अच्छाई बुराई
अच्छाई बुराई
कितने नाम लिये जा रहें हों !
आज इनका कल उनका .... सिर्फ यही करते हों या कुछ काम भी कर लेते हो कि नहीं दिन भर में कभी।
"वाणिका कुछ समय से अपने करीबी दोस्त माल्वी को कहीं जा रहीं थीं।"
इतने तीखे और खरी-खोटी क्यों सुना रही हो कोई बड़ा जुर्म कर दिया क्या ?
"वाणिका की बातों का जबाव देते हुए माल्वी ने कहा।"
हां ये जुर्म नहीं तो क्या जिसकी बुराईयां तुम मुझे सुना रही हों ,कल मैंने ही तुम्हें उन्हें उनके अच्छाईयां को गिना रही थी और उनकी ही बुराईयां उनके जगह मुझे सुना रहे हो। अरे यार !! बुराईयां अगर उनकी है तों उन्हें ही सुनाओ क्योंकि वो ही उन बुराईयां को अच्छाइयों में बदल सकते हैं मैं नहीं।
"अभी भी उतने ही गुस्सा से माल्वी को वाणिका खरी खोटी सुना रही थी।"
हालांकि माल्वी वाणिका की बात अच्छी तरह से समझ चुकी थी इसलिए उनके पास बोलने के कोई शब्द ही नहीं रह गए जो वाणिका को बोल पाएं।
उम्मीद है आप भी समझ ही गए होंगे।
बुराइयां ही दिख रहे हैं किसी के, उनके मुंह पर ही कहिए। झूठी तारीफ करने से कोई फायदा नहीं होता।