भूतिया कहानी
भूतिया कहानी
उत्तर प्रदेश के जालौन जिले के कालपी नामक शहर में बाँदा शहर के एक सिपाही की तैनाती थी जहाँ पर वो किराये से रहा करते थे तथा अपने कर्तव्यों का निर्वाहन करते परन्तु एक दिन वहीं पर रहने वाले पड़ोसी से बातचीत हुई और आपसी मेलजोल बढ़ा व सिपाही भी काफ़ी मिलनसार थे । एक दिन जब बैठे थे तब पड़ोसी कहते हैं कि भाई साहब आप पुलिस वालों को ड़र नहीं लगता और ऐसा हर जगह प्रचलित है कि पुलिस वालों में ड़र व दया की भावना नहीं होती तब उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं होता है आख़िर हम भी इंसान ही हैं लेकिन ड्यूटी की प्रवृत्ति के अनुसार हमें वैसा ख़ुद को ढालना पड़ता है।
ख़ैर बात हुई कि भूतों से भी डर नहीं लगता तो इन्होंने कहा कि ड्यूटी,ड्यूटी होती है चाहे जहाँ लगे जाना होता है। इस तरह एक दिन ऐसा मौक़ा आया कि यमुना पुल की ओर जब वो रात्रि गस्त के लिए जा रहे थे उस समय लगभग रात्रि के 12 बजे का समय रहा होगा उसी समय अचानक एक औरत पर नज़र पड़ी जो कि पुल के किनारे बैठी हुई थी तो इन्होंने खाँसा लेकिन उसमें कोई हरकत नहीं हुई अर्थात उठ कर जाना इत्यादि तब इन्होंने सोचा कि आख़िर इतनी रात गुज़र चुकी और ये यहाँ क्या कर रही है. कुछ हुआ तो नहीं जिससे कि थाने में सूचना प्रेषित की जाए, ऐसा सोचते हुए जब आगे क़दम बढ़ाया तब जाकर वो औरत हर क़दम पर धीरे-धीरे आगे बढ़ जाती लेकिन औरत आगे-आगे और सिपाही पीछे-पीछे तो इन्होंने सोचा शायद ये मूकबाधिर हो इसलिए मदद के वास्ते आगे बढ़ते जाते पर ख़ास बात ये थी ग़ौर करने वाली कि वो उठ कर नहीं बैठती परन्तु वह यथास्थिति अवस्था में ही बैठी दिखाई देती तब जाकर हल्का सा वो सिपाही सहमे की आख़िर ऐसा क्यूँ प्रतीत हो रहा है, कहीं ये कोई चुड़ैल वग़ैरह तो नहीं (जैसा कि पड़ोसी ने ऐसी घटना के बारे में अवगत कराया था)
फिर कुछ आयतों का विर्द (मंत्रों का जाप) करते हुए निडर रूप क़दम बढ़ाते गए परन्तु जब कुछ और आगे बढ़े तो देखा कि वो ग़ायब होकर नदी के किनारे जा पहुँची तथा तदोपरांत कुछ समय बाद उसने एक घोड़े का रूप धारण किया इसके साथ-साथ कई रूप धारण किए तब चुड़ैल होने का शक हकीक़त में बदल गया इस प्रकार सिपाही विर्द करते हुए ड्यूटी करने हेतु सीधा थाने को प्रस्थान किया।
इस प्रकार इस घटना को पड़ोस व थाने में जाकर बताया तब कहा गया कि वहाँ पर अक्सर ऐसी घटना होना सामान्य बात है इसीलिए कहा गया है कि
*जो डर गया वो मर गया*

