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Prahlad mandal

Abstract Tragedy Inspirational

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Prahlad mandal

Abstract Tragedy Inspirational

भूला नहीं जाता वो दिन यार

भूला नहीं जाता वो दिन यार

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हंसते बिखरते उस बस की आवाजें,

किसी के नजरों में गढ़ गए थे।

अनजाने में आकर दुश्मनों ने,

पीठ पीछे वार किए थे।


शांति फैली हुई थी यहां मेरे,

दुश्मनों के यहां शोर हो रहे थे।

ये कम दिन वाली फरवरी भी,

आधे में ही खत्म लग रहें थे।


भूला नहीं जाता वो दिन यार,

जब हमने तिरंगे से लिपटी हुई

बहुत सारे हीरे खोये थे।


मेरे मिट्टी की हीरे का पता,

यहीं के किसी ने दी होगी ।

वरना दुश्मनों की क्या ‌मजाल ,

जो भारत के वीरों को छू लेगी ।


पीठ पीछे वो वार करके,

खुद को बड़ा सम्राट समझते होंगे।

देश में रहकर जिसने गद्दारी की है,

वो कितने बेशर्म रहे होंगे।


किसी ने पापा, किसी ने बेटा, किसी ने भाई 

तो किसी ने अपने नये सुहाग को खोये थे

और हमने तो कई वीर खोये थे।


भूला नहीं जाता वो दिन यार ,

जब हमने तिरंगे में लिपटी हुई

बहुत सारे हीरे को खोये थे।


जय हिन्द

वन्दे मातरम्




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