यह एकदम सही समय है, बच्चा प्लान कर लो ........
यह एकदम सही समय है, बच्चा प्लान कर लो ........
निशि और मधु पिछले 4 सालों से एक ही कंपनी में काम कर रही थी। हमउम्र होने और एक साथ काम करने के कारण दोनों बहुत ही अच्छी दोस्त हो गयी थीं। दोनों की शादी भी लगभग ३ साल पहले १-२ महीनों के अंतराल से हुई थी। किस्मत अच्छी थी कि दोनों का ससुराल भी अपने ही शहर में था, इसीलिए शादी के बाद भी दोनों की नौकरी और दोस्ती बनी रही।
नहीं तो अक्सर देखने में आता है कि लड़की का ससुराल अगर दूसरे शहर में है या लड़का दूसरे शहर में नौकरी करता है तो ,लड़की को ही अपनी नौकरी छोड़कर लड़के के साथ शिफ्ट होना पड़ता है, चाहे लड़की की नौकरी कितनी ही बढ़िया हो। शहर छूटता है तो दोस्त भी छूट जाते हैं। उसके बाद घर और बाहर की ज़िम्मेदारियों में व्यस्त लड़की के पुराने दोस्त केवल सुनहरी यादें बनकर दिल में कहीं दफ़न हो जाते हैं।
लेकिन निशि और मधु दोनों ही इस मामले में किस्मत की धनी कही जा सकती हैं। दोनों ही दोस्तों ने सोच रखा था कि ,"पहले अपने पति को ठीक से जानेंगी और समझेंगी। जब मानसिक तौर पर पूरी तरह तैयार हो जाएंगी, तब बच्चे के बारे में सोचेंगी। "
घर और बाहर सम्हालते, ससुराल और पति के साथ समायोजन बिठाते -बिठाते दोनों की शादी को कब 3 साल हो गए थे;पता ही नहीं चला था ।उसमें से 6 महीने तो कोरोना संकट के ही थे। निशि और मधु दोनों ने ही वर्क फ्रॉम होम ले रखा था। कभी -कभी किसी प्रोजेक्ट के सिलसिले में दोनों को ऑफिस आना पड़ जाता था। आज निशि और मधु दोनों ही ऑफिस में आये हुए थे, सोशल डिस्टन्सिंग का पालन करते हुए दोनों इतनी दूर बैठे थे कि मास्क की जरूरत नहीं थी।
मधु जो कि भावनात्मक रूप से निशि से मजबूत थी, कई बार निशि के चेहरे को पढ़ चुकी थी, उसे निशि आज परेशान और दुःखी लग रही थी। उसने लंच टाइम में अपना लंच फिनिश किया और जब देखा कि निशि भी अपना लंच ले चुकी है तो अपना मास्क लगाया और निशि की तरफ अपने कदम बढ़ा दिए। मधु को अपनी तरफ आते देख निशि ने भी अपना मास्क लगा लिया था।
"क्या हुआ ?आज तुम कुछ उदास दिख रही हो ?", मधु ने निशि के सामने २ गज दूरी पर स्थित कुर्सी पर बैठते हुए बोला।
"नहीं तो। मैं तो बिलकुल ठीक हूँ। और तुम बताओ घर में सब कैसा चल रहा है ?",निशि ने बात बदलने के लिए कहा।
"तुम ठीक नहीं हो। तुम्हें इतने सालों से जानती हूँ, मास्क के पीछे चेहरा भले ही छिपा हो, तुम्हारी आँखें तो अब भी पढ़ सकती हूँ।" मधु ने फिर पूछा।
"मेरी छोड़ो ,तुम बताओ तुम्हारे घर पर सब कैसा चल रहा है ?" निशि ने बात टालने के लिए कहा।
मधु ,निशि की इस आदत से परिचित थी। वह जल्दी से अपने दिल की बात नहीं बताती थी। इसलिए मधु ने कहा ,"घर पर तो सब ठीक ही है। लेकिन अब सब लोग बच्चे के लिए दबाव डाल रहे हैं। शादी को ३ साल जो हो गए, लेकिन मैं अभी कोरोना संकट के दौरान कन्सीव नहीं करना चाहती। कोरोना नहीं होता तो मैंने सोच रखा था कि करियर एक बार सेटल हो जाए तो बच्चा प्लान कर लूंगी। करियर सेटल सा हो भी गया था, लेकिन कोरोना ने सब बदल दिया। मृदुल का स्टार्ट अप भी अब थोड़ा सुस्त ही है। मृदुल को भी मैंने अपने निर्णय से अवगत करा दिया है। घर में थोड़ा सा तनाव है, लेकिन हफ्ते २ हफ्ते में ठीक हो जाएगा। "
" मैं भी ऐसे ही confusion में हूँ। बच्चा प्लान करूँ या न करूँ, समझ नहीं आ रहा।" निशि ने आखिर अपने दिल की बात बता ही दी।
"confusion ? वह क्यों भला ?" मधु ने कहा।
"कोरोना एक तो बच्चों में बहुत कम हो रहा है और दूसरा प्रेगनेंट लेडी से उसके बच्चे में कोरोना संक्रमण के बहुत कम मामले हैं। तो कभी लगता है कि यह सही समय है वर्क फ्रॉम होम भी मिल सकता है और कभी लगता है कि प्रेगनेंसी के दौरान नियमित चेक अप के लिए हॉस्पिटल जाना मुश्किल हो जाएगा। कुछ गड़बड़ हो गयी तो ,इसलिए तनाव में हूँ। पुलकित से तो बात भी तब ही करूँ, जब खुद को कुछ क्लियर हो। " निशि ने कहा।
" कोरोना संक्रमित माँ से बच्चे को कोरोना तो कम हो रहा है, लेकिन कुछ रेयर न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर की संभावना बढ़ जाती है। प्रेगनेंसी का फर्स्ट ट्रिमस्टर बहुत ही क्रूशियल होता है, अगर उस समय कोरोना हो गया तो भ्रूण के विकास में समस्या आ सकती है। अब कोरोना जिस तेज़ी से फ़ैल रहा है, उससे और समस्या उत्पन्न हो सकती है। फिर तुम्हारे तो घर में सास -ससुर की देखभाल करने वाला भी कोई नहीं है। वैसे ही प्रेग्नंट वीमेन को देखभाल चाहिए होती है; घर में किसी को भी हो गया तो दिक्कत हो ही जायेगी। " मधु ने बताया।
"तुम्हारी बात है तो सही। ",निशि ने हां में हां मिलाते हुए कहा।
"और सुन यार ,वैसे ही हमारे देश में कोरोना का सामना करने के लिए स्वास्थ्य संसाधनों की कमी है। अगर सबकी सोच मेरी जैसी हो जाए और प्रेगनेंसी को थोड़ा आगे कर दें तो प्रसव पूर्व और प्रसव के बाद उपलब्ध करवाए जाने वाले स्वास्थ्य संसाधन कोरोना और अन्य बीमारियों से पीड़ित लोगों के काम आएंगे। एक तो हमारा स्वास्थ्य जोखिम कम हो जाएगा, दूसरा देश की सेवा भी हो जायेगी।" मधु ने मुस्कुराते हुए कहा।
"अब मेरा confusion दूर हो गया। पहले मैं और पुलकित वैक्सीन के दोनों डोज़ लेंगे, फिर जब स्थिति पहले से थोड़ी बेहतर होगी तब बच्चा प्लान करेंगे। । दोस्त हो तो तेरी जैसी। "निशि ने मुस्कुराते हुए कहा।
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*Source :The Hindu
दोस्तों कोरोना संकट के कारण उपजी एक और समस्या पर लिखने का प्रयास किया है .लेकिन जरूरी नहीं कि मेरी सोच ही एकमात्र सही हो. .
