Rubita Arora

Abstract Inspirational

3.4  

Rubita Arora

Abstract Inspirational

बहन बेटियों के आने से बरकत

बहन बेटियों के आने से बरकत

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खिड़की के पास खड़ी सिमरन सोचती हैं राखी आने वाली है पर इस बार न तो माँ ने फोन करके भैया के आने की बात कही और न ही मुझे आने को बोला। भला ऐसा कैसे हो सकता है?? हे भगवान!! बस ठीक हो सब कुछ। अपनी सास से बोली, माँजी!! मुझे बहुत डर लग रहा है। पता नहीं क्या हो गया?? मुझे कैसे भूल गए इस बार?? आगे से सासु मां बोली, कोई बात नहीं बेटा तुम एक बार खुद जाकर देख आओ। सास की आज्ञा मिलने भर की देर थी सिमरन अपने पति साथ मायके आती हैं परंतु इस बार घर के अंदर कदम रखते ही उसे सब कुछ बदला सा महसूस होता है। पहले जहाँ उसे देखते ही माँ-पिताजी के चेहरे खुशी से खिल उठते थे इस बार उन पर परेशानी की झलक साफ दिखाई दे रही थी। आगे भाभी उसे देखते ही दौड़ी चली आती और प्यार से गले लगा लेती थी पर इस बार दूर से ही एक हल्की सी मुस्कान दे डाली। भैया भी ज्यादा खुश नहीं थे। सिमरन ने जैसे-तैसे एक रात बिताई परन्तु अगले दिन जैसे ही उसके पति उसे मायके छोड़ वापिस गये तो उसने अपनी माँ से बात की तो उन्होंने बताया, इस बार कोरोना के चलते भैया का काम बिल्कुल बंद हो गया। ऊपर से और भी बहुत से खर्चे। इसी वजह से तेरे भैया को तेरे घर भी न भेज सकी। सिमरन बोली, कोई बात नहीं, माँ!! ये मुश्किल दिन भी जल्दी निकल जाएंगे। आप चिंता न करो। 


शाम को भैया भाभी अपने कमरे में आपस में बात कर रहे थे जो सिमरन ने सुन ली। भैया बोले, पहले ही घर चलाना इतना मुश्किल हो रहा था ऊपर से बेटे की कॉलेज की फीस, परसो राखी है सिमरन को भी कुछ देना पड़ेगा। आगे से भाभी बोली, कोई बात नहीं, आप चिंता न करो। ये मेरी चूड़ियां बहुत पुरानी हो गई हैं। इन्हें बेचकर जो पैसे आएंगे उससे सिमरन दीदी को त्योहार भी दे देंगे और कॉलेज की फीस भी भर देंगे। सिमरन को यह सब सुनकर बहुत बुरा लगा। वह बोली, माफ करना भैया-भाभी, मुझे यूं आप दोनों की बातें सुननी तो नहीं चाहिए थी परंतु यहां से गुजरते हुए कानों में पड गई परन्तु ये आप दोनों क्या कह रहे हो?? क्या मैं आपको यहां तंग करके कुछ लेने के लिए ही आती हूँ ?? भैया!! आप ही कहते हो न यह घर आज भी मेरा है तो फिर क्या इस घर की परेशानियां मेरी नहीं है??


सिमरन रोते हुए अपने कमरे में आ जाती हैं। तभी उसे याद आता है अपनी शादी से कुछ समय पहले जब वह नौकरी करती थी तो बड़े शौक से अपनी पहली तनख्वाह लाकर पापा को दी तो पापा ने कहा, अपने पास ही रख ले, बेटा। मुश्किल वक़्त में ये पैसे काम आएंगे। इसके बाद वह हर महीने अपनी सारी तनख्वाह बैंक में जमा करवा देती। शादी के बाद जब भी मायके आती तो माँ उसे पैसे निकलवाने को कहती पर सिमरन हर बार कहती, अभी मुझे जरूरत नही, पर आज उन पैसों की उसके परिवार को जरुरत है। वह अगले दिन ही सुबह भतीजे को साथ लेकर बैंक जाती है और सारे पैसे निकलवा पहले भतीजे की कॉलेज की फीस जमा करवाती है और फिर घर का जरूरी सामान खरीदकर घर वापस आती है।


अगले दिन जब भैया के राखी बांधती है तो भैया भरी आँखों से उसके हाथ सौ का नोट रखते है। सिमरन मना करने लगती है तो भैया बोले, ये तो शगुन है, पगली। मना मत करना। सिमरन बोली, भैया!! बेटियां मायके शगुन के नाम पर कुछ लेने नहीं बल्कि अपने माँ बाप की अच्छी सेहत की कामना करने आती हैं। भैया-भाभी को माँ बाप की सेवा करते देख ढेरों दुआएं देने आती हैं। बड़े होते भतीजे भतीजियों की नजर उतारने आती हैं। जितनी बार मायके की दहलीज पार करती हैं, ईश्वर से उस दहलीज की सलामती की दुआएं माँगती हैं। जब मुझे देख माँ-पापा के चेहरे पर रौनक आ जाती हैं, भाभी दौड़ कर गले लगाती है, आप लाड़ लड़ाते हो, मुझे मेरा शगुन मिल जाता हैं। अगले दिन सिमरन मायके से विदा लेकर ससुराल जाने के लिए जैसे ही दहलीज पार करती हैं तो भैया का फोन बजता है। उन्हें अपने व्यापार के लिए बहुत बड़ा आर्डर मिलता है और वे सोचते है सचमुच!! बहनें कुछ लेने नहीं बल्कि बहुत कुछ देने आती हैं मायके और उनकी आंखों से खुशी के आंसू बहने लगते है।

सचमुच!! बहन बेटियाँ मायके कुछ लेने नहीं बल्कि अपनी बेशकीमती दुआएं देने आती हैं। जब वे घर की दहलीज पार कर अंदर आती हैं तो उनके कदमों के साथ-साथ बरक़त भी अपनेआप खिंची चली आती हैं। हर बहन बेटी के दिल की तमन्ना होती हैं कि उनका मायका हमेशा खुशहाल रहे और तरक्की करे। मायके की खुशहाली देख उनके अंदर एक अलग ही ताकत भर जाती हैं जिससे ससुराल में आने वाली मुश्किलो का डटकर सामना कर पाती है। मेरा यह लेख सभी बहन बेटियों को समर्पित है और साथ ही एक अहसास दिलाने की कोशिश है कि वे मायके का एक अटूट हिस्सा है।जब मन करे आ सकती हैं। उनके लिए घर और दिल के दरवाजे हमेशा खुले रहेंगे।


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