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Prahlad mandal

Abstract Inspirational

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Prahlad mandal

Abstract Inspirational

इंतजार

इंतजार

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इंतजार किसे ना रहता भौर की,

और किसे नहीं है हैं पेट जिसके लिए

हर रोज हर कोई अपने अपने 

हिसाब से जीता है...


कौन नहीं चाहता नियमित

अपने कामों में लगना

और कौन नहीं चाहता

कि ऊंची-ऊंची उड़ाने भरे

बस फर्क इतना है कि 

इंसान जल्दी जग गया तो 

अकेले निकल पड़ता है

 

और परिंदे जगकर शौर करते हैं

चहचाहते हैं कि कहीं कोई 

छूट ना जाए

कोई पीछे ना रह जाए।


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