Pawan Gupta

Abstract

4.0  

Pawan Gupta

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भीड़ से अलग ख्वाहिशे

भीड़ से अलग ख्वाहिशे

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"अरे राजेश क्या कमरे में घुसा रहता है ,आजा खाना बन गया है तेरे पापा आके तुझे कमरे में देखेंगे तो फिर गुस्सा करेंगे ,जल्दी आ मैं दोबारा नहीं बुलाने आउंगी !"

 राजेश सुरेश और मन्दाकिनी का एकलौता लड़का था , मध्यम कद काठी हल्की आवाज शांत रहने वाला लड़का था , उसे दुनिया की चमक धमक थोड़ी भी पसंद नहीं थी , सावला सा लड़का लोगो से मिलने में शर्माता था !लड़कियां तो बहुत दूंर की बात है कुछ तेज लड़कों से भी दूंर रहना पसंद करता था ,ना उसके दोस्त थे ना ही उसे दोस्तों की जरुरत थी !उसने तो अपनी अलग ही दुनिया बना रखी थी अपने सपनो की अपने सोच की ,उनमे तो किसी के लिए कोई जगह नहीं थी जैसे वो इस दुनिया से बेगाना था ,उसी तरह उसकी दुनिया में दूंसरे लोगो की कोई जगह नहीं थी !12th क्लास में पढ़ने वाले राजेश को किसी भी चीज की कमी नहीं थी ,उसके पापा सुरेश एक सरकारी मुलाजिम थे और माँ भी टीचर !एक बड़ा घर सारी सुख सुविधाएं सब तो था राजेश के पास पर राजेश को कभी इन चीजों की जरूरत महसूस ही नहीं हुई थी !वो तो सब एक टी शर्ट और ट्राउज़र में ही खुश था हां आँखों पर एक बड़ा चश्मा लगा था वो भी नजदीक की रौशनी के लिए !उस वक़्त माँ के एक बार बुलाने से तुरंत आ गया ,खाना खाते वक़्त माँ ने कहा "तू क्या करता है अकेले ,

राजेश कुछ नहीं माँ मेरा एक प्रोजेक्ट है उसे ही पूरा करने में लगा हूँ!"

इतने में दूंसरी तरफ से सुरेश उसके पिता गले की खराश की आवाज करते हुए आये "अहाहा.... अरे राजेश लाइफ में कुछ करने का मन है की नहीं ..."वो शर्मा जी का लड़का तेरे से 3 साल ही बड़ा है न , देख इंजीनिअर बन गया 30000 हजार शुरुआती सैलरी है ,

और वो मोहित राजेंदर का लड़का जो एक चाय की दुकान चलता है उसका बेटा रेलवे में लग गया !बिश्नोई जी की लड़की जो पॉलिटेक्निक करके 15000 की नौकरी कर रही है , एक लड़की होके अपने बाप का नाम कर रही है !एक तू है नालायक... कि रूम में बैठा रहता है सोता रहता है , कभी कुछ करेगा कि सिर्फ अपने बाप के कमाई की रोटी तोड़ेगा !हम तुझे नौकरी करने को नहीं बोल रहे है बस तू नार्मल लड़को की तरह सबसे मिल फ्यूचर में क्या करना है वो बता !"


राजेश - "पापा मैं हमेशा अपने क्लास में टॉप किया है ,जिनकी आप बात करते हो उस सबसे कही ज्यादा नम्बर मेरे है ,वो लोग मुझे इज्जत देते है कभी पढाई में फंस जाते थे तो मेरे पास आते थे ! फिर भी आज आप मुझे ही कोस रहे हो ,पापा मैं और लड़को की तरह नहीं हो मुझे कभी पैसे और चीजों से प्यार नहीं रहा !आप ही बताओ जिस उम्र में बच्चे गेम साइकिल खिलोने मांगते है उस टाइम मैंने सिर्फ किताबे मांगी , अब मैं दूंसरो की तरह नहीं हूँ तो क्या करूं, जीना छोड़ दूं" कहते हुए उसकी आँखे भर आई और वो खाने की टेबल पर से उठ कर चला गया !


अपने कमरे में लेटा लेटा सोचता रहा की वो क्या करे घर छोड़ दे या कोई नौकरी के लिए तैयारी करे , पर ये सब राजेश के लिए बहुत मुश्किल था क्युकी वो लोगो से बात नहीं कर पता था ,घबराता था !वो कैसे नौकरी करता वो तो लोगो से दूंर रहकर ही कुछ करना चाहता था ,कई बार उसके मन में आता की वो सन्यास लेले , पर कैसे कुछ भी तो नहीं पता था !माँ पापा का क्या होगा ,माँ तो रो रो कर मर जाएगी और पापा वो तो माँ से भी ज्यादा चाहतेहैं वो मुझे मेरे भले के लिए ही डाटते है !मुझे आज भी याद है वो रात मैं 10th में था और मेरी तबियत ख़राब थी पूरी रात पापा ने पट्टी किया था !वो चाय की दूंकान पर अपना सीना ठोंक ठोंक कर सबको बता रहे थे कि मेरे बेटे राजेश को 96% मार्क्स आये है ,मुझे किसी चीज की जरूरत नहीं थी फिर भी बिन मांगे साइकिल वीडियो गेम क्रिकेट किट सब तो लेके आते थे कि मैं भी और लड़को की तरह एन्जॉय करू !पर मैं हूँ ही नहीं दूसरो की तरह क्या करूं यही सोचते सोचते पता नहीं कब राजेश सो गया !


रात करीब 11 बजे राजेश की नींद खुली ,वो अपने कमरे से बाहर आया किचन में पानी पिने गया पानी पीकर जब वो वापस अपने रूम में जा रहा था तो अपने मम्मी पापा को बात करते सुना   उसके पापा - "मैं जानता हु मन्दाकिनी की हमारा बेटा बहुत समझदार है टॉप भी करता रहा है पर जिंदगी भी तो चलानी होती है ,अगर वो आज नहीं समझेगा तो फिर आगे समय नहीं बचेगा कुछ करने को !"शादी के वक़्त भी सब पूछेंगे की लड़का क्या करता है , पडोसी भी हमारे रिस्तेदार सब तो यही पूछेंगे ,राजेश में बहुत एनर्जी है आई क्यू लेबल भी अच्छा है ,पर वो लोगो से दूंर भागता है !आखिर हमें रहना तो इसी समाज में है न तो उसे भी इसी समाज के तौर तरीके अपनाने पड़ेंगे ,पेट भरने के लिए तो सब कमा लेते है पर राजेश लोगो से दूंर रहकर क्या करेगा कैसे जियेगा !अपनी फॅमिली को सुख सुविधाएं कहा से देगा  ये सारी बातें राजेश सुनता रहा और इस दुनिया को समझने की कोशिश करता रहा !


 अब इतना सब सुन के राजेश अपने कमरे में चला गया , आज उसने अपना खजाना ,अपने कल्पनाओ की पोटली को खोला , उसमे सैकड़ो कहानियां ,हजारो कविताये बंद थी !राजेश इन्ही कल्पनाओ में अकेले कमरे में पड़ा रहता था ,अपनी कल्पनाओ को शब्द देता उनको आकर देता और कहानी का स्वरुप देकर उन्हें अपनी पोटली में कैद कर लेता !अपने बहुमूल्य शब्दों को मोतियों में पिरोता तो वो कविताये बन जाती ,ये कविताये कहानियां उसे सुकून देती क्युकी ये लोगो की तरह स्वार्थी नहीं थी बेगैरत नहीं थी !ये कहानियां तो मासूम परिंदे की तरह आजाद थी , कभी कोई इच्छाओ के बिना ज्ञान को अपने अंदर समेटे हुए थी ,शायद इसलिए ये कहानियां कविताये ही राजेश की दुनिया थी !आज पापा की बातें सुनकर राजेश ने अपनी कहानियों और कविताओं को लोगो तक पहुंचने की सोच उसने कंप्यूटर को ऑन किया फिर एक एक करके अपनी सारी कहानियां ं और कविताओं को एक बेबसाइट पर अपलोड करता चला गया !उसे सारे कहानियों और कविताओं को उपलोड करने में सात दिन लग गए ,तब तक घर में सब शांत था ,क्युकी अब उस दिन के बाद माँ पापा उसको ऐसी तकलीफ देने वाली बाते बोलते ही नहीं थे !कहानियों के अपलोड होने के 15 दिनों बाद एक सूट बूट में एक आदमी उनके घर आया वो आदमी दिखने में अच्छा था ,उसने डोरबेल बजाई !दरवाजा खोलने राजेश की माँ मन्दाकिनी गई , दरवाजा खोलते ही मन्दाकिनी ने पूछा -" कौन हो आप ...?"


उस आदमी ने कहा - "हेलो मेम मैं अपनी कंपनी की तरफ से आया हूँ ,हम ऐसे स्टोरी राइटर को ढूंढते है जो कहानियों को चित्रित कर दे और मिस्टर राजेश की कहानियां तो बहुत ही सजीव है ऐसा लगता है कि सब हमारे आँखों के आगे हो रहा हो !मिस्टर राजेश की कहानियां वो शमा बांध लेती है कि उन्हें छोड़कर कुछ करने का मन नहीं करता है ,इसलिए मैं मिस्टर राजेश से मिलने आया था , क्या आप उन्हें बुला देंगी !


"राजेश बेटा...राजेश बेटा... देख तुझसे मिलने कोई आया है" उसकी माँ ने आवाज लगाया ...


  "हां माँ आ रहा हु कहते हुए राजेश अपने कमरे से बाहर आया!

 

 " हेलो राजेश सर... आई ऍम वैरी ग्लैड टू मीट यू!


सर आपको नहीं पता आप कितने अच्छे लेखक हो हमारी कंपनी ने आपके लिए एक प्रपोसल दिया है !हमारी कंपनी ने आपको 1 लाख महीना देने की सोच रही है बस आपको हमारी कंपनी के लिए लिखना होगा और आपको ऑफिस आने की जरूरत नहीं है घर से ही आप ऑनलाइन सारा काम कर सकते हो !अगर आप राजी हो तो कुछ फॉर्मलिटीज के लिए ऑफिस आना होगा बस !राजेश और राजेश की माँ ये सब सुन कर बहुत खुश हुए ,और दोनों ने हां कर दिया ,उस आदमी ने राजेश को अपने ऑफिस का एड्रेस और फोन नम्बर देकर चला गया !जब शाम को राजेश के पिता सुरेश आये तो मन्दाकिनी ने सारी बात सुरेश को बता दी ,ये बातें सुनकर उसके पिता बहुत खुश हुए और अपने बेटे को गले से लगा लिए !


अगले दिन राजेश अपने पिता के साथ उस कंपनी में गया और सारे पेपर्स पर सिग्नेचर करके उनकी कंपनी ज्वाइन कर ली !आज वो लड़का राजेश सबसे ज्यादा सक्सेस है पर भी वही एक टी शर्ट और ट्राउज़र में खुश है .......जरुरी नहीं की हम भेड़ चाल में चलकर ही सक्सेस हो , सक्सेस होने के लिए काबिलियत होनी चाहिए ,और मन में शांति !     


   

   


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