Find your balance with The Structure of Peace & grab 30% off on first 50 orders!!
Find your balance with The Structure of Peace & grab 30% off on first 50 orders!!

Gita Parihar

Abstract

3  

Gita Parihar

Abstract

बोम्बे और दहेज

बोम्बे और दहेज

3 mins
128


मायानगरी कहें अथवा देश का फाइनेंशियल कैपिटल मुंबई वह नगरी है जहां आने के लिए लोग सपने बुना करते हैं। कहते हैं देश का यह एक ऐसा शहर है जहां सपने सच भी होते हैं।  

मुंबई की सभ्यता बहुत पुरानी है। दूसरी सदी में भी इसके होने का प्रमाण मिलता है। मौर्य साम्राज्य में इन द्वीपों में हिंदु और बौद्ध मान्यताओं के लोग बसते थे।

 पुर्तगालों के आने के बाद यहां सबसे बड़ा बदलाव आया।

1534 तक मुगलों की कब्जा पूरे भारत में था। उधर हुमायूं की ताकत बढ़ रही थी। गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह किसी तरह मुगलों को दूर रखना चाहते थे। 9वीं सदी से ही मुंबई के द्वीप गुजराती परिवार के पास थे। मुगलों के डर के कारण बहादुर शाह ने पुर्तगालियों के साथ एक संधी की। यह 1534 की बेसिन की संधि थी जिसके अंतर्गत बॉम्बे के 7 द्वीप जो बेसिन शहर के करीब थे (अब बेसिन को वसई कहा जाता है जो मुंबई का ही हिस्सा है) वो पुर्तगालियों के कब्जे में होने थे। यह मुंबई के बनने की शुरुआत थी।

1534 में पुर्तगालियों ने मुंबई द्वीपों को एक ट्रेडिंग सेंटर या फैक्ट्री बनाने की शुरुआत की। पुर्तगाली इस शहर को बॉम बाहिया (Bom bahia) कहते थे जिसका अर्थ था 'the good bay' (एक अच्छी खाड़ी)। इसी शब्द को अपभ्रंश कर अंग्रेजों ने कहना शुरू किया बॉम्बे और ऐसे इन द्वीपों के समूह का नामकरण बॉम्बे हुआ।

100 वर्षों से भी कम समय में यह एक बड़ा शहर बन चुका था। यहां जहाज बनाने के लिए एक यार्ड भी बन गया था। जहां से चीजों का आयात- निर्यात होने लगा।

अंग्रेजों और पुर्तगालियों के बीच 1612 में एक जंग लड़ी गई थी, लेकिन उस जंग में मुंबई सुरक्षित रहा। अंग्रेज खाली हाथ लौट गए। 1626 में पहली बार अंग्रेजों ने मुंबई की तरफ रुख किया।

बॉम्बे गहरे पानी का पोर्ट था जहां बड़े जहाज आसानी से आ सकते थे लेकिन इस पर किसी भी रास्ते से जमीनी हमला नहीं किया जा सकता था। ऐसे में अंग्रेज किसी बाहरी तौर पर बॉम्बे पर कब्जा तो नहीं कर पाए, लेकिन उन्हें बॉम्बे बड़ी आसानी से मिल गया। यह कहानी बड़ी दिलचस्प है।

1652 में सूरत काउंसिल ऑफ ब्रिटिश अम्पायर ने अंग्रेजों से कहा कि वे बॉम्बे को पुर्तगाल से खरीद लें। यह हो न सका। 9 सालों के अंदर ब्रिटेन के चार्ल्स II की शादी पुर्तगाल के राजा की बेटी कैथरीन से हुई तो 11 मई 1661 को बॉम्बे के 7 द्वीप ब्रिटेन को दहेज में दे दिए गए।

चार्ल्स ने 10 पाउंड सोना सालाना के किराए पर बॉम्बे ईस्ट इंडिया कंपनी को दे दिया। इस तरह ईस्ट इंडिया कंपनी मुंबई में आ गई। ईस्ट इंडिया कंपनी के लोगों का मानना था कि बोम्बे उनके लिए अनुकूल नहीं थी। उनका ऐसा मानना था कि इस जगह आने के तीन साल के अंदर यूरोपियन अधिकारियों की मृत्यू हो जाएगी। वहां दो मॉनसून देखने के बाद लोग तीसरा नहीं देख पाते थे। जो बच्चे पैदा होते थे उनमें से भी 20 में से 1 ही बच पाता था। जो पुरुष वहां रहते लगे उन्होंने स्थानीय महिलाओं से विवाह कर लिया। धीरे-धीरे वो लोग बॉम्बे के हो गए।


Rate this content
Log in

More hindi story from Gita Parihar

Similar hindi story from Abstract