Preeti Agrawal

Drama

4  

Preeti Agrawal

Drama

पहलू

पहलू

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"अरे यह क्या कर रहे हो थोड़ी अक्कल - वक्कल है कि नहीं। जहां मन चाहा वहीं थूक देते हो। अपने घर के अंदर थूको न। चलो साफ करो इसको" - एक तीखी आवाज ने रीना का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया।

उसने देखा वो रूपाली थी। गुटखा खाने के बाद एक आदमी ने वहीं सोसाइटी कंपाउंड में थूक दिया था उसी पर नाराज हो रही थी। नाम तो रूपाली था पर व्यक्तित्व एकदम दबंग सा, तीखे नैन नक्श, बड़ी सी बिंदी लगाए हुए, खिंचा-खिंचा सा चेहरा। सोसाइटी में कभी भी किसी को भी गलत काम करते हुए देखती थी तो एकदम उसे टोक देती थी। चाहे फिर वह महिला हो या पुरुष। सभी उससे डरते थे। सामने तो उसे कोई कुछ नहीं कहता था पर उसके पीठ पीछे झांसी की रानी, मरदानी और ना जाने क्या-क्या उपनाम रखे थे। उसे भी सब मालूम था परंतु उसे कोई फर्क नहीं पड़ता था। रीना और रूपाली की अच्छी दोस्ती थी। 


रीना को उसका व्यक्तित्व हमेशा ही आकर्षित करता था।  रुपाली एक सच्ची और अच्छी महिला थी। पर सभी को लगता था कि वो अपनी जिंदगी अपनी मर्जी से जीती है। एकदम स्वतंत्र, तेजतर्रार और बिंदास सी। दुनिया क्या कहेगी, लोग उसके बारे में क्या सोचेंगे इन सब बातों से उसको कोई मतलब नहीं रहता था। उसका पति दूसरे शहर में नौकरी करता था और यहां वह अपने दोनों बच्चों के साथ बुजुर्ग सास-ससुर की भी देखभाल करती थी। 

एक दिन अचानक खबर लगी कि रूपाली के पति बहुत बीमार हैं। पता चला कि उसके पति को दिल का दौरा पड़ा था बहुत मुश्किल से जान बच पाई। रूपाली शहर जा कर अपने पति को अपने पास ले आई। अच्छी दोस्त होने के नाते रीना और ऋषि उसके घर मिलने गए। बहुत अलग सी लगी रुपाली उसको। एक अन्य महिला उसके पति की देखभाल कर रही थी और इधर रूपाली फीकी सी मुस्कुराहट के साथ अपने घर के कामकाज में जुटी हुई थी। रुपाली की आंखों में एक सूनापन सा था, आखिर उसका पति मौत के मुंह में जाते-जाते बचा था। अब सोसाइटी में कभी-कभार ही रुपाली दिखाई देती थी और वह भी एकदम चुपचाप सी। 

"रूपाली! ओ रूपाली"- एक दिन उसको देखते ही रीना ने आवाज दी। वो अपने ही ख्यालों में खोई हुई चली जा रही थी। रीना ने पास जाकर जैसे ही उसके हाल-चाल पूछे वह नजरें नीची करके जाने लगी।

"क्या हुआ रूपाली? सब ठीक तो है ऐसे बिना बात किए कहां जा रही हो?"

"कुछ नहीं रीना बस थोड़ी जल्दी में हूं"- ना चाहते हुए भी उसकी आवाज भर्रा गई। वो जाने को मुड़ी पर रीना ने उसका हाथ पकड़ लिया। उसकी आंखों से आंसू बहने लगे। रीना आश्चर्य में डूब गई। उसने रूपाली का यह रूप पहली बार देखा था। उसने तो सुना था कि अब उसके पति की तबीयत काफी बेहतर है। वो रूपाली का हाथ पकड़ कर अपने घर ले आई। 

"आओ रूपाली आराम से बैठो"- रीना ने उसे सोफे पर बैठाया और उसके लिए पानी ले आईं।

रूपाली नजरें नीची किए हुए बैठी थी। रीना ने उसके कंधे पर प्यार से हाथ रखा और रूपाली का सब्र का बांध टूट गया। पहली बार किसी ने उसके साथ इतना प्यार भरा व्यवहार किया था।

रूपाली के पति ने बहुत सालों से अकेले उसके ऊपर सारी जिम्मेदारियां छोड़ दी थी और खुद दूसरे शहर में नौकरी करने चला गया। रूपाली के साथ उसका व्यवहार बहुत अच्छा नहीं था, बस जरूरत के सामान की तरह ही। दूसरों के सामने दबंग दिखने वाली रूपाली दरअसल अपने ही घर में अत्याचार का शिकार थी। जब भी यह उसके पास शिफ्ट होने की बात करती तो वह किसी न किसी प्रकार से टाल देता था। उसने वहां शहर में  गुपचुप तरीके से अपने ऑफिस में ही काम करने वाली लड़की से शादी कर ली थी और बड़े मजे से रह रहा था। रूपाली के घर जो महिला उसके पति के साथ थी वह और कोई नहीं उसकी दूसरी पत्नी थी, जिसे वह छोड़ने को तैयार नहीं था। रूपाली ने अपने पति को बहुत समझाने की कोशिश की यहां तक कि बच्चों का हवाला भी दिया पर वो टस से मस नहीं हुआ। यहां तक कि जिन सास -ससुर की वो बरसों से दिल से सेवा कर रही थी उन्होंने भी रूपाली का साथ नहीं दिया। 

रूपाली का पति ठीक होने के बाद रूपाली और बच्चों को छोड़कर अपनी दूसरी पत्नी को लेकर वापस चला गया। 

रूपाली के जीवन की हकीकत जानकर रीना स्तब्ध थी। वो सोच रही थी कि हम किसी को भी बहुत अच्छे से जाने बिना उसके बारे में कैसी कैसी राय बना लेते हैं। हर सिक्के के दो पहलू होते हैं। लोग उसके पति को बहुत भला और अच्छा मानते थे पर उसके व्यक्तित्व का अलग ही पहलू देखने के मिला और रूपाली का भी।

आखिर रूपाली ने भी एक बड़ा निर्णय लेते हुए तलाक की अर्जी दाखिल कर दी और अपने सास-ससुर के साथ भी  रहने से इंकार कर दिया। वो पहले भी अकेले ही अपने बच्चों को पाल पोस कर बड़ा कर रही थी और अब भी कर रही है। उसने आत्मनिर्भर होने के साथ-साथ आत्म सम्मान के साथ भी जीने का निश्चय कर ही लिया।


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