इंसानियत का फर्ज
इंसानियत का फर्ज
घर की बत्तियां बंद करके जैसे ही पूरा परिवार सोने लगा तभी दरवाजे पर घंटी बज उठी। सहसा मन में अनेकों सवाल उठ खडे हुए। रात के बारह बजे इस कोरोनाकाल में भला कौन हो सकता है?? सविता जी को रूकने का इशारा करते हुए सुरेश जी ने सावधानीपूर्वक दरवाजा खोला। सामने ऊपर के फलैट मे रहने वाला रवि बहुत घबराया हुआ खडा था। सविता जी को देखते ही बोला, आँटी!! मेरी पत्नी प्रियंका का नौवां महीना चल रहा है। मेरी माँ डिलीवरी तक के लिए यहाँ आने वाली थी परन्तु लाकडाउन की वजह से बस,ट्रेन सब बंद हो गया और अभी अचानक से प्रियंका के पेट मे बहुत जोर से दर्द हो रहा है। डाक्टर से भी संपर्क नहीं हो रहा और मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा करूँ तो क्या करूँ?? आँटी, प्लीज क्या आप एक बार चलकर देखेंगी?? इतना कहकर रवि ने अपने दोनों हाथ जोड़ लिए। सविता जी ने अभी आने का आश्वासन देकर रवि को ऊपर भेज दिया लेकिन जैसे ही खुद निकलने लगी बेटी सिया बोल पडी, मां!! आप ऐसे कैसे जा सकती हैं?? इतनी रात को ऐसे समय में और वो भी ऐसे घमंडी लोगों के लिए। अभी कुछ दिन पहले तो कितनी बदतमीजी से पेश आए थे दोनों। आपकी उम्र तक का लिहाज नहीं किया। पूरी कालोनी उनके व्यवहार से परेशान हैं। छोड़ क्यों नहीं देते उन्हें उनके हालात पर?? रूपये पैसे का बहुत घमंड है न उन्हें, आज अपनी प्राब्लम का हल भी खुद निकाले। मैं आपको कहीं नहीं जाने दूँगी। सविता जी जानती थी बेटी का गुस्सा जायज है। दोनों पति पत्नी ने पूरी कालोनी की नाक मे दम कर रखा है लेकिन बावजूद इसके सविता जी बोली, बेटा!! इस समय हम बहुत नाजुक हालात से निकल रहे है।आपसी मतभेदों के लिए तो उम्र पडी हैं लेकिन मौजूदा हालात में हमें इंसानियत का फर्ज निभाना है। इस मुश्किल वक्त में एक दूसरे का सहारा बनेंगे तो यह वक्त जल्दी गुजर जाएगा। मै एक औरत हूँ और दूसरी औरत का दर्द भली-भांति समझ सकती हूँ। मुझे मत रोकना बिटिया, अगर तुम्हारे कहने पर आज रूक गई तो शायद कभी खुद से नजरे न मिला पाऊँगी।
बेटी को समझाते हुए बिना एक पल गंवाए सविता जी तेज कदमों से ऊपर पँहुची तो देखा प्रियंका दर्द से बुरी तरह कराह रही थी। अरे!! यह तो प्रसव पीडा है-सविता जी को समझते देर न लगी। फटाफट एम्बुलेंस को फोन लगाया लेकिन फोन नहीं लगा। पति राजेश को कहकर गाडी निकलवाई और समय रहते प्रियंका को अस्पताल पँहुचाया गया जहां प्रियंका ने एक बहुत प्यारी सी गुडिया को जन्म दिया। दोनों पति पत्नी को बधाई दी तो आज उनकी आँखों में आज पश्चाताप के आंसू थे। दोनों ने अपने बरताव के लिए माफी मांगी। तब सविता जी ने समझाते हुए कहा,मुश्किल वक्त में धन दौलत से कहीं ज्यादा आपके अपने काम आते हैं। इसलिए जहां तक हो सके अपने व्यवहार से हर किसी को अपना बनाने की कोशिश करनी चाहिए।घमंड हमेशा रिश्तों में कडवाहट घोलता है इसलिए घमंड त्याग कर एक दूसरे के प्रति ईमानदारी, प्रेम और सम्मान की भावना रखनी चाहिए।
अगले कुछ दिन जहां सविता जी ने रवि, प्रियंका और उनकी गुडिया का बिल्कुल अपने घर के सदस्य की तरह ख्याल रखा वहीं रवि और प्रियंका के स्वभाव में भी बहुत बडा बदलाव आया।