Poonam Singh

Others

4.0  

Poonam Singh

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" माँ "

" माँ "

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"भैया तुम घर आ जाते तो अच्छा रहता। चारों तरफ फैली कोरोना महामारी से माँ को चिंता हो रही है।" बहन ने अपनी चिंता जाहिर करते हुए कहा।"


 ".. तू माँ को कहना मेरी चिंता ना करे, मैं सारे निर्देशों का पालन कर रहा हूँ। बिल्कुल ठीक हूँ।"

 " फिर भी भैया, माँ चाहती है ऐसे नाजुक समय में कुछ दिन के लिए परिवार के साथ ही रहते तो अच्छा लगता। फिर जैसे ही सब कुछ संभल जाए तो चले जाना।"

" कुछ माह पहले ही तो आया हूँ वहाँ से, प्राइवेट नौकरी में छुट्टी भी जल्दी नहीं मिलती। पैसे कटेंगे सो अलग, नौकरी भी जा सकती हैं।"

"फिर भी एक बार और सोच लो... ।" इतना कहकर फोन कट गया। धीरे-धीरे बढ़ते समय के साथ कोरोना ने भी अपना विकराल रूप लेना शुरू कर दिया। परिवार को लेकर इधर विदेश में उसकी चिंता बढ़ने लगी। बहुत दिन से कोई खबर भी नहीं आई थी। 'मैसेज करके पूछता हूँ।' फोन उठाया ही था कि तभी एक मैसेज फ्लैश हुआ। 'माँ कोरंटाइन में हैं।'

 'ओह ! आ रहा हूँ माँ ' उसने तुरंत मेसेज का जवाब दिया। फ्लाइट का टिकट बुक किया और अविलंब अपने गंतव्य की ओर निकल पड़ा। उसके चेहरे पर चिंता की लकीरें स्पष्ट दिख रही थी। अभी एयरपोर्ट पहुँचा भी नहीं था कि अंतर्राष्ट्रीय फ्लाइट सेवा बंद होने की सूचना आ गई। वो वहीं अपना माथा पकड़ कर बैठ गया। '..काश की नौकरी की चिंता किए बिना चला जाता। ये तो दूसरी भी मिल जाती। मगर माँ... '



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