निर्भया
निर्भया
हमें आजाद हुए 75 वर्ष जरूर हों गए हैं पर क्या सच में हम आजाद हो गए हैं , गरीबी , भूखमरी , अत्याचार, बलात्कार न जाने कितने ऐसे मुद्दे हैं जिनपर हम में से शायद ही कोई बात करना चाहता हो, 2012 के दिसंबर के महीने मे जहा दिल्ली कड़ाके की ठंड से निजात पाना चाहता था वही आधी रात एक ऐसी वारदात हुई जिसने देश को अंदर से झकझोर दीया जिसे नाम दिया गया निर्भया कांड , दिल्ली की सड़क पर आधी रात को एक लड़की और एक लड़का बहुत बुरी और जख्मी हालत में मिले , काफी देर तक देर रात सड़क के किनारे निर्वस्त्र मिले , किसी ने पुलिस को फोन करके इस घटना की जानकारी दी ,थोड़ी देर में पुलिस घटनास्थल पर पहुंच गई लड़की की हालत काफी ख़राब बताई जा रही थी लड़के से पूछताछ से पता चला की उस लड़की का बलात्कार किया गया है,
दोनो एक अच्छे दोस्त थे ,देर रात पिक्चर देख कर लौटे थे ,पर कोई भी ऑटो रिक्शा और बस नहीं मिल रही थी,कुछ देर के इंतजार के बाद एक प्राइवेट बस मिली दोनो ने बिना इंतजार किए बस में चढ़ गए ,बस में कुछ लोग पहले से ही मौजूद थे,
थोड़ी देर बाद एक आदमी आकर लड़की से बत्तमिजी करने लगा , भद्दी भद्दी फब्बतिया कसने लगे ,लड़का उन्हे ऐसा ना करने के लिए कहा ,उसके दोस्त ने उनसे बस रोकने के लिए कहा पर उन्होंने ने ऐसा करने से मना किया ,बाद में लड़के को ये बात पता चलने में देर नहीं लगी कि सभी उसी बस के कर्मचारी थे ,उन सभी ने लड़के से मारपीट की फिर एक एक कर के सभी ने उस लड़के के सामने लड़की से मारपीट की और फिर बारी बारी लड़की के साथ बलात्कार किया गया , ये एक बताया जाता है की उन सभी में एक नाबालिक लड़का भी था , बलात्कार चलती बस में किया गया ,बाद में इन्हे एक जगह इन्हे फेंक कर चले गए , कुछ लोगो ने इन्हे जमीन पर पड़ा देखा लड़की होश में नहीं थी ,लड़के ने वहा कुछ इकट्ठा भीड़ से पुलिस को फोन करने को कहा , बाद में उन्हें अस्पताल में दाखिल किया गया ,
विदेश भी इलाज के लिए ले जाया गया पर अंदरूनी संक्रमण तेजी से फैलता गया और काफी प्रयत्न के बाद भी लड़की को बचाया ना जा सका,आखिर में उन्हे 30 दिसंबर 2012 को दिल्ली में पुलिस की निगरानी में अंतिम संस्कार कर दिया गया,दोषियों को पकड़ा गया, और उन्हे 20 मार्च 2020 को सुबह तड़के 5:30 तिहाड़ जेल में फांसी दे दी गई,
ये एक ऐसा कृत्य जिसकी पूरे देश विदेश में चर्चा का विषय बना रहा ,लोगो ने उग्र शांतिपूर्ण प्रदर्शन हुआ ,सभी ने इसमें बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया ,आज इस बात को 10 वर्ष हो गए लेकिन इस घटना ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था।
इतने बड़े देश में अगर एक औरत ही सुरक्षित नहीं हैं , और इतने बड़े कांड के बाद भी महिला सुरक्षा व्यवस्था पर कुछ खास पर भारत सरकार के तरफ से कोई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हो ऐसा कुछ भी अभी तक मेरे सुनने में नहीं आया है। वहीं जहां भारत एक ऐसा देश हैं जहां औरत के रूप दुर्गा ,लक्ष्मी की पूजा होती है , और उसी स्वरूप के साथ ऐसी घटना का घट जाना हम सभी के लिए शर्म की बात हैं , फिलहाल यह घटना दिल्ली में रात 9:30 बजे हुई इस घटनााके वक्त क्या पूरी दिल्ली सो गई थी जिन्होंने ऐसा कुछ नही देखा , क्या रात में पुलिस किसी भी चौराहे या सड़क पर गश्त पर नहीं थी ,ये कुछ ऐसे सवाल है जो हर महिला पूछना चाहती हैं,अगर थोड़ी सी सतर्कता होती तो इतनी बड़ी घटना कभी ना होती।
इस घटना बहुत सी महिलाओं को मैने ये भी कहते सुना की सारी गलतियां लड़कियों की ही होती है वो ही उकसाती है लड़की को और उनके तंग और छोटे कपड़े भी इसका कारण है,ये वो बाते हैं जो मैने उस समय मेरे घर के आस पास सुनी , दुःख होता है ऐसी मानसिकता से पीड़ित लोगो जब मैं अपने आस पास देखती और सुनती हूं,
ये कोई कहानी नहीं 2012 दिसंबर को आत्मा को झकझोर देने वाली घटना है जिसे नाम दिया गया निर्भया