तुम तो मेरी लाइफ हो
तुम तो मेरी लाइफ हो
टिंग टोंग.. टिंग टोंग
दरवाजे पर घंटी बजी
"पलक देख तो बेटा कौन है, मेरे हाथ आटे में सने हुए हैं"- रीना ने किचन से ही अपनी युवा होती बेटी को आवाज दी।
"हां मम्मी देखती हूं"
"रीना जी ये आपके लिए"
पलक ने जैसे ही दरवाजा खोला एक डिलीवरी बॉय हाथ में गुलाब का बड़ा सा गुलदस्ता लिए खड़ा था।
"किसने भिजवाया है"- पलक ने पूछा।
"मैडम इसमें कार्ड लगा हुआ है"- कहते हुए उसे गुलदस्ता पकड़ाकर वो रवाना हो गया।
"मम्मी…. मम्मी देखो तुम्हारे लिए किसने क्या भेजा है?"- पलक जोर से चिल्लाई।
"क्या हुआ क्यों चिल्ला रही है, ऐसा क्या किसी ने भेज दिया"- कहते हुए रीना जैसे ही लिविंग रूम में पहुंची पलक के हाथ में बड़ा सा गुलदस्ता देखकर हैरान रह गई।
"मेरे लिए….मुझे कौन भिजवाएगा? तुझे किसी ने भेजा होगा, उसने गलती से मेरा नाम कह दिया"- रीना ने कहा।
" ओहो मम्मी उसको तुम्हारा नाम कैसे मालूम होगा। मम्मी ये आपके लिए ही है, डिलीवरी बॉय ने आप ही का नाम लिया और देखो इसमें लाल गुलाबों संग एक खुशबूदार लाल लिफाफा भी लगा हुआ है जिसपर आपका नाम टाइप किया हुआ है । रेड कलर ढेर सारे प्यार का प्रतीक होता है, ओहो मम्मी कौन है ये"- पलक ने शरारत से पूछा।
"तू भी ना बिल्कुल पागल है,ना उम्र देखती है और ना ये कि किसको कह रही है?" रीना ने प्यार से झिड़की दी। पर उसके कपोल आरक्त हो उठे।
"देखो देखो कैसी शर्मा रही हो?"
"बिल्कुल पगली है तू, अपनी मां से कोई ऐसे बात करता है क्या"
"मां कम फ्रेंड, बोलो मम्मी। अच्छा ये लो और कार्ड देखकर बताओ तो सही किसने भेजा है"- पलक मुस्कुरा उठी।
ऋषि और रीना का दो बच्चों पलक और पलाश के साथ सुखी परिवार है। जहां ऋषि एक बड़ी कंपनी में उच्चाधिकारी हैं और सीधे एवं शांत स्वभाव के है वहीं
रीना हंसमुख, बातूनी और शरारती स्वभाव की है, अभी तक अल्हड़ता उसमें बरकरार है।
रीना ने उच्च शिक्षित होते हुए भी घर को प्राथमिकता दी। उसने अपनी पढ़ाई का पूरा उपयोग अपने बच्चों को अच्छे संस्कार और शिक्षा देने तथा अपनी गृहस्थी को सुचारू रूप से चलाने में किया। उसी की परवरिश के फलस्वरूप दोनों बच्चे पढ़ाई और अन्य गतिविधियों में तो आगे हैं ही ऋषि और रीना संग उनका मित्रवत व्यवहार है। इसीलिए पलक अपनी मम्मी को छेड़ने की हिम्मत भी कर पा रही थी।
रीना ने लिफाफा लिया और गुलाब की भीनी सुगंध उसे भीतर तक भिगो गई। लिफाफा खोलते हुए उसका दिल जोरों से धड़कने लगा जैसे वो अभी भी युवावस्था में ही हो। पलक उत्सुकता से उसकी ओर देख रही थी।
देखा तो लिफाफे के अंदर का कार्ड बिल्कुल कोरा था। उसने उलट पलटकर देखा पर कहीं कुछ लिखा हुआ नहीं था, ना किसी का नाम और ना ही कोई संदेश।
"ये कैसा कार्ड है मम्मी? सामने वाले ने तो कुछ भी नहीं लिखा"- पलक आश्चर्य से बोली।
"हां ना नाम है ना कोई संदेश। आज तो ऐसा कोई खास दिन भी नहीं है कि कोई भेजे"- रीना आश्चर्य में डूब गई।
"तूने ठीक से तो सुना था ना, मुझे लगता है वो गलती से हमारे घर दे गया"
"नहीं मम्मी उसने आपके नाम के साथ यहां का पता भी कन्फर्म किया था।"
"अच्छा!"
