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Deepti Tiwari

Drama Romance Others

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Deepti Tiwari

Drama Romance Others

कुछ ख़ास तो हो तुम भाग 3

कुछ ख़ास तो हो तुम भाग 3

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कुछ दूर ही अयान और उनका परिवार गाड़ी में निकले ही थे की, नुसरत के अब्बू रहमान जी का फ़ोन आया, फोन अयान ने उठाते ही कहा, जी अब्बू कहें,

बेटा आप में से किसी का फ़न छूट गया है, तो मैंने कहा अगर बहु आगे न निकल गए हो तो थोड़ा इंतजार करें मैं अभी आकार पहुंचा देता हूं।

अरे अब्बू आप क्यू आएंगे मैं गाड़ी मोड़ता हूं अभी बहुत आगे नहीं पहुंचे हैं....

अच्छा बेटा तो आ जाओ 

कुछ ही समय में अरमान और उनका परिवार उनके घर आ गए, यह नुसरत को ये बात पता ही नहीं की ऐसा कुछ भी हुआ है और अब्बू और अरमान के बीच हुई बात उन्हें पता ही नहीं।

यहां बैठक वाले कमरे में नुसरत एक गाना गुनगुना रही थी, " आओ हुजूर तुमको सितारों में ले चलूं ......"

तभी अरमान उनके पीछे खड़े हो कर जी मैं तैयार हूं,

नुसरत पीछे पलट कर देखती है और शरम कर फिर उसी गुलाबों वाले बालकनी से होते हुए अपने कमरे में चली जाती हैं,

यहां नुसरत की अम्मी और अब्बू उन्हें बैठने के लिए कहते है,

अयान की अम्मी, "न जाने क्या बात हैं की ये घर हमें जाने ही नहीं दे रहा, दखिए हम तो आप लाल चौक तक पहुंच गए थे पर वापिस बुला लिया, सभी हंसते हैं

अयान की अम्मी नुसरत की अम्मी से, जी अगर आप नुसरत को बुलवा देंगी,

जी बिलकुल, नीचे कमरे से ही आवाज लगती हैं,

नुसरत बेटा, नीचे आओ, " जी अम्मी।

अयान की नज़र अपने आप उस बालकनी की तरफ़ चली जाती है।

जी, बेटा यहां बैठो मेरे पास हमने तो आपको बस एक नज़र देखा, तब से आपको बार बार देखने का मन कर रहा है,

नुसरत पलकें झुकाए बैठी थीं, पूरी शालीनता के साथ वो और भी सुंदर लग रही थी।

जी, 

अयान की अम्मी अपने हाथों में पहना सोने का कंगन निकालती हैं, और नुसरत की कलाई में डाल देती है अरे वाह तुम्हारी कलाई में ये कितना खूबसूरत लग रहा है, कही नज़र ना लगे जाए आंखों में लगे काजल को अपनी उंगलियों पर लगाकर नुसरत की कलाई पर लगा देती हैं,

नुसरत की अम्मी अरे आपके घर जाती तब आप ये सब,

बीच में टोकती हुई हमारी ही है तभी तो...

बेटा हम जब से आए है सब से बात हुई पसंद नापसंद पूछा गया पर हमने आप से कुछ नहीं पूछा,

आपको अयान पसंद तो है,

जी,

तुम्हें कुछ और कहना है जो तुम हमसे कहना चाहती हो ऐसा कुछ भी हो कह सकती हो बिना किसी हिचक के...

नुसरत कुछ संकोच से जी मैं,

हां बेटा बोलो, अयान की अम्मी थोड़ा जोर देते हुए,

जी मैं आगे पढ़ना चाहती हूं,

अयान की अम्मी अरे ये तो बड़ी अच्छी बात है बिलकुल तुम आगे पढ़ो जितना मर्जी करे उतना जॉब करनी है बिलकुल बेटा मैं खुद पच्चीस साल नौकरी की है, बाद में इन पैरों ने साथ नहीं दिया इतना दर्द रहता था तो छोड़ना पड़ा।

और कोई बात,

जी नहीं बस यहीं,

अच्छा अब चलते, नुसरत से भी बात हो गई, जी

सभी बाहर निकलते है,

तभी अयान कुछ संकोच से एक कुछ रंगीन कागज़ में लिपटा हुआ शायद कोई तोहफा होगा नुसरत को देते हुए, इसे मेरी तरफ पहला तोहफा समझ कर रख लेना,

नुसरत अपनी पलकें उठाती हैं और अयान की तरफ देखते हुए उस तोहफा को ले लेती हैं और बदले में एक मुस्कुराहट जो शायद अयान यहीं देखना चाहता था।

(आगे के भाग देखिए दोनों का प्रेम कैसे परवान चढ़ता है भाग 4 में, और हमें यह भी बताएं आप को ये कहानी कैसे लगी, आगे और किस तरह की कहानी पढ़ना चाहते हैं मुझे जरूर बताएं)


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