यात्रा
यात्रा
हम बैठने नहीं देंगे ऐसा एक समूह के व्यक्तियों ने भुनभुनाते हुए कहा जिसकी शुरुआत इस प्रकार होती है......
एक बार मैं लौहपथ गामिनी से अपने गंतव्य की ओर प्रस्थान करने हेतु सामान्य बोगी में यात्रा कर रहा था और जैसा कि आप सभी सामान्य बोगी के हालातों से भलीभांति परिचित ही होंगे फिर भी एक छोटी सी घटना को आप सभी के साथ साझा कर रहा हूं।
उस यात्रा के दौरान जब मैं बोगी में चढ़ा तो बोगी खचाखच भरी हुई थी देखते ही यह आकलन हुआ कि जब बाहर से इतनी भरी हुई है तो अंदर का क्या हाल होगा? इतना सोचना था कि एक सहयात्री कहता है कि अंदर चल के देखते हैं जो होगा देखा जाएगा फिलहाल अंदर जाने के बाद एक कहावत याद आई कि "हाथी के दांत दिखाने के कुछ और खाने के कुछ और" और यह ज्ञात हुआ कि अंदर जगह तो है परंतु अधिकांश लोग नीचे फर्श पर बैठे व कुछ लेटे हुए थे पर अनारक्षित बोगी में भी ऐसा लगता मानो सभी ने आरक्षण करा रखा हो अर्थात सीट पर हम बैठें हैं लेकिन कोई अन्य व्यक्ति नहीं बैठेगा या दूसरी भाषा में कहा जाए तो दादागिरी........
इधर से उधर घूमते हुए एक सीट नजर आती है तो उस सीट पर अस्वस्थ माता जी बैठा देते हैं लेकिन सामने की सीट पर जो स्त्री बैठी हुई थीं उन्होंने कहा आप यहां से उठिए और जहां जाना है जाइए यहां पर हमारे "वो" बैठे हैं और तुम जानते नहीं कि वो क्या हैं तब हमने कहा जब तक नहीं आते तब तक के लिए ही सही उनके आने पर हम उठ जाएंगे पर वो स्त्री नहीं मानी लेकिन उस स्त्री के पति (सैनिक) ने फिलहाल हालातों को देखते हुए कहा कि आप बैठ जाइए परंतु दूसरी तरफ जो सहयात्री थे उनको भी कुछ यात्रियों के पास सीट उपलब्ध होने के बावजूद उन्होंने बैठने नहीं दिया कहा हम तो लेट के ही जाएंगे बस तुम्हें जो करना है कर लो तो उन्होंने कहा कि भाई सभी को यात्रा करना है व लड़ाई झगड़ा करना उचित नहीं है इसलिए यदि आप हमें भी बैठने दे तो साथ यात्रा का आनंद लेते हुए अपने २ गंतव्य पर पहुंच जाएंगे और समय भी व्यतीत हो जाएगा तब उस समूह के लोगों ने कहा कि हम इतने ख़ुद ही है इसलिए आपकी जरूरत नहीं है व वहां खड़े होकर आप अपना और हमारा समय बर्बाद न करें (अभद्रता करते हुए कहा) फिलहाल यह अंतिम बार कह रहें हैं कि आपको हम बैठने नहीं देंगे............
कुछ आप सहयोग करें व कुछ सहयोग हम भी करते हैं,
समय बिताने के लिए मिलकर साथ मनोरंजन करते हैं।
आख़िर दोनों ने खड़े खड़े ही सफर किया परंतु उस समूह ने जो किया उससे उनके साथ उनके क्षेत्र की भी बदनामी हुई कि फलां जगह के लोग ऐसे होते हैं क्योंकि यात्रा के दौरान खड़े होकर यात्रा करने में हम अकेले तो नहीं......
शिक्षा: गलत व्यवहार करने से व्यक्ति उसके साथ साथ उसके शहर, राज्य इत्यादि के लोग खराब होते हैं ऐसा कहकर संबोधित करते हैं परंतु सही व्यवहार करने वाले को व्यक्ति सिर्फ व्यक्ति विशेष के नाम से संबोधित करते हैं।
लाख अच्छाइयां हों मगर इसके चर्चे सरेआम नहीं होते,
बुराई एक हो मगर इसके चर्चे सारे जहां में कर रहे होते।
