Deepti Tiwari

Abstract

3.5  

Deepti Tiwari

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बेटी है वरदान

बेटी है वरदान

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आज घर मे अफरा तफरी मची हुयी है, बहु ,आज सुबह से ही उल्टियाँ कर रही है "जो कोरोना फोरोना निकला तो भेज देना मायके मरने के लिए,"

"अरे माँ तूम बेकार ही परेशान हो रही हो ऐसा कुछ नही है" ,

कुछ बुदबुदाते हुए "तुम लोग जानो ,हम तो चले राम राम जपने तब तक सब दुर ही रहना कह दे रहे है."

भाभी चलो डाकटर के पास जाना हे के नही ,ऊठोबड़ी मुशकिल से असपताल तक पहूँची ,

"आप बाहर ही रहे ,नाम बताइए, गंगा ....."

 "पति को बुलाइऐ ,अजि आप को बुला रहे है ."

"जी , पेट से है ,और खाने पीने को नही देते ,शरीर मे तो खून ही नही है ,ऐसे मे तो खाने पीने का ध्यान रखो."

"जी , "

"अरे माँ खुश खबरी है", का बात है, तूम फिर से दादी बनने वाली हो ,अरे वाह इस बार तो लड़का ही होगा, और बहु अब तो अपने खाने पीने का धयान रख तु अ केली ना है समझी ,हां डाकटर साहिबा भी यही बोल रही थी ."

"हां सही बात है ,आते समय केला सेब ले आना हम नही चाहते हमारा पोता कमजोर पैदा हो ,"गंगा अपनी दोनो बेटीयो का मुँह देखती रह जाती है.

 अब की बार अगर पोता नही हुआ तो यहा मत आना वही से अपने मायके चली जाना, एक ही बेटा है हमारा कोइ नाम लेने वाला तो होना चाहिए.

"आज चौथा महीना लग गया है ,माँ हम आफिस के लिए निकल रहे तूम साथ मे जाकर गंगा को दिखवा लाना,

सब ठीकक है ,बस खाने पिने का धयान रखो,"

"हम भी तो यही कहते रहते हैं पर सुनती कहा है न जाने कौन सी धून मे रहे ,हमने तो कह दी कि इस बार जो बेटा पैदा ना कर पाई तो अपने दोनो बेटीयों को लेकर मायके चली जाना."

"ये आप कया बोल रहे हो ,मै भी किसी की बेटी हूँ आप खुद भी किसी की बेटी हैं ऐसा मतभेद किसलिए."बेटा बेटी का कोइ अंतर ही नही है दोनो को खुब पढा़ओ लिखाओ ."ये सवाल अपनी माँ से करती तो शायद आपका ऐसा जवाब न होता ,और तो और जिस देवी की पूजा करती हो वो कौन है औरत , औऱत जिसकी तूलना ही नही कि जा सकती ,बेहतर खानपान, रहन सहन मिले तो दोनो मे कोइ अंतर नही है,"

"माफ करना मेरा ही दिमाग खराब हो गया था ,दुसरो की बाते सुनसुन कर अपने ही घर को नरक बना दिया" 

"मुझे माफ कर दो बिटिया और बहु तु भी चल घर चल अब बेटा बेटी का अधिकार एकसमान."


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