बहकते कदम
बहकते कदम
"मम्मी आज मैं स्कूल में भूखी रह गई! ये क्या रखा था तुमने टिफिन में?"- पलक ने स्कूल से आते ही अपना बस्ता सोफे पर फेंका और अपनी मम्मी से नाराजगी जाहिर की।
"अरे मेरी गुड़िया! क्यों भूखी रह गई? सब्जी-रोटी रखी थी वही खाना चाहिए। अब रोज-रोज क्या नया बना कर दूं? बाहर का आलतू-फालतू खाने से तबीयत और खराब होती है।"
"तुम खुद ही देखो क्या रखा था? सब्जी कहां हैं? केवल रोटी थी। किसके साथ खाती?"- पलक ने रूआंसी होकर अपना टिफिन खोल कर दिखाते हुए कहा। "वह तो अच्छा था कि मानू चिप्स लाई थी।"
"मम्मी तुम सुबह दूध भी देना भूल गई आज तो"- नन्हा सा कृष्णा भी शिकायत कर रहा था।
"अरे! ऐसे कैसे मैंने इतनी बड़ी गलती कर दी। सॉरी बच्चा!"- रीना को बहुत अफसोस हो रहा था। उसने प्यार से दोनों बच्चों को पुचकारा और उनकी मनपसंद फ्रेंच फ्राइज बनाने किचन में आ गई।
रीना और ऋषि की शादी को 12 साल हो गए थे। 10 साल की पलक और 8 साल के कृष्णा जैसे प्यारे-प्यारे दो बच्चों के साथ उनकी गृहस्थी वैसे तो अच्छे से चल रही थी पर बात-बात पर ऋषि की टोका-टोकी, अपने आप को बेहतर दिखाना और हर काम में दखलअंदाजी उसे कई बार खलती थी। जब भी वो कुछ नया करने की कोशिश करती या कोई नई चीज बनाती तो तारीफ करने की बजाय ऋषि उसमें कोई ना कोई कमी निकाल ही देता था।
6 महीने पहले ही उनके पड़ोस में नेहा और आलोक रहने आए। उनकी शादी को 2 साल ही हुए थे। बहुत हंसमुख और मिलनसार दंपती। दोनों नौकरी करते थे। धीरे-धीरे उनकी रीना और ऋषि से बहुत दोस्ती हो गई। शाम को उनके ऑफिस से आते ही दोनों बच्चे भी उनके घर खेलने चले जाते थे। रीना जब भी कुछ नया बनाती पड़ोसी होने के नाते उनके घर जरूर देती थी।
आलोक रीना के खाने की बहुत तारीफ करता था। हमेशा नेहा से कहता कि "भाभी से कुछ तो सीखो। घर को बहुत सुंदर तरीके से सजा कर रखा है। खाना तो इतना अच्छा बनाती है कि उंगलियां तक चाट जाएं। पूरा घर बहुत अच्छे से मैनेज करती है।"
नेहा हमेशा हंस कर कह देती कि जब भी कुछ अच्छा खाने का मन हो भाभी से ही बनवा लिया करो।
धीरे-धीरे आलोक की तारीफें कब रीना के मन में एक खास स्थान बनाने लगी उसे पता ही नहीं चला। जब उसकी बनाई चीज की आलोक बहुत ज्यादा तारीफ करके खाता तो उसे बहुत अच्छा लगता था। ऋषि से मिलने वाले तिरस्कार एवं अवहेलना की जगह आलोक से मिलने वाली तारीफों की वजह से वह बरबस ही उसकी ओर खिंचने लगी। धीरे-धीरे दोनों में दोस्ती बढ़ने लगी और समय के साथ वह आकर्षण में बदलती चली गई। दोनों एक-दूसरे के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताने का मौका ढूंढने लगे। कभी चैट पर, कभी फोन पर तो कई बार रूबरू।
