"आत्मविश्वास"
"आत्मविश्वास"
"ये क्या चुन रहा है ? "
" बचे हुए चिल्लर उठा रहा हूँ।" बच्चे ने ज़मीन पर इधर उधर बिखरे पैसे उठाते हुए जवाब दिया।
अब इन मुट्ठी भर चिल्लर पैसों से क्या होगा दुकान तो वापिस मिलेगा नहीं और ना ही
इससे पेट भरेगा ?"
" जानता हूंँ पेट नहीं भरेगा। लेकिन इन सिक्कों को जतन से रखूंगा ताकि मुझे याद रहे कि मेरे पापा की इस बची कमाई में मुझे इजाफ़ा करना है। " उसने पूरे आत्मविश्वास के साथ कहा
"यह तो बहुत ही अच्छा ख्याल है चल मैं तुझे काम दिलाता हूंँ।"
उसने अपनी गर्दन उठाकर उस अजनबी की आँखों में गौर से देखा जो पीछे दूर दंगाइयों की भीड़ पर अपनी नज़रे गड़ाये हुए था। उसने अपने सिक्के को मुट्ठी में जोर से दबा कर अजनबी की ओर व्यंग्य भरी दृष्टि के साथ गर्दन को झटका और आगे निकल गया।