Preeti Agrawal

Inspirational Others

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Preeti Agrawal

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स्पर्श अनोखा सा

स्पर्श अनोखा सा

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अपने पहले बच्चे का आगमन किसी भी माता पिता के जीवन का सबसे मधुर लम्हा होता है। अपनी बेटी के जन्म के इंतजार में मैंने वो नौ मास कैसे बिताए होंगे आप समझ ही सकते हैं। जैसे-जैसे उसके आने के दिन पास आ रहे थे वैसे वैसे रोमांच के साथ हमारी उत्सुकता बढ़ती ही जा रही थी। अभी उसको आने में लगभग 20 दिन शेष थे पर शायद उसे भी हमसे मिलने की उतनी ही जल्दी थी। मैं अपने गर्भ में उसकी तेज हलचल,‌ लातें मारना और बहुत तेजी से घूमना आसानी से महसूस कर रही थी। मैंने उसे हौले से सहला कर कहा भी बस 15 दिन और रुक जा, अपना वजन थोड़ा और बढ़ा। 

उस रात 2:30 बजे तक मैं अपने ऑफिस का काम कर रही थी कि अचानक मुझे तकलीफ शुरू हुई। मम्मी और छोटी बहन उसी दिन सुबह मेरे पास डिलीवरी के लिए पहुंच गए थे। मन में खुशी के साथ साथ बहुत घबराहट भी थी। सुबह अस्पताल जाने से पहले मम्मी ने गरमा गरम हलवा बना कर खिलाया। खाने का मन तो नहीं था क्योंकि मुझे लग रहा था कि जल्दी से जल्दी मैं अपने बच्चे को अपनी गोदी में लूं और उसका प्यारा सा मुखड़ा देखूं। पर उनका कहना टाल भी ना सकी आखिर इतने बरसों बाद घर में खुशी का अवसर आया था तो मुंह तो मीठा करना ही था। सुबह 6:00 बजे हॉस्पिटल में एडमिट होने के बाद शाम को 4:00 बज गए पर नॉर्मल डिलीवरी हो ही नहीं पा रही थी। हमारे डॉक्टर ने बहुत प्रयास किए। वह बहुत अनुभवी डॉक्टर थे और उनकी ज्यादातर कोशिश रहती थी कि डिलीवरी नॉर्मल ही हो। बार-बार स्टेथोस्कोप को मेरे पेट पर रखते और शाम होते-होते उनके चेहरे पर थोड़ी चिंता की लकीरें देखने लगी। उन्होंने बताया कि बच्चे की धड़कनों की गति थोड़ी मंद सुनाई दे रही है। मैं डर गई। मैंने बहुत मुश्किल से इन खुशी के पलों को पाया था और  कोई रिस्क नहीं लेना चाहती थी इसीलिए उन्हें आग्रह किया कि आप मेरा सिजेरियन कर दीजिए। 

ऑपरेशन की प्रक्रिया में भी मैं होश में थी और जैसे ही मैंने अपने बच्चे का पहला रुदन सुना और डॉक्टर साहब बोल उठे बहुत-बहुत बधाई हो तुम्हारे घर में लक्ष्मी का आगमन हुआ है।‌ सुनते ही लगा जैसे सारे संसार की खुशियां भगवान ने मेरी झोली में ही डाल दी क्योंकि हम बेटी ही चाहते थे। खुशी के कारण मेरी आंखों से आंसू बहने लगे। मेरा गला रूंध गया। बहुत मुश्किल से पहला वाक्य निकला कि डॉक्टर साहब मेरा बच्ची स्वस्थ तो है ना। उन्होंने हंसते हुए कहा कि "हां बिल्कुल स्वस्थ भी है और बहुत सुंदर भी।" पर जब उसे देखा तो उसका शरीर  नीला पड़ा हुआ था। गर्भ में ही उसके गले में गर्भनाल ( अंबिलिकल कॉर्ड) लिपट गई थी पर डॉक्टर साहब ने तुरंत उसे काट दिया था। आशंका से डर के मारे मेरी चीख निकल गई पर डॉक्टर साहब ने उसे मेरे बगल में लिटाया और कहा "देखो रो रही है ना तुम्हारी बच्ची! अब तुम्हारे मुस्कुराने के दिन हैं।"

उसके नन्हे-नन्हे हाथों का स्पर्श मुझे ऐसा लगा जैसे मैंने मखमल को छू लिया और उसके रुदन से जैसे मेरे कानों में सैकड़ों मधुर घंटियां सी बजने लगी थी। आखिर आज मेरे जीवन में वो दिन आ ही गया था जब सूने से मेरे घर-आंगन को अपनी किलकारियों से गुंजायमान करने के लिए मेरी बेटी ने इस दुनिया में अपना पहला कदम रख दिया था।

हम अपने बच्चे के हर पल को भरपूर जीते हैं और उनके उन हर एक लम्हें में एक नई कहानी छिपी होती है।

मां बनने का एहसास बहुत मधुर होता है और आप लोगों के साथ साझा करते हुए उन मधुर लम्हों को मैंने पुनः जीने का सुअवसर प्राप्त किया। 



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