बहुत करीब आने पर रीना को आलोक की गलत आदतों के बारे में भी पता चलने लगा। उसकी सिगरेट और शराब की लत, बहुत सी लड़कियों से दोस्ती ! पर पता नहीं किस आकर्षण के कारण वो इन सभी बातों को नजरअंदाज करते हुए उसकी ओर खिंचती चली गई और कब अपने परिवार एवं ऋषि से दूर होने लगी उसे पता भी नहीं चला।
ऋषि भी उसमें आ रहे बदलाव को महसूस कर रहे थे। रीना पर तो जैसे आलोक का जादू छा गया था। ऋषि ने उससे कई बार पूछा भी था कि कहां खोई रहती हो आजकल? उन्हें धीरे-धीरे अंदाज हो गया था कि शायद रीना के कदम बहकने लगे हैं पर उसे रीना पर भी पूरा विश्वास था इसीलिए उसने रीना के साथ प्यार से पेश आने का फैसला लिया।
और आलोक! आलोक तो भंवरे की तरह कभी इस फूल पर तो कभी उस फूल पर मंडराने वाला। उसे यकीन हो गया था कि रीना उसकी मोहजाल में बुरी तरीके से फंस गई है। उसकी दोस्ती ऑफिस में नई आई लड़की के साथ बढ़ने लगी तो उसने रीना को नजरअंदाज करना शुरू कर दिया। ऑफिस में बहुत व्यस्तता का बहाना बनाकर रीना के फोन उठाता भी नहीं था और अब उसके मैसेजेस का जवाब देना भी कम कर दिया था। पर रीना की तो मति मारी गई थी वह एक ऐसी मरीचिका के पीछे दौड़ रही थी जो कभी भी मिलने वाली नहीं थी। जितना आलोक उसे नजरअंदाज करता उतनी ही ज्यादा बेसब्र होकर वो उसके करीब जाने का प्रयास करती। उसे भी समझ में आ रहा था कि उसके इस कदम से उसका परिवार बिखर रहा है पर उसका अपने मन पर कोई बस ही नहीं था।
इधर कोरोना के कारण सरकार में लॉकडाउन की घोषणा कर दी। जो जहां था बस वहीं रह गया। घर, स्कूल ऑफिस सब बंद हो गया। जान-पहचान वाले, दोस्त और रिश्तेदारों के यहां जाना तो दूर पड़ोसियों के घर भी जाना बंद हो गया।
रीना सहम गई कि ऋषि के साथ कैसे कटेंगे यह लॉकडाउन के दिन? वो तो दिनभर ताने मार-मार के परेशान ही कर डालेगा और उधर ऋषि मन ही मन बहुत खुश था कि अब रीना के साथ उसे ज्यादा से ज्यादा समय बिताने का मौका मिलेगा और शायद उनके बीच बढ़ती दूरियां इस सोशल डिस्टेंसिंग की वजह से कम हो जाए।
ऋषि ने रीना के सभी कामों में हाथ बंटाना शुरू कर दिया। दूध, फल, सब्जी जैसे रोजिंदा जरूरी सामान लाने की जिम्मेदारी उसने अपने ऊपर ले ली। वह रीना को इंफेक्शन के डर से बिल्कुल भी बाहर नहीं निकलने देता था और उसका बहुत ध्यान रखता था। वह अभी भी रीना को हर छोटी-छोटी बात पर टोकता था पर उसकी एक्सट्रा केयर से धीरे धीरे अब रीना ने भी उसकी समझाइश को सहजता से लेना शुरू कर दिया। ऋषि की हर डांट में उसे अपने लिए ऋषि की चिंता और प्यार की झलक दिखने लगी थी। वह समझ गई थी कि उसकी बेहतरी के लिए ही ऋषि उस पर नाराज होता था।
इस सोशल डिस्टेंसिंग ने उनके बीच की दूरी को खत्म कर दिया। यह एक ऐसा लॉकडाउन था जिसके कारण उसके कदम भी थम गए थे…. बहकने से।