"पर मम्मी ऐसा अजीब सा कार्ड और इतना बड़ा गुलदस्ता कौन भेज सकता है"
"पता नहीं, सोचते हैं। हो सकता है भेजने वाला खुद ही फोन कर ले। ऐसा कर यहां रख दे। चल खाना तैयार है पहले खाना खा लेते हैं" - कहते हुए रीना किचन में चली गई। पर उसका मन तो विचारों में डूबा हुआ था।
खाना और सब काम निपटाकर वो पलंग पर लेटी। अभी तक उस गुलदस्ते और कोरे कार्ड की गुत्थी उसके दिलोंदिमाग पर कब्जा जमाए हुए थी।
"कॉलेज में तो कभी किसी से ऐसी कोई दोस्ती नहीं रही जो कोई खुशबू से भीगा कार्ड और गुलदस्ता भेजे और वो भी इस उम्र में!! आज ना तो मेरा जन्मदिन है और एनिवर्सरी भी एक हफ्ते बाद है तो किसी परिवारवाले ने भी नहीं भेजा होगा। पर परिवार वाले मुझे ऐसा गुलदस्ता और कार्ड क्यों भेजेंगे?"- ढेरों सवाल उसके मन मस्तिष्क में घूम रहे थे। उसने फिर लिफाफे को हाथ में लिया, भीनी खुशबू से फिर वो सराबोर हो गई। लिफाफे पर भी नाम प्रिंट था नहीं तो हैंडराइटिंग से अंदाजा लगा सकते थे। उसने कार्ड निकाला, फिर उलट पलटकर देखा कि कहीं कोई निशान या कोई संकेत हो, पर कार्ड एकदम कोरा था, उसकी पसंदीदा खुशबू से सराबोर। उसने गहरी सांस ली और खुशबू को अपने भीतर समा लिया। अचानक उसके दिमाग में बिजली कौंध गई। उसके चेहरे पर मीठी सी मुस्कुराहट आ गई। ओह तो इन जनाब का काम है ये। वोही तो सोचूं मैं कि….
"मम्मी चेहरे पर मुस्कुराहट, गालों पर लाली इसका मतलब आप समझ गई कि किसने ये भेजा है"- पलक ने कमरे में प्रवेश करते हुए कहा।
"हां बेटा बहुत अच्छे से समझ गई और ऐसी पहेलियां वो ही बुझा सकते हैं"- कहते हुए रीना ने मुस्कुराकर नजरें नीची कर लीं।
"ओहो मम्मी आपका कोई क्रश? कौन है मुझे भी बताओ ना"- पलक अब जानने को बेसब्र हो उठी।
"जल्दी ही तुम लोगों को भी पता चल जाएगा, मैं उन्हें शाम को इन्वाइट कर रही हूं"- रीना ने उसकी उत्सुकता को और बढ़ावा दिया।
"अपने घर मम्मी? पापा और हम सब के सामने!"- पलक ने आश्चर्य से पूछा।
"हां और चल मेरी मदद कर। फटाफट बढ़िया सा खाना बना लेते हैं उनके लिए"
"पर मम्मी बोलो तो कौन है वो? अब तुम क्यों पहेलियां बुझा रही हो"
" शाम को पता चल जाएगा"- रीना गुनगुनाते हुए किचन में चली गई। आज उसके चेहरे पर अलग ही खुशी छाई हुई थी। पलक को समझ में कुछ नहीं आ रहा था। रीना ने जल्दी जल्दी चार प्रकार की सब्जियां, पुलाव , रायता, दाल फ्राय, सुजी का हलवा बना लिया। मलाई वाली रोटी का आटा गूंध कर रख दिया। समोसे भी भरकर तैयार करके रख लिए ताकि आते साथ ही पहले गर्मागर्म परोसें जा सकें।
ये सब बनाने के बाद उसने अलमारी में से अपनी बहुत सुंदर साड़ी निकाली। बालों में बन बनाया और हल्का मेकअप किया।
पलक थोड़ी असमंजस में थी। उसने रीना को इस तरह तैयार होते और इतना खुश तो कभी नहीं देखा था।
शाम को दरवाजे पर घंटी बजी। पलक दरवाजा खोलने को हुई तो रीना ने उसे रोक दिया और दरवाजा खोलने आगे बढ़ गई।
जैसे ही उसने दरवाजा खोला, आगंतुक को देखकर उसके चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान आ गई।
"अरे वाह क्या बात है आज तो तुम बहुत कहर ढा रही हो"- घर में घुसते ही ऋषि ने मुस्कुराते हुए कहा। रीना शर्म से लाल हो उठी।
"पापा वो आज कोई आने वाला है, मम्मी ने आज स्पेशल खाना भी बनाया है"- पलाश तपाक से बोल उठा।
"कौन आ रहा है?"
