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Prahlad mandal

Inspirational Thriller

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Prahlad mandal

Inspirational Thriller

इकलौता

इकलौता

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बहुत आसान है कहना जो कह दिया आपने पढ़ाई इतना आसान तो नहीं , बहुत नाराजगी ही थी तो खुद को शांत कर लेते थोड़ी देर और अभी कुछ समय पहले घर आया ही था कि तुमने अपना पूरा भड़ास निकाल ही दिया ‌।जया , लंगेश को समझाते हुए कह रही थी परम के पक्ष लेते हुए " हां मैंने भड़ास निकाला अगर इतना ही फ़र्क पड रहा है मेरे गुस्से का तुम दोनों मां - बेटे पर तों बोल देना उनसे आज से बाप का पैसे से नहीं खुद कमा के घुमाएंगे लड़कियां , और कोई भी होटल में खाना खाये मुझे कोई फर्क नहीं पड़ेगा , मैं उसे बस पढ़ने के लिए बड़े शहरों में रखा हूं और उसने अपना फी कहीं ओर ख़र्च कर क्लास भी जाना बंद कर दिया है , देवेन्द्र के लड़के ने बताया।

"परम के बाद बचे खुचे गुस्से को जया के सामने निकाल ही दिया लंगेश ने इतना कहकर। गुस्सा का तावा एकदम गरम ही हुआ जा रहा था लंगेश का कि जया धीमी से आवाज में डरते हुए कह दिया :- सोचिएगा फिर एकलौता हैं जब गुस्सा से कुछ कर लिया तो निकालते रहिएगा अपना भड़ास ! इतना सुनते ही लंगेश के गुस्से का तावा बर्फ के जैसा ठंडा हो गया। और वो शांत हों गयें।


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