काले घने बादल
काले घने बादल
काले घने बादल डरावने होते भले हैं ,
लेकिन इतने पसंद ऐसे आते हैं
जैसे कोई बीत रहें काल को
नज़रों के सामने उखेड दिया हों
और वो घनघोर काली घटाएं
कहना चाहती है ...
दुःख से तुम इतना ना उलझो प्रिय
इसमें देखो हम भी तेरे साथी हैं...
ये आवाजें भले नहीं सुन पाता होगा कोई
लेकिन समझ खुद बखुद जाता हैं
और पता नहीं चलता
लेकिन मुस्कुरा देते हैं
क्योंकि अंदर बसी आत्मा
समझ जाती हैं ..
हंसों क्योंकि हरेक के जिंदगी में
काली छाया छाएगी...
लेकिन क्षण बदलते ही
दिखाती हैं एक अलख उजाला
जिसमें झूमते हैं कई चलने वाले प्राणी
कई ठहरे प्राणी...
फिर आत्मा एक बार मन से कहती हैं..
तू समझ और समझने की कोशिश कर
काली घटाएं जब जब हटी हैं
खुशियां से कई मंजर झूमी हैं।