Deepti Tiwari

Children Stories Classics Inspirational

4.5  

Deepti Tiwari

Children Stories Classics Inspirational

एक छोटी सी कहानी मेरी जुबानी

एक छोटी सी कहानी मेरी जुबानी

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दिवाली की खरीदारी में खुद के लिए कुछ खरीदने का वक्त ही नहीं मिला ,तो धनतेरस से एक दिन पहले मैं और मेरी छोटी बहन हम दोनों अपने कपड़ों कि खरीददारी के लिए निकले ।

कई दुकानें , मॉल देखने के बाद में मैने और मेरी बहन ने कपड़े खरीदें और इस सब में हम दोनों को कुछ चार घंटे से ऊपर हो चुका था और हम बुरी तरह थक गए थे ,तो हम दोनो ऊपर बने कैफेटेरिया में काफ़ी और सेंडविच खाने के बाद घर जाने के लिए मॉल से बाहर निकले और तभी कुछ ऐसा हुआ जो जीवन को एक नया मोड़ दे गया।

हम दोनों बाते करते हुए आ रहे थे तभी अचानक मेरी नज़र दो बच्चों पर पढ़ी जो फटेहाल से थे गुपचुप बैठे थे , मुझसे रहा न गया तो मैंने दस का नोट निकाल कर उनकी तरफ बढ़ा दिया ।

उनमें से जो बच्चा बड़ा था वो मुस्कुराते हुए बोला

"हम भीख  मांगने वाले नहीं हैं मुझे तो काम चाहिए!"

मैं चौक सी गई, मैने फिर पूछा "क्या चाहिए .....?" बच्चा बोला "मेरा नाम कनक है और ये मेरा छोटा भाई कान्हा एक हफ्ते पहले मेरी मां हमे छोड़ कर कही चली गई ,कुछ दिन तो रोने में निकल गए पर अब ये कान्हा मेरी ज़िमेदारी है तो सुबह से काम ढूंढ रहा हूं कोई काम ही नहीं देता क्या करू बस यही सोच कर परेशान हो रहा हूं।"

" बस इतनी सी बात बोलो क्या कर सकते हो ...?"

"कुछ भी दीदी "

"ओके फिर देखती हूं, ओ भैया आवाज लगाते हुए हा मैडम बोलिए , केला कैसे दिए .... ?"

"वैसे तो पैतालीस का रेट है आपको चालीस में दे देंगे !"

"अरे वाह बढ़िया" अपने गले से स्कार्फ को जमीन पर डाल देती है "लो भैया आठ दस दर्जन रख दो ।"

केले वाला आठ दर्जन केला रख कर अपने पैसे लेकर चला जाता है ।और तभी छोटी बहन एक कागज अपने पर्स से निकलकर उस पर लिखती हैं " कनक फलवाला"

"ले तुझे किसी के यहां काम करने की ज़रूरत नहीं ले तेरा अपना खुद  का काम!" ,दोनो बच्चे खुशी के मारे नाचने लगते है।

अगले दिन दोनो बहनों को उसी मॉल में किसी काम से जाना पड़ा , देखा छोटी आज तो सेब ,केला , अमरूद सब बेच रहे हैं इसका मतलब इन्हे मुनाफा हुआ है,तभी पीछे से आवाज आती हैं दीदी आपके तीनसो बीस रुपए केले के , उसकी आंखे खुशी से चमक रही थी ,कहने लगा दीदी कल तो सारे केले दो घंटे के अंदर ही बिक गए , तो आज अलग अलग फल भी ले लिए ग्राहक भी आ रहे हैं ।

मेरी आंखो में आसूं थे ,एक छोटी सी मदद ने इन्हे अपने पैरों पर खड़ा कर दिया ।  


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