"आप पहले जलदी से हाथ मुंह धो लीजिए"- कहते हुए रीना उसे कमरे में ले गई और अंदर जाते ही ऋषि को बाहों में भर लिया।
"आपका सरप्राइज बहुत बहुत ही प्यारा लगा"- कहते हुए उसने ऋषि के होठों को चूम लिया।
"कौन सा सरप्राइज? क्या कह रही हो तुम? मेरी तो कुछ समझ में नहीं आ रहा है"
"अब भोले मत बनो। वो बड़ा सा गुलदस्ता और खुशबू से भीगा हुआ कार्ड" - रीना रोमांटिक हो गई।
"पर वो कार्ड तो कोरा है, तुम कैसे कह सकती हो कि मैंने भेजा, हो सकता है कोई तुम्हारा चाहने वाला हो"
" बिल्कुल जी, बहुत चाहने वाले ने ही भेजा है, तभी तो उसे बिना बताए पता है कि कार्ड बिल्कुल कोरा है"- रीना खिलखिला उठी और ऋषि ने उसे बाहों में भर लिया।
"मान गए यार तुमने पकड़ लिया। पर तुमने कैसे पहचान लिया। वैसे मुझे मालूम है कि मेरी बीबी बहुत बुद्धिमान है"- ऋषि ने उसके कपोल चूम लिए।
"आप ही हमेशा कहते हो ना कि मेरा जीवन कोरा कागज सा था जिसे तुमने अपने प्यार, समर्पण और खुशियों के रंगों से भर दिया। मेरी जिंदगी के पन्ने तुम्हारे साथ बिताए मधुर पलों से ही भरे हुए हैं। बस वोही बहुत था समझने के लिए"- कहते हुए रीना खिलखिलाकर हंस पड़ी।
"हां रीना तुमने मेरी जिंदगी को खुशियों के रंग से भर दिया। तुमने इस मकान को खूबसूरत घर बना दिया। तुम्हारा हंसता हुए चेहरा देखकर मेरी सारी थकान और टेंशन दूर हो जाती है। तुम मेरी लाइफ मेकर हो, हमारी प्यारी होम मेकर"- कहते हुए ऋषि ने अपनी बाहों का घेरा और मजबूत कर लिया।
"पर ये तो बताइए कि आज अचानक ये सब क्यों"
"क्योंकि ये प्यार का महीना है और भूल गई क्या कि आज ही के दिन तुमने पहली बार मुझे आई लव यू बोला था"
"ओह आपको याद रहा, मैं तो बिल्कुल भूल गई थी"
"शादी से पहले तुम्हारे प्यार के इजहार के खास दिन को भला कैसे भूल सकता हूं। वैसे तो तुम्हारे साथ बिताया हर लम्हा, हर दिन ही मेरे लिए बहुत ख़ास है"
"ओहो पतिदेव आज तो बहुत रोमांटिक हो रहे हो"- कहते हुए रीना और सिमट गई।
"पापा मम्मी अब आपका प्यार जरा हम पर भी लुटा दीजिए"- कहते हुए पलक और पलाश में दरवाजा खटखटाया। चारों हंस पड़े और ऋषि ने तीनों को अपनी बांहों में भर लिया। रीना ने मन ही मन ईश्वर को धन्यवाद दिया।