झूठ बोलती हो ना मम्मी
झूठ बोलती हो ना मम्मी
"नमस्ते जी मैं पिंकी पहचाना आपने?"
"नहीं पहचाना! अरे मैं भी सच में बुद्धू हूं। सब लोग सही कहते हैं जब आप सब मुझसे पहली बार मिल रहे हैं तो कैसे पहचानेंगे? वैसे मैं आज अपनी बात करने नहीं आई हूं। आज मैं अपनी मम्मी की बात करूंगी। बहुत ख़ास हैं वो। हां मेरी मम्मी है ना सब मुझे कहते हैं हैं तू अलग है, विशेष बच्ची है पर मेरी मम्मी दुनिया की सबसे प्यारी और अनोखी मां है।
अच्छा तो चलिए सबसे पहले अपना परिचय दे दूं। मैं पिंकी हूं, मम्मी कहती हैं गुलाब के जैसी गुलाबी, मनमोहक और सबको खुश रखने वाली। मैं बारह साल की एक विशेष बच्ची हूं। कई लोग कहते हैं मुझे जल्दी समझ में नहीं आता, कोई कहता बुद्धू, कोई मंदबुद्धि और कोई कोई तो पागल भी कहता है। कहने दो मुझे कहां कुछ पता चलता है मैं तो बस मुस्कुरा देती हूं।
अब मैं जैसी भी हूं मेरी मम्मी के लिए दुनिया की सबसे प्यारी बच्ची और वो मेरे लिए सबसे अच्छी मां।
दिन भर अपने कामों में व्यस्त रहने के बाद भी वो मेरे लिए पूरा समय निकालती है। मुझे खिलाने , पिलाने से लेकर नहलाने - धुलाने तक का सारा काम वो खुद करती हैं और वो भी बहुत खुशी खुशी। मैं ना तो स्पष्ट कुछ कह पाती हूं ना ही अपनी भावनाएं व्यक्त कर पाती हूं और ना ही मुझे कुछ समझता है पर इतना बहुत अच्छे से जानती हूं कि मेरे बिना कुछ कहे, बिना कुछ समझे भी मम्मी पता नहीं कैसे मेरी हर बात समझ जाती हैं। मुझे खाना खिलाने में तो उनकी नाक में दम आ जाता है पर वो मेरे ऊपर कभी गुस्सा नहीं करती बस उनकी आंखों में आंसू और चेहरे पर बेबसी आ जाती है। हां इतना तो मैं समझ ही जाती हूं और फिर थोड़े नखरे करने के बाद चुपचाप खा भी लेती हूं। मुझे खिलाने पिलाने से पहले वो हर चीज खुद चखती हैं कि कहीं बेस्वाद तो नहीं क्योंकि वो जानती हैं कि मैं तो कुछ कह नहीं पाऊंगी ना पर फिर भी कई बार पूछतीं भी हैं। अगर मुझे पसंद नहीं आता है तो पता नहीं कैसे समझ जाती हैं फिर झट से दूसरी चीज बना लाती हैं।
कभी कहीं मुझे दर्द हो या बेचैनी हो रही हो, वो झट से समझ जाती हैं और प्यार से सहलाने लगती हैं। अपने कामों के बीच बीच में आकर मुझे देखती रहती हैं। बहुत बार अपने पास ही बिठा लेती हैं, हाथ में कुछ भी खिलौना पकड़ाकर। कहने को तो मैं बारह साल की हो गई पर अभी भी दो साल के बच्चे जैसी ही स्थिति है। मेरे साथ तरह तरह के खेल खेलती है। नई नई चीजें सिखाने की कोशिश में हमेशा लगी रहती हैं। भले ही दूसरे बच्चों की तुलना में मेरा विकास बहुत ही कम है पर वो बड़े धैर्य और प्रेम के साथ एक एक चीज सैकड़ों बार मुझे समझाती हैं। जब भी कोई नई चीज मैं सीख लेती हूं तो वो ऐसे खुश होती है जैसे उन्होंने पूरी दुनिया ही जीत ली हो। हां वैसे सही बात है मुझे सिखाना कोई आसान काम तो है नहीं।
एक बात बताऊं अब उन्हें मेरी ज्यादा चिंता होने लगी है। समझ रहे हो ना आप कि क्यों? अरे अब मेरे मासिक धर्म शुरू होने वाले होंगे। एक दिन मम्मी पापा से कह रही थीं कि अब और भी ज्यादा ध्यान रखने की जरूरत है। अब मैं भी तो चाहकर भी उनकी कोई मदद नहीं कर सकती।
पहले तो वो मुझे सब बच्चों के साथ खेलने बैठाती थीं, स्कूल भी भेजा था। पर ये बच्चे भी ना बड़े शरारती होते हैं। मुझे बहुत तंग करते थे, चिढ़ाते थे अब मुझे तो कुछ समझ में नहीं आता था ना तो मैं तो बस मुस्कुराती रहती थी पर मम्मी को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता था। उन्हें डर भी लगा रहता था कि कोई मुझे शरारत में नुकसान ना पहुंचा दे। फिर उन्होंने मुझे घर में भी सिखाना, पढ़ाना शुरू कर दिया।
एक राज की बात बताऊं! मम्मी जब बहुत परेशान और उदास होती है ना तो मेरे पास आकर चुपचाप बहुत आंसू बहा लेती हैं। अपने मन की सारी बात कहती हैं। उन्हें लगता है कि मैं सो रही हूं। मुझे कुछ भले ही समझ में ना आए पर उनका मन हल्का हो जाता है तो बहुत अच्छा लगता है फिर वो ढेर सारा प्यार करती हैं।
मम्मी आप मेरी मम्मी हो बस इससे ज्यादा मुझे और क्या चाहिए। एक निर्मल, निश्चल हृदय वाली बहुत ही ममतालू मां जो मेरे बिना कहे, मेरे खुद के बिना समझे मेरी हर बात समझ जाती हो। पता नहीं कैसे?
वैसे मैं एक बात कहूं आप लोग ईर्ष्या मत करना, भगवान ने मुझे दुनिया की सबसे अच्छी मम्मी दी है। अगर मेरी मम्मी इतनी अच्छी नहीं होती तो सोचो मेरा क्या होता? पर भगवान जी को भी सब पता है ना इसीलिए उन्होंने मेरी मम्मी को मेरे लिए भेजा और मेरी प्यारी मम्मी कहती हैं कि मैं बहुत अच्छी हूं और भगवान ने मुझे उनके पास उपहार के तौर पर भेजा।
सच कहो झूठ बोलती है ना मम्मी!