Preeti Agrawal

Inspirational

4  

Preeti Agrawal

Inspirational

हौसले की गूंज

हौसले की गूंज

4 mins
366


अनवरत तालियों की गड़गड़ाहट से हॉल गूंज रहा था। ऋषि और रीना के कपोल अश्रुओं से भीगे हुए थे। खुशी से कांपते हाथों से उन्होंने अपनी बेटी ध्वनि का हाथ पकड़कर उसे उठाया और आगे बढ़ने का इशारा किया। चेहरे पर मीठी सी मुस्कान लिए ध्वनि स्टेज की ओर बढ़ने लगी। अपनी सशक्त लेखनी द्वारा समाज में फैली कुरीतियों ,बुराइयों को दूर करने एवं जागरूकता फैलाने में उसके असाधारण योगदान के लिए आज राष्ट्रपति महोदय उसे पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित कर रहे थे।

ध्वनि ने राष्ट्रपति महोदय को प्रणाम किया, उन्होंने उसके सिर पर प्यार से हाथ फेरा और उसे बधाई एवं आशीर्वाद दिया। ध्वनि उनके हिलते होठों से उनकी बात समझने की कोशिश करने लगी और मुस्कुरा दी।

ऋषि और रीना की इकलौती बेटी ध्वनि, बहुत प्यार से उन्होंने उसका नाम ध्वनि रखा, क्योंकि वो उनके कई वर्षों तक सूने रहे आंगन में खुशी की किलकारी बनकर आई थी। उसके जन्म के कुछ ही घंटों के भीतर ही रीना और ऋषि को कुछ असामान्य सा महसूस हुआ। नर्सिंग होम के बाहर किसी बारात के निकलते हुए पटाखों को तेज आवाज होने लगी। रीना ने नन्ही ध्वनि को अपने सीने से चिपका लिया, पर यह क्या इतनी तेज आवाज होने पर भी उसपर कोई असर नहीं हुआ था। रीना का मन आशंका से घबराने लगा। वो कभी उसके एक कान के पास जोर जोर से तालियां बजाती तो कभी दूसरे कान की ओर, पर ध्वनि इन सबसे निर्लिप्त ही थी। उनके प्यार से बोलने पर भी वो कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रही थी। आखिर डॉक्टर ने जांच करके कह दिया कि ध्वनि के कानों में जन्मजात समस्या है जिससे वह कभी भी सुन नहीं पाएगी।

डॉक्टर की बात सुनकर दोनों स्तब्ध रह गए। उनपर मानो दुखों का पहाड़ टूट पड़ा।

"डॉक्टर साहब क्या ध्वनि कभी सुन बोल नहीं पाएगी?"- रीना का धैर्य जवाब देने लगा था।

"रीना जी ध्वनि कभी सुन नहीं पाएगी। अक्सर जो बच्चे सुन नहीं पाते हैं उनका बोल पाना भी मुश्किल ही रहता है पर हम अभी से कुछ नहीं कह सकते। हो सकता है वो कभी बोलने भी लगे"

डॉक्टर की बात सुनकर रीना की हिम्मत टूट गई। गोल मटोल,घुंघराले बालों और बड़ी बड़ी आंखों वाली उसकी प्यारी बिटिया, कभी.....

ससुराल में तो रीना पर मानों और वज्राघात हुआ। एक तो बेटी के जन्म के कारण सास ससुर वैसे ही नाराज थे उसपर उसकी ये शारीरिक कमजोरी....दिन पर दिन उसपर और ध्वनि पर अत्याचार बढ़ते रहे। पहले तो ऋषि ने उनकी उम्र और अपने माता पिता होने के लिहाज से चुप रहना बेहतर समझा पर आखिर ध्वनि के साथ होता बुरा बर्ताव उसे बुरी तरह कचोट गया। आखिर वो उसका अंश थी। उसकी शारीरिक कमजोरी में आखिर उस मासूम की क्या भूल थी। आखिर एक दिन ऋषि ने ध्वनि और रीना के साथ अलग रहने का निश्चय कर लिया। रीना और ऋषि ने ठान लिया था कि ध्वनि को कभी उसकी इस कमी का अहसास नहीं होने देंगे। उसके अन्य गुणों को इतना निखारेंगे कि यह कमजोरी, कमजोरी ना रहकर उसकी ताकत बन जाएगी।

दिन बीतते रहे, ध्वनि बड़ी होने लगी। उन्होंने ध्वनि को मूक बधिर स्कूल में डाल दिया। वहां वो इशारों की भाषा के साथ साथ लिखना पढ़ना सीखने लगी। घर पर भी ऋषि और रीना उससे लिखकर ही बातें करते और कई बार इशारों में भी, बहुत बार बोलते भी ताकि वो उनके हिलते होंठो से बात समझ सके। । ध्वनि बहुत कुशाग्र बुद्धि की थी। वो जल्दी ही बहुत कुछ सीख गई। स्कूल में उसकी टीचर ने जब उसकी बनाई ड्राइंग देखी तो वो अचंभित रह गईं। उन्होंने रीना और ऋषि को बताया। उन्होंने उसे अलग अलग तरह के ढेर सारे रंग ला दिए। वो जब भी कुछ भी बनाती दोनों उसकी पीठ थपथपाकर और ताली बजाकर उत्साह बढ़ाते। धीरे धीरे उन्होंने महसूस किया कि ध्वनि अपने भावों को भले ही कह नहीं पाती पर उसे लिखकर और ड्राइंग बनाकर बहुत अच्छे से अभिव्यक्त करती है। उन्होंने उसे पढ़ने के लिए बड़े बड़े लेखकों की किताबें लाकर देनी शुरू की जिनको पढ़कर उसके विचारों और लेखन में पैनापन आने लगा। उसके विचारों में सकारात्मक आने लगी और किसी भी बात को कई दृष्टिकोण से देखने , समझने की क्षमता का भी विकास होने लगा जिससे उसके व्यक्तित्व में निखार आने लगा। समसामयिक विषयों पर अच्छी अच्छी पत्रिकाएं और समाचारपत्र तो उसकी दिनचर्या में शामिल थे ही। धीरे धीरे ध्वनी समाज के अनेक अनछुए विषयों, कुरीतियों पर अपने बेबाक विचार रखने लगी। उसके लेख, कहानियां इतने सशक्त होते थे कि लोग उन्हें पढ़कर सोचने पर मजबूर हो जाते।

वो भले ही खुद बोल सुन नहीं सकती थी पर अपने लेखन को सशक्त माध्यम बनाकर उसने गूंगे बहरे समाज में एक नया राग छेड़ दिया था। ध्वनि के लेखन की गूंज से पूरा समाज गुंजायमान था। ध्वनि के दादा दादी भी अपनी संकुचित मानसिकता और सोच पर शर्मिंदा थे।

दोस्तों बहुत बार किसी की कमजोरी उसकी अपनी मजबूरी होती है पर जरूरत है उसे हौसला देते हुए उसे उसकी ताकत बनाने की।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational