस में प्रेम करने बाले दोनों उस बरसात की रात्रि विवाह बंधन में बंध चुके थे।


क्रमशः अगले भाग में



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama