कुछ ख़ास तो हों तुम भाग 5
कुछ ख़ास तो हों तुम भाग 5
अयान समान रखकर कर वहा से निकल जाते हैं,नुसरत अपने कमरे में जाती हैं तभी उसकी अम्मी आवाज़ देती है अरे क्या लाई है वो तो दिखा....
जी अम्मी पर मैं बहुत थक गई हूं ,नुसरत के अब्बू बीच में टोकते हुए अरे बच्ची को आराम करने दो जाओ बेटा .......
नुसरत के अम्मी अब्बू दोनो आपस में बातें करते है "खुदा ने बेटी दी तो इतनी खुशकिस्मत अल्लाह नजर ना लगे और अयान भी कितना प्यारा है आपकी कितनी इज्जत करता है।"नुसरत के अब्बू गहरी सांस भरते हुए "हम्म्म बस अब ये सगाई हो जाए अच्छे से".
"अल्लाह की मेहरबानी से सब हो जाएगा और हा सामान की पर्ची कल दे दूंगी वो सामान कल शाम तक मेरे पास पहुंच ही जाना चाहिए।"
"हा हा मिल जाएगा बस तुम पर्ची बनाओ।"
शुक्रवार के दिन सगाई की रस्म अदायगी कि गई दोनो ने एक दूसरे को अगूंठी पहनाई जो आजकल नया रस्म आ गया है।दोनो बहुत खुश थे ।शाम के खाने के बाद अयान ने बड़े सलीके रुख़सत ली।अगले महीने की आठ तारीख को निकाह होने का दिन मुकर्रर किया गया।
"चलो सब अच्छा हुआ और तुम्हारी बिरयानी ने तो कमाल ही कर दिया",
"देखा और आप कहते थे की कोई जरूरत ही नहीं है ।"
"अरे वो तो मैं तुम्हारी तबियत की वजह से बोलता हूं ।"
और समय देखते देखते निकाह का समय भी आ गया, नुसरत और अयान ने एक दूसरे को कबूल किया और एक दूसरे के हो गए।और इस तरह से अयान और नुसरत की शादी हो गई,नुसरत अयान के घर पहुंची ,बड़ा घर नौकर चाकर,बड़े हाव भाव को देखकर नुसरत थोड़ा परेशान तो हो गई पर अयान ने वो मुश्किलें भी हल कर दिया।कुछ ही दिनों में नुसरत उस घर के रीति रिवाजों से भली भांति परिचित हो ही गई।
(आगे के भाग में देखिए कैसा रहेगा नुसरत का ससुराल भाग 6 मे)
