वाकई में कुछ इंसान आज के समय में इंसान कहलाने के काबिल नहीं हैं। वाकई में कुछ इंसान आज के समय में इंसान कहलाने के काबिल नहीं हैं।
इतना अपनापन उसने बचपन से लेकर आज तक कभी भी अनुभव न किया था इतना अपनापन उसने बचपन से लेकर आज तक कभी भी अनुभव न किया था
आप एक और नींबू दे दीजिए ऐसे करके मैं अपने बस में आकर बैठ गई आप एक और नींबू दे दीजिए ऐसे करके मैं अपने बस में आकर बैठ गई
और सबसे अधिक महत्वपूर्ण - वो जान चुका था की " आत्महत्या गंतव्य नहीं , गंतव्य जीवन है। और सबसे अधिक महत्वपूर्ण - वो जान चुका था की " आत्महत्या गंतव्य नहीं , गंतव्य जीव...
यह जो नशा है पहले तो सुकून देता सा लगता है पर बाद में अपना गुलाम बना कर सीधे मौत का रास्ता ही दिखाता... यह जो नशा है पहले तो सुकून देता सा लगता है पर बाद में अपना गुलाम बना कर सीधे मौत...
रमणीक, तुम खुद ही यहाँ की व्यवस्था समझना, मुझे ड्यूटी पर जल्दी पहुँचना है रमणीक, तुम खुद ही यहाँ की व्यवस्था समझना, मुझे ड्यूटी पर जल्दी पहुँचना है