Poonam Singh

Abstract

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Poonam Singh

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बदरंग होली

बदरंग होली

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होली का दिन, पूरा गाँव रंगों में डूबा हुआ था। ढोल की आवाज़ पर फगुआ गीत गाते हुए कुछ लड़के चले आ रहे थे। सर से नख तक रंगों में सराबोर नैना के तो जैसे तन बदन में आग लगी हुई थी। उसे भुलाए नहीं भूलती थी वो काली रात! क्या गलती थी उसकी, जिससे कि उसका जीवन अभिशप्त हो गया ?

अपनी नजरें नीचे झुका कर उसने अपने हलके उभरे हुए उदर की ओर देखा। 'अब तो इस कलंक से छुटकारा पाने का एक ही रास्ता है मरकर या मारकर ! '

जैसे ही लड़कों की टोली गाँव के बीच पहुँची नैना अपने दोनों हाथ पीछे किए हुए स्थिर कदमों से उनके बीच पहुँच गई।

" हमारी तरफ यू बड़े बड़े नैनों से क्या देख रही है नैना , और पीछे हाथ में क्या छुपा रखा है?" नशे में झूमते शेखूआ ने थोड़ी लड़खड़ाती हुई आवाज में कहा।

 " कुछ नहीं ! तेरा नशा झाड़ने आई हूँ ! "

" पागल हो गई है क्या ? चल जा यहाँ से।"

 नैना ने अपना हाथ आगे बढ़ाते हुए उसे गिरेबान से पकड़ लिया। 

"ये क्या कर रही है ? पगला गई है क्या? चल हट !" शेखुआ ने उसे झिड़कते हुए कहा।

इतनी देर में पूरा गाँव इकट्ठा हो चुका था।

" तू अच्छी तरह समझता है मै यहाँ क्यों आईं हूँ ? चल तू पूरे गाँव के सामने अपनी गलती कबूल कर नहीं तो.......!" नैना ने क्रोध भरे लहजे में चिल्लाते हुए कहा।

" नहीं तो, तो क्या कर लेगी तू मेरा ?"

 " क्या कर सकती हूँ ? ले देख ले ! " कहते हुए नैना ने अपने दाहिने हाथ में थमी लोहे की मोटी जंजीर से उसपर जोर का प्रहार किया।

" ये तू क्या कर रही है, आखिर मेरा कुसूर क्या है?"

तिलमिलाई हुई नजरों से नैना ने उसकी ओर देखते हुए कहा," उस रात जो तूने मेरे मुँह पर कालिख पोती थी उसकी वजह से आज पूरा गाँव मुझ पर थू थू कर रहा है और तू पूछता है कि कुसूर क्या है? "

 " चल जल्दी बोल ! " कहते हुए उसने एक दो जंजीर और जमा दिया।

तभी भीड़ से आवाज आई, "अरे ,यह भला कैसे कुछ कर सकता है ? यह तो शरीफ लड़का है। कुलछनी तो तू है किसी और का पाप इसके ऊपर थोप रही है चल छोड़ इसको। "

तभी भीड़ में से कुछ लड़कियों की आवाज़ आई , "छोड़ना मत इसे। बहुत बड़ा पापी है ये।"

एक पल को नैना ने पीछे घूम कर देखा तो उसके दोषी के हाथ लंबे और पसरे हुए दिखे।

कोई बचने का रास्ता ना दिखते हुए शेखूआ ने नैना के पैर पकड़ लिए "मुझे माफ कर दो नैना।"

"तुझे माफ कर दू ! याद है वो काली रात मैंने भी तेरे पैरों पर गिरकर गिड़गिड़ाते हुए मुक्ति की भीख मांगी थी। कितना रोई थी मैं, पर तूने मेरी एक ना सुनी। चल बता पूरे गाँव के सामने तूने क्या किया था उस रात।" नैना ने चिल्लाते हुए कहा।

पूरा गाँव सकते में आ गया था। इतना शरीफ दिखने वाला लड़का इतनी घिनौनी हरकत कर सकता है।

शेखुअा को अब नैना को अपनाने के अलावा कोई रास्ता नहीं दिखा उसने पूरे गाँव के सामने अपनी गलती स्वीकार कर नैना से माफी माँगी और उसका हाथ थामने के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाया।

"चल हट! पिछे हटा अपना हाथ। तुझ जैसे पापी का हाथ पकड़ुगी। मुझे जिल्लत भरी जिंदगी से मुझे छुटकारा मिला मेरे लिए यही बहुत है। अब मैं अपनी पूरी जिंदगी चैन से काट सकूंगी।" उसने वाहा खड़े लोगों की भीड़ की ओर देखते हुए कहा। 

नैना की बदरंग होली एक सुकून वाली होली में तब्दील हो गई